Highlights
- जयपुर, अलवर और भिवाड़ी अब भूकंप के जोन 4 में।
- पहले जयपुर जोन 2 में था, अब ज्यादा खतरनाक श्रेणी में।
- सैकड़ों पुरानी इमारतों को नुकसान का खतरा बढ़ गया है।
- नए नियमों से बिल्डिंग निर्माण में सुरक्षा मानकों का ध्यान रखना होगा।
जयपुर: राजस्थान के जयपुर, अलवर और भिवाड़ी अब भूकंप के 'हाई रिस्क जोन 4' में आ गए हैं। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडड्र्स के नए नक्शे में इन शहरों को ज्यादा खतरनाक श्रेणी में रखा गया है। यह पहले जोन 2 में थे।
जयपुर, अलवर, भिवाड़ी क्यों हैं हाई रिस्क जोन में?
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडड्र्स ने देश का नया भूकंप जोखिम नक्शा जारी किया है। इसमें जयपुर, भिवाड़ी और अलवर को ज्यादा खतरे वाले जोन 4 में डाला गया है।
इससे पहले साल 2016 तक जयपुर माइल्ड डैमेज रिस्क जोन 2 में शामिल था। नए मैप में इस बार कई शहरों के जोन को अपग्रेड किया गया है।
कई ऐसे शहर जो पहले कम जोखिम में समझे जाते थे, अब अधिक संवेदनशील क्षेत्रों की सूची में आ गए हैं। इस मैप को PSHA यानी प्रोबैबिलिस्टिक सीस्मिक हैज़र्ड असेसमेंट मॉडल के आधार पर तैयार किया गया है।
साल 2016 तक बीकानेर जोन 3 में था, जबकि अजमेर, जयपुर, जोधपुर और उदयपुर जोन 2 में थे। अब इन शहरों के लिए भूकंप के लिहाज से तैयारी और भी महत्वपूर्ण हो गई है।
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पुरानी इमारतों की सुरक्षा पर सवाल
स्ट्रक्चरल इंजिनियर सुनील गोयल ने बताया कि पुरानी बिल्डिंगों को भूकंप के झटकों को झेलने के लिए डिजाइन ही नहीं किया जाता था। अब नए सिरे से तैयारी करनी होगी और सुरक्षा मानकों का पालन करना होगा।
फिलहाल सिर्फ एक सर्टिफिकेट से बिल्डिंग को सेफ-अनसेफ बता दिया जाता है। जबकि जेडीए और अन्य एजेंसियों को सभी प्रोजेक्ट की ड्राइंग और डिजाइन फाइल की जांच करनी चाहिए।
आर्किटेक्ट्स को भी अपनी प्लानिंग में स्ट्रक्चरल सिस्टम को फॉलो करना होगा। इसके अलावा, फ्लैट खरीदने वालों को भी सतर्क रहने की जरूरत है।
इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि कार खरीदते वक्त हम उसके लुक के बजाय सेफ्टी फीचर्स को ज्यादा महत्व दें। यह दृष्टिकोण इमारतों की सुरक्षा के लिए भी अपनाना चाहिए।
नए मैप का मतलब, भूकंप की आशंका बढ़ना नहीं
भू वैज्ञानिक प्रोफेसर मनोज पंडित का कहना है कि नए मैप का मतलब ये नहीं है कि अचानक खतरा बढ़ गया है। इसका यह भी मतलब नहीं है कि भूकंप आने की आशंका बढ़ गई है।
इसका मतलब है कि किस क्षेत्र में कितना भूकंप आ सकता है। साथ ही, भूकंप आने पर त्रासदी या विनाश को कितना कम किया जा सकता है।
पुराना मैप पूर्व में आए भूकंप के आधार पर बनाया गया था। अब वैज्ञानिक तरीके से नया मैप तैयार किया गया है, जो अधिक सटीक जानकारी देता है।
ऐसे में ये नया कोड भूकंप की तैयारी को लेकर है। यह हमें भविष्य के लिए बेहतर ढंग से तैयार होने में मदद करेगा।
जोन 4 में भूकंप की तीव्रता बढ़ेगी
प्रोफेसर एचएस शर्मा ने बताया कि जयपुर पहले जोन 2 में आता था। अब दिल्ली एनसीआर और जयपुर को एक ही जोन में शामिल कर लिया गया है।
जोन 4 में भूकंप की इंटेसिटी बढ़ती है। ऐसे में आने वाले समय में बिल्डिंग के स्ट्रक्चर में ध्यान रखने की जरूरत है।
ताकि तीव्र भूकंप आने पर जनधन की हानि कम से कम की जा सके। यह नई बिल्डिंगों के निर्माण में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
क्या है नया भूकंप नक्शा?
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडड्र्स (BIS) ने नया नक्शा IS 1893 (Part 1): 2025 कोड के तहत जारी किया है। यह कोड जनवरी 2025 से लागू है।
अब देश में बिल्डिंग्स, ब्रिज, हाईवे और बड़े प्रोजेक्ट इसी नए भूकंप नियमों के अनुसार बनाए जाएंगे। यह नक्शा पुराने 2002 के नक्शे की जगह ले रहा है, जो सुरक्षा मानकों को और मजबूत करेगा।
यह नक्शा कितना भरोसेमंद है?
यह अब तक का सबसे वैज्ञानिक और सटीक नक्शा कहा जा रहा है। इसमें GPS डेटा, सैटेलाइट स्टडी, फॉल्ट लाइन और भूकंप इतिहास का गहन विश्लेषण किया गया है।
लाखों सिमुलेशन भी इसमें शामिल हैं। जापान और न्यूजीलैंड जैसे देशों की उन्नत तकनीक भी इस नक्शे को तैयार करने में अपनाई गई है।
क्या इससे भूकंप में जान बच सकेगी?
विशेषज्ञों का कहना है कि नए नियमों से भूकंप में 80-90% नुकसान कम किया जा सकता है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।
नई बिल्डिंग्स गिरेंगी नहीं, बल्कि झटके सहने लायक होंगी। पुरानी बिल्डिंग्स को भी इन नए मानकों के अनुसार अपडेट करना जरूरी है, ताकि वे भी सुरक्षित रहें।
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