Highlights
- जयपुर में एनएसयूआई ने अरावली पर्वतमाला को बचाने के लिए विशाल पैदल मार्च निकाला।
- पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने सरकार से अरावली की नई परिभाषा पर सवाल पूछे।
- 100 मीटर से ऊंची पहाड़ियों की नई परिभाषा को पर्यावरण के लिए खतरनाक बताया गया।
- एनएसयूआई प्रदेशाध्यक्ष विनोद जाखड़ ने पर्यावरण संतुलन के लिए निरंतर संघर्ष की चेतावनी दी।
जयपुर | राजस्थान की राजधानी जयपुर में शुक्रवार को पर्यावरण संरक्षण और अरावली पर्वतमाला के अस्तित्व को लेकर एक बड़ा राजनीतिक और सामाजिक विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। एनएसयूआई की ओर से आयोजित अरावली बचाओ मार्च में हजारों की संख्या में छात्र और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इस पैदल मार्च के माध्यम से भाजपा सरकार की नीतियों पर कड़ा प्रहार किया गया और अरावली को बचाने की मांग उठाई गई।
सचिन पायलट ने सरकार की मंशा पर उठाए गंभीर सवाल
पायलट ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अरावली पर्वतमाला केवल पत्थरों और पहाड़ों का समूह नहीं है। यह उत्तर भारत के एक विशाल क्षेत्र को सुरक्षा कवच प्रदान करती है। उन्होंने सरकार से सीधा सवाल किया कि ऐसी क्या मजबूरियां थीं जिनके चलते हजारों साल पुरानी इस पर्वतमाला को विनाश की राह पर धकेला जा रहा है। सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि वह किसके दबाव में इस प्राकृतिक संपदा के साथ खिलवाड़ कर रही है।
पहाड़ियों की नई परिभाषा और पर्यावरण पर संकट
विरोध का मुख्य केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की गई पहाड़ियों की नई परिभाषा है। पायलट ने भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि क्षेत्र की एक लाख अठारह हजार पहाड़ियां ऐसी हैं जिनकी ऊंचाई 100 मीटर से कम है। सरकार अब केवल 100 मीटर से ऊंची स्थलाकृतियों को ही पहाड़ी मानने की बात कह रही है। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि सरकार आंकड़ों का मायाजाल बुनकर लोगों को भ्रमित कर रही है और खनन माफियाओं को लाभ पहुंचाने की कोशिश कर रही है।
विनोद जाखड़ और युवा शक्ति का संकल्प
एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष विनोद जाखड़ ने इस पूरे मार्च का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा कि अरावली राजस्थान और पूरे उत्तर भारत के लिए जल संरक्षण और पर्यावरण संतुलन की रीढ़ है। भाजपा सरकार द्वारा अरावली क्षेत्र में लिए जा रहे निर्णय जैव विविधता के लिए अत्यंत घातक साबित होंगे। जाखड़ ने चेतावनी दी कि युवा शक्ति इस अन्याय के खिलाफ लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से अपना संघर्ष निरंतर जारी रखेगी।
जालूपुरा से शुरू हुआ पैदल मार्च
जयपुर के जालूपुरा थाना परिसर के सामने विशाल सभा का आयोजन किया गया जिसके बाद यह पैदल मार्च निकाला गया। इस दौरान पूर्व मंत्री विधायक और संगठन के कई वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे। कार्यकर्ताओं ने हाथों में तख्तियां लेकर अरावली के पक्ष में और सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। इस आंदोलन ने राजस्थान में पर्यावरण सुरक्षा के मुद्दे को एक बार फिर से गर्मा दिया है जिससे सरकार पर दबाव बढ़ना तय माना जा रहा है।
राजनीति