Highlights
- सांसद हरीश चंद्र मीणा ने डूंगरी बांध परियोजना पर लोकसभा में सवाल उठाए।
- उन्होंने जनता में भय और असमंजस के माहौल को उजागर किया।
- सरकार से बांध से जुड़ी सभी जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की गई।
- मीणा ने कहा, विकास का अर्थ विस्थापन नहीं हो सकता।
सवाई माधोपुर: टोंक-सवाई माधोपुर (Tonk-Sawai Madhopur) सांसद हरीश चंद्र मीणा (Harish Chandra Meena) ने प्रस्तावित डूंगरी बांध (Doongri Dam) परियोजना पर केंद्र सरकार से जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जनता में भय और असमंजस का माहौल है।
संसद में उठाया डूंगरी बांध का मुद्दा
टोंक-सवाई माधोपुर सांसद हरीश चंद्र मीणा ने प्रस्तावित डूंगरी बांध परियोजना को लेकर केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने लोकसभा की कार्य-संचालन नियमावली के नियम 197 के तहत ध्यानाकर्षण प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
सांसद ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री का ध्यान इस महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर खींचा।
जनता के भविष्य से जुड़ा प्रश्न
सांसद मीणा ने सदन में कहा कि डूंगरी बांध अब केवल एक विकास परियोजना नहीं है। यह पूर्वी राजस्थान की जनता के भविष्य, अस्तित्व और विश्वास से जुड़ा एक अहम प्रश्न बन चुका है।
टोंक-सवाई माधोपुर सहित आसपास के जिलों में रहने वाली जनता महीनों से अनिश्चितता और भय के माहौल में जी रही है।
डूब क्षेत्र को लेकर अस्पष्टता
लोगों के मन में लगातार यह सवाल उठ रहे हैं कि इस परियोजना से वास्तविक लाभ किसे मिलेगा। कितने गांव और घर प्रभावित होंगे, यह भी एक बड़ी चिंता का विषय है।
इसके साथ ही, कितनी उपजाऊ कृषि भूमि डूब क्षेत्र में आएगी, इस पर भी स्पष्टता नहीं है।
जानकारी सार्वजनिक करने की मांग
उन्होंने सदन को अवगत कराया कि इन बुनियादी प्रश्नों पर अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस, पारदर्शी और भरोसेमंद जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। सांसद ने यह भी रेखांकित किया कि स्वयं केंद्रीय जल शक्ति मंत्री द्वारा लोकसभा में पूर्व में दिए गए उत्तर में कहा गया था कि “कौन सा गांव डूबेगा और कितना डूबेगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है।”
इसके बावजूद, जमीनी स्तर पर लोगों में गहरी आशंका बनी हुई है, जो सरकार और जनता के बीच बढ़ते अविश्वास को दर्शाती है।
विकास का अर्थ विस्थापन नहीं
सांसद मीणा ने कहा कि जब हजारों परिवार अपनी जमीन, पहचान और पीढ़ियों की मेहनत खोने की आशंका से जूझ रहे हों, तब सरकार का दायित्व केवल कागजी योजनाओं को आगे बढ़ाना नहीं है। सरकार को हर तथ्य और निर्णय को ईमानदारी से जनता के सामने रखना चाहिए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि विकास का अर्थ विस्थापन नहीं हो सकता। बिना पारदर्शिता, संवाद और जन-सहमति के कोई भी परियोजना जनहितकारी नहीं मानी जा सकती।
जनता का विश्वास जीतने की अपील
लोकसभा अध्यक्ष के माध्यम से सांसद ने मांग की कि डूंगरी बांध से जुड़े सभी निर्णय, सर्वेक्षण, डूब क्षेत्र का आकलन और प्रभाव अध्ययन सार्वजनिक किए जाएं। इससे प्रभावित होने की आशंका झेल रही जनता को स्पष्ट और भरोसेमंद जवाब मिल सकेगा।
उन्होंने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक सरकार की सच्ची कसौटी जनता का विश्वास जीतने में ही निहित होती है।
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