Highlights
- नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को 20 साल की कठोर कैद।
- आरोपी नाबालिग को जालोर से भगाकर महाराष्ट्र ले गया था।
- बंद कमरे में चार दिन तक की थी दरिंदगी।
- पॉक्सो कोर्ट के विशिष्ट न्यायाधीश ने सुनाया फैसला।
जालोर: जालोर (Jalore) की नाबालिग से महाराष्ट्र (Maharashtra) ले जाकर रेप करने वाले दोषी मुकेश कुमार (Mukesh Kumar) को कोर्ट ने 20 साल की कठोर कैद सुनाई है। पीड़िता के पिता ने 30 जनवरी 2025 को झाब थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
क्या था पूरा मामला?
पीड़िता के पिता ने 30 जनवरी 2025 को झाब थाने में अपनी बेटी के लापता होने की लिखित रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
उन्होंने बताया कि 28 जनवरी 2025 की शाम करीब 3 बजे उनकी नाबालिग बेटी घर से बाहर खेत में गई थी, लेकिन काफी देर बाद भी वह वापस घर नहीं लौटी।
परिवार ने पहले पास ही ननिहाल में जाने का अनुमान लगाया और देर शाम तक इंतजार किया, लेकिन पूछताछ करने पर भी पीड़िता की कोई सूचना नहीं मिली।
इसके बाद परिवार ने तलाश शुरू की और इस दौरान घर से कुछ दूरी पर खेत में कुछ कपड़े मिले।
कपड़े मिलने के बाद परिवार को शक हुआ कि उनकी बेटी को कोई भगाकर ले गया है, जिसकी सूचना उन्होंने तुरंत पुलिस में दी।
आरोपी की पहचान और गिरफ्तारी
पुलिस की जांच में पता चला कि जालोर के बागोड़ा थाना निवासी मुकेश कुमार (22) पुत्र दाडमाराम नाबालिग लड़की को भगाकर महाराष्ट्र ले गया था।
वहां उसने एक बंद कमरे में चार दिनों तक नाबालिग के साथ दरिंदगी की थी।
पुलिस ने 5 मार्च 2025 को महाराष्ट्र के आहिल्यानगर के लोणी शहर की शांतिनगर कॉलोनी के एक बंद कमरे से आरोपी मुकेश कुमार और पीड़िता को बरामद किया।
आरोपी को तुरंत दस्तयाब कर गिरफ्तार कर लिया गया और पूछताछ व मेडिकल जांच में उसने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया।
जुर्म स्वीकार होने के बाद आरोपी को जेल में बंद कर दिया गया।
कोर्ट में सुनवाई और फैसला
इसके बाद पुलिस ने अपनी जांच पूरी कर आरोपी के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र पेश किया।
इस मामले की सुनवाई जालोर पॉक्सो कोर्ट के विशिष्ट न्यायाधीश प्रमोद कुमार मलिक की अदालत में हुई।
न्यायाधीश प्रमोद कुमार मलिक ने 31 अक्टूबर को इस गंभीर मामले में अपना फैसला सुनाया।
कोर्ट ने आरोपी मुकेश कुमार को नाबालिग से दुष्कर्म का दोषी मानते हुए 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई।
सजा के साथ-साथ कोर्ट ने आरोपी पर आर्थिक दंड भी लगाया है।
विशिष्ट लोक अभियोजक रणजीत सिंह राजपुरोहित ने बताया कि यह फैसला ऐसे जघन्य अपराधों के खिलाफ एक मजबूत संदेश देता है।
यह निर्णय समाज में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के प्रति न्यायपालिका की गंभीरता को दर्शाता है।
इस फैसले से ऐसे अपराधों को अंजाम देने वालों को कड़ी चेतावनी मिली है कि कानून उन्हें बख्शेगा नहीं।
पीड़िता और उसके परिवार को इस फैसले से न्याय मिलने की उम्मीद है और उन्हें कुछ हद तक मानसिक शांति मिलेगी।
पुलिस और न्यायपालिका के त्वरित कार्रवाई से ऐसे मामलों में पीड़ितों को जल्द न्याय मिल पाता है।
यह घटना समाज में बच्चों के प्रति अपराधों की रोकथाम के लिए जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालती है।
सरकार और सामाजिक संगठनों को मिलकर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
ऐसे मामलों में त्वरित और कठोर न्याय प्रणाली समाज में विश्वास बहाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
जालोर पुलिस ने इस मामले में तत्परता दिखाते हुए आरोपी को जल्द गिरफ्तार कर न्याय प्रक्रिया को आगे बढ़ाया।
यह फैसला उन सभी लोगों के लिए एक सबक है जो नाबालिगों के प्रति ऐसे जघन्य अपराध करने की सोचते हैं।
न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे अपराधों के लिए कोई नरमी नहीं बरती जाएगी और दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी।
पॉक्सो एक्ट के तहत ऐसे मामलों में त्वरित सुनवाई और कठोर दंड का प्रावधान है, जिसका इस मामले में पालन किया गया।
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