Highlights
- आहोर एसडीएम ऑफिस के बाहर वकील अभिताभ सिंह पर हमला।
- नगरपालिका की करोड़ों की जमीन पर अवैध कब्जे का आरोप।
- भूमाफियाओं के खिलाफ शिवसेना उद्धव गुट का धरना।
- अधिवक्ताओं ने आरोपियों की गिरफ्तारी और कार्रवाई की मांग को लेकर विरोध मार्च निकाला।
आहोर: जालोर (Jalore) के आहोर (Aahor) में SDM ऑफिस के बाहर वकील अभिताभ सिंह (Abhitabh Singh) पर हमला हुआ। यह नगरपालिका जमीन पर अवैध कब्जे के विरोध में धरने के दौरान हुआ।
शनिवार सुबह आहोर स्थित एसडीएम ऑफिस के बाहर उस समय हंगामा खड़ा हो गया जब शिवसेना उद्धव गुट के जिला अध्यक्ष रूपराज राजपुरोहित नगरपालिका की करीब 100 करोड़ रुपए की जमीन पर अवैध कब्जे का आरोप लगाते हुए धरने पर बैठ गए। कुछ ही देर में कुछ लोग वहां पहुंचे और उनसे विवाद करने लगे। सूचना मिलने पर आहोर थाना अधिकारी करण सिंह टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने धरने की परमिशन मांगी, जो नहीं मिली थी। इस दौरान रूपराज और जमीन पर मालिकाना हक जताने वाले वागपुरी के बीच बहस हुई, जिसके बाद पुलिस ने दोनों को हिरासत में ले लिया।
वकील पर हमला और पुलिस कार्रवाई
दोपहर करीब 1:30 बजे एसडीएम ऑफिस के बाहर वकील अभिताभ सिंह के साथ धक्का-मुक्की और मारपीट की सूचना मिली। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एक युवक को हिरासत में ले लिया, जबकि अन्य आरोपी वहां से फरार हो गए। पुलिस ने हिरासत में लिए गए युवक को गाड़ी में बिठाकर थाने ले गई।
करोड़ों की जमीन पर अवैध कब्जे का मामला
वकील अभिताभ सिंह ने बताया कि आहोर नगरपालिका के खसरा नंबर 1008-1009 (जो पहले खसरा नंबर 313 और 314 थे) पर भूमाफिया अवैध रूप से कब्जा कर रहे हैं। इस जमीन की कीमत करोड़ों रुपए है। उन्होंने बताया कि नगरपालिका की इस भूमि को बचाने के लिए वे शिवसेना जिला अध्यक्ष के साथ धरने पर बैठे थे। उनके अनुसार, भूमाफियाओं ने प्रशासन पर दबाव बनाकर टेंट हटवाया और जिला अध्यक्ष रूपराज राजपुरोहित को हिरासत में ले लिया। इसके बाद वे शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे, तभी अचानक पीछे से आए कुछ असामाजिक तत्वों ने उन पर हमला कर दिया और मारपीट की।
जमीन के इतिहास के बारे में बताते हुए अभिताभ सिंह ने कहा कि खसरा नंबर 313 और 314 (वर्तमान में 1008-1009) को 2 जून 1977 को तेजाराम ने आहोर नगर पालिका को दान किया था। तेजाराम के पास जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी थी, जबकि मुख्य मालिक सुमेरमल थे। हालांकि, 25 जून 2011 को सुमेरमल के वारिसों भैरपुरी और मूलपूरी ने मुकदमा दायर किया कि उनके पूर्वजों ने यह जमीन दान नहीं की थी।
अधिवक्ताओं का जोरदार विरोध प्रदर्शन
वकील पर हुए हमले की खबर फैलते ही बड़ी संख्या में अधिवक्ता उपखंड कार्यालय के बाहर एकत्रित हो गए। आहोर संघ अध्यक्ष विक्रम सिंह राजपुरोहित और अभिभाषक संघ जालोर के अध्यक्ष देवेंद्र सिंह राठौड़ के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने एसडीएम कार्यालय से मुख्य मार्ग होते हुए पुलिस थाना आहोर तक एक विशाल विरोध मार्च निकाला। इस मार्च के दौरान अधिवक्ताओं ने पुलिस की कार्यशैली के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की और आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की।
अधिकारियों से बातचीत और आश्वासन
विरोध मार्च के बाद अधिवक्ताओं ने थाने परिसर में धरना दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मोटाराम गोदारा और उप अधीक्षक दशरथ सिंह आहोर पहुंचे। दोनों अधिकारियों ने अधिवक्ताओं के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की और उन्हें एफआईआर में जानलेवा हमले की धारा जोड़ने तथा आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी का आश्वासन दिया। इस आश्वासन के बाद अधिवक्ताओं ने अपना धरना समाप्त कर दिया। इसके बाद अधिवक्ताओं ने उपखंड अधिकारी को भी ज्ञापन सौंपकर कड़ी कार्रवाई की मांग की। धरने और विरोध मार्च में वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र दवे, शंभूदान आशिया, अश्विन राजपुरोहित, सवाराम पटेल, ओमप्रकाश व्यास, तेजसिंह बलावत, महिपाल सिंह, मांगीलाल चौधरी, ललित खत्री, मनोहर सिंह जोधा, प्रहलाद सिंह, भरतसिंह राजपुरोहित, अल्लाबक्श खान, अशोक सुथार, शकील खान मेहर, युद्धपाल सिंह, रज्जब खान खोखर, गोरधनसिंह सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ता उपस्थित रहे।
पुलिस और नगर पालिका का पक्ष
आहोर थाना अधिकारी करण सिंह ने बताया कि मौके से शांति भंग करने के आरोप में दो लोगों को हिरासत में लिया गया है। साथ ही, मारपीट के मामले में एक युवक को डिटेन किया गया है। उन्होंने आश्वस्त किया कि रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
नगर पालिका ईओ राकेश दवे ने इस मामले पर जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें इस घटना की जानकारी मिली है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला पहले से ही कोर्ट में विचाराधीन है और न्यायालय द्वारा जो भी आदेश दिया जाएगा, उसकी पूरी तरह से पालना की जाएगी।
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