Barmer: 1971 युद्ध: बलवंत सिंह ने जोंगा जीप से पाक सेना को खदेड़ा

1971 युद्ध: बलवंत सिंह ने जोंगा जीप से पाक सेना को खदेड़ा
बलवंत सिंह ने जोंगा जीप से खदेड़ा पाक सेना को
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Highlights

  • 1971 युद्ध में बलवंत सिंह ने भारतीय सेना की मदद की।
  • लेफ्टिनेंट कर्नल भवानी सिंह के साथ मिलकर पाकिस्तानी सेना को खदेड़ा।
  • जोंगा जीपों के साइलेंसर खोलकर टैंक जैसी आवाज पैदा की।
  • 13 दिसंबर को बाड़मेर में बलवंत सिंह की प्रतिमा का अनावरण होगा।

बाड़मेर: 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध (Indo-Pakistan War) में बाड़मेर (Barmer) के ठाकुर बलवंत सिंह (Thakur Balwant Singh) ने लेफ्टिनेंट कर्नल भवानी सिंह (Lt. Col. Bhawani Singh) के साथ मिलकर जोंगा जीपों (Jonga Jeeps) से पाकिस्तानी सेना (Pakistani Army) को खदेड़ा था। 13 दिसंबर को उनकी मूर्ति का अनावरण होगा।

भारत-पाकिस्तान के 1971 के युद्ध में भारतीय सेना को बाड़मेर के धोरों में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। ऐसे समय में लेफ्टिनेंट कर्नल भवानी सिंह ने स्थानीय मदद के लिए ठाकुर बलवंत सिंह से संपर्क किया था।

ठाकुर बलवंत सिंह ने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने की भावना के साथ भारतीय सेना का साथ दिया। उनकी सूझबूझ और बहादुरी ने युद्ध का रुख बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

लेफ्टिनेंट कर्नल भवानी सिंह ने मांगी थी मदद

युद्ध के दौरान लेफ्टिनेंट कर्नल भवानी सिंह के नेतृत्व में आ रही फौज बाड़मेर के धोरों में अटक गई थी। रास्ता भटकने का आभास होने पर कर्नल भवानी सिंह कुछ जवानों के साथ बाखासर पहुंचे।

वहां उन्होंने ठाकुर बलवंत सिंह के घर जाकर उनसे मुलाकात की और अपनी समस्या बताई। बलवंत सिंह ने तुरंत देश सेवा के लिए हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।

उन्होंने कहा कि देश के लिए उनका सिर भी कुर्बान हो जाए तो उन्हें कोई चिंता नहीं होगी। यह उनकी देशभक्ति का एक बड़ा प्रमाण था।

सीमा पार के इलाकों से वाकिफ थे बलवंत सिंह

बलवंत सिंह के पोते रतन सिंह के अनुसार, उनके दादा की पाकिस्तान के सिंध प्रांत के अमरकोट में रिश्तेदारी थी। इस वजह से उनका वहां आना-जाना लगा रहता था।

वह सीमा पार के इलाकों और कच्छ (गुजरात) के रण से पूरी तरह वाकिफ थे। 1971 के युद्ध के हर मोर्चे की बहादुरी और क्षमताओं के बारे में उन्हें काफी जानकारी थी।

लेफ्टिनेंट कर्नल भवानी सिंह ने युद्ध शुरू होने से पहले ही बाखासर जाकर बलवंत सिंह के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की थी। दोनों की सोच और योजनाएं तुरंत मेल खा गईं।

जोंगा जीपों से गरजी थी भारतीय सेना

रतन सिंह बताते हैं कि 1971 में छाछरो पर कब्जा करने के लिए भारतीय सेना की कई बटालियनें पाकिस्तान की ओर कूच कर रही थीं। इनमें 11 इन्फैंट्री डिवीजन, 330 ब्रिगेड, 85 ब्रिगेड, 31 ब्रिगेड, 17 ग्रेनेडियर्स और 10 पैरा एस एफ कमांडो शामिल थे।

6 दिसंबर 1971 की शाम को लेफ्टिनेंट कर्नल भवानी सिंह के नेतृत्व में यह सेना पाकिस्तान की सरजमीं में दाखिल हुई। बलवंत सिंह बाखासर भी इस सेना के साथ थे।

छाछरो पहुंचने पर युद्ध के मोर्चे पर भारतीय सेना का सामना पाकिस्तान की टैंक रेजिमेंट से हुआ। यह एक कठिन चुनौती थी, लेकिन बलवंत सिंह की रणनीति काम आई।

लेफ्टिनेंट कर्नल भवानी सिंह ने बलवंत सिंह को सेना की एक बटालियन और 4 जोंगा जीपें सौंपी थीं। यहीं पर एक अनोखी रणनीति अपनाई गई।

लेफ्टिनेंट कर्नल भवानी सिंह और ठाकुर बलवंत सिंह ने आर्मी की जोंगा जीपों के साइलेंसर खोल दिए। इससे जीपों की आवाज टैंक जैसी भारी और डरावनी हो गई।

सामने मौजूद पाकिस्तानी सेना को लगा कि भारत की पूरी टैंक रेजिमेंट आ चुकी है। इस भ्रम के कारण पाकिस्तानी सेना डरकर तितर-बितर हो गई और उलटे पांव भागने पर मजबूर हुई।

भारतीय सेना ने इस मौके का फायदा उठाते हुए हमला किया और पाकिस्तानी आर्मी को खदेड़ दिया। इसके बाद छाछरो तक तिरंगा फहराया गया, जो एक बड़ी जीत थी।

छाछरो तक लहराया तिरंगा, मिली विशेष सराहना

पाकिस्तान पर विजय के बाद भारतीय सेना की 10 पैरा रेजिमेंट ने बलवंत सिंह की बहादुरी और सूझबूझ की विशेष तौर पर सराहना की थी। उनके योगदान को सेना ने खुले दिल से सराहा।

ठाकुर बलवंत सिंह पर पहले मर्डर और किडनैपिंग के कई मुकदमे दर्ज थे। उनके युद्धकालीन योगदान का सम्मान करते हुए इन सभी मुकदमों को वापस ले लिया गया।

इसके अलावा, बलवंत सिंह को पूरे देश में अपने साथ हथियार रखने के लिए दो लाइसेंस भी जारी किए गए। यह उनके असाधारण योगदान की एक और पहचान थी।

ठाकुर बलवंत सिंह का निधन साल 1991 में हुआ। उनकी स्मृति आज भी बाड़मेर और पूरे देश में सम्मान के साथ याद की जाती है।

13 दिसंबर को होगा प्रतिमा का अनावरण

बाड़मेर के बाखासर में ठाकुर बलवंत सिंह की मूर्ति का अनावरण 13 दिसंबर को किया जाएगा। यह कार्यक्रम उनके सम्मान में आयोजित किया जा रहा है।

इस अनावरण कार्यक्रम में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। उनके साथ केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी उपस्थित रहेंगे।

राजस्थान की डिप्टी सीएम दीया कुमारी भी इस कार्यक्रम में शिरकत करेंगी। दीया कुमारी, लेफ्टिनेंट कर्नल भवानी सिंह की बेटी हैं, जिन्होंने बलवंत सिंह के साथ मिलकर युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

यह कार्यक्रम ठाकुर बलवंत सिंह के शौर्य और देश के प्रति उनके समर्पण को याद करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा। बाखासर स्थित बलवंत चौक पर उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है।

कार्यक्रम में आने वाले लोगों के लिए एक विशेष डोम बनाया जा रहा है। यह उनकी स्मृति को चिरस्थायी बनाने का एक प्रयास है।

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