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25 सितम्बर की घटना से आहत हुए कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद कांग्रेस आलाकमान ने सुखजिंदरसिंह रंधावा को नया प्रभारी बनाया। सुखजिंदरसिंह ने साफ कहा कि वह इस मामले में कार्यवाही करेंगे। अशोक गहलोत खेमे के शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेन्द्र राठौड़ पर इस मामले में कार्यवाही प्रस्तावित है। परन्तु कई बार दिए बयानों में जल्द कार्यवाही का दावा कर रहे रंधावा कार्यकर्ताओं और मीडिया को गोळी ही दे रहे हैं।
जयपुर | राजस्थान में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने रहे, इसके लिए उनके चेलों ने ही पूरा खेल रचा था और आज तक उस पर आलाकमान ठगा सा खड़ा है।
25 सितम्बर की बगावत को पांच माह बीत जाने के बावजूद कांग्रेस आलाकमान खुद ही के हाथों ठगा हुआ सा खड़ा है।
इसी बीच हाईकोर्ट में दिए जवाब में विधानसभा ने कहा है कि राजस्थान में विधायकों ने अपनी मर्जी से इस्तीफे नहीं दिए थे। छह विधायक तो फोटोकॉपी वाले थे।
विधानसभा के सचिव ने कहा है कि विधायकों ने अब स्वेच्छा से अपना इस्तीफा वापस ले लिया और इस्तीफों को स्वीकार किए जाने की याचिका को जल्दबाजी करार दिया। क्योंकि स्पीकर ने इस पर फैसला नहीं लिया था।
आपको याद होगा कि सचिन पायलट को विधायक दल का नेता घोषित किए जाने से रोकने के लिए 25 सितंबर 2022 को कांग्रेस के 91 विधायकों ने शहरी विकास मंत्री शांति धारीवाल के घर पर इस्तीफों पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद बसों में भरकर ये विधायक स्पीकर से मिले थे।
अशोक गहलोत को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की संभावनाओं के बीच कांग्रेस आलाकमान की ओर से बुलाई गई बैठक को सत्ता परिवर्तन की आहट मानते हुए सीएम के करीबी विधायकों ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया था।
इसे कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ विद्रोह के रूप में देखा गया। इसके बाद, विपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ कोर्ट ने याचिका दायर करके स्पीकर की ओर से फैसला नहीं लिए जाने पर सवाल उठाए थे।
हाईकोर्ट खुद दलील रखने वाले प्रतिपक्ष के उप नेता राजेन्द्र राठौड़ ने कहा, यह पांचवीं बार है जब मुद्दा हाईकोर्ट की बेंच के सामने था। विधानसभा स्पीकर की ओर से दिए गए 90 पेज के जवाब में सनसनीखेज बात सामने आई है कि विधायकों ने अपनी मर्जी से इस्तीफा नहीं दिया था।
इसका मतलब है कि यह दबाव में किया गया था। उन्होंने कहा कि जवाब में उन पांच विधायकों का भी जिक्र है जो सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के दोनों खेमों को खुश रखने की कोशिश कर रहे थे।
उन्होंने इस्तीफे की फोटो कॉपी दी थी, वास्तविक कॉपी नहीं। उन्होंने बताया कि आखिरी सुनवाई 13 फरवरी 2023 को होगी।
विधानसभा सचिव के द्वारा जो जवाब दिया गया उसमें यह भी कहा गया था कि मुख्य सचेतक महेश जोशी, उप सचेतक महेंद्र चौधरी, निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा, मंत्री शांति धारीवाल और राम लाल जाट तथा विधायक रफीक खान ने संयुक्त रूप से 81 विधायकों का इस्तीफा सौंपा था।
81 इस्तीफों में, विधायक अमित चचान, गोपाल लाल मीणा, चेतन सिंह चौधरी, दानिश अबरार और सुरेश तक के इस्तीफे की कॉपी ऑरिजनल नहीं थी बल्कि वह फोटो कॉपी थी।
राज्य विधानसभा राजस्थान के नियम के मुताबिक, विधायकों का इस्तीफा तब तक मंजूर नहीं किया जा सकता है। जब तक कि ये इस्तीफे सही नहीं पाए जाते हैं। सभी विधायकों ने खुद आकर इस्तीफा नहीं दिया था बल्कि छह विधायकों ने संयुक्त रूप से उनके इस्तीफे से जुड़ा पत्र दिया था और पांच ने फोटो कॉपी सब्मिट की थी।
इसलिए इस्तीफों को लेकर पूरी संतुष्टि के बाद ही फैसला लिया जा सकता था। यही वजह है कि किसी की भी विधानसभा सदस्यता खत्म नहीं की गई थी।
रंधावा भी गोळी ही दे रहे हैं
25 सितम्बर की घटना से आहत हुए कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद कांग्रेस आलाकमान ने सुखजिंदरसिंह रंधावा को नया प्रभारी बनाया।
सुखजिंदरसिंह ने साफ कहा कि वह इस मामले में कार्यवाही करेंगे। अशोक गहलोत खेमे के शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेन्द्र राठौड़ पर इस मामले में कार्यवाही प्रस्तावित है।
परन्तु कई बार दिए बयानों में जल्द कार्यवाही का दावा कर रहे रंधावा कार्यकर्ताओं और मीडिया को गोळी ही दे रहे हैं।
उनका कहना है कि शीघ्र ही कार्यवाही की जाएगी, लेकिन अभी तक आलाकमान रत्तीभर भी फैसला नहीं ले पाया है।
यदि इस्तीफे अस्वीकार करने की एकमात्र वजह अन्य विधायकों द्वारा किसी ओर का रिजाइन सौंपा जाना है तो व्यक्तिगत पेश होने वाले इन 6 विधायकों शांति धारीवाल, महेश जोशी, महेन्द्र चौधरी, संयम लोढ़ा, राम लाल जाट तथा विधायक रफीक खान का इस्तीफा तो व्यक्तिगत पेश माना जाना चाहिए।