शिक्षा मंत्री: संस्कारयुक्त शिक्षा से ही बनेंगे श्रेष्ठ नागरिक

संस्कारयुक्त शिक्षा से ही बनेंगे श्रेष्ठ नागरिक
शिक्षा मंत्री  मदन दिलावर
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नई शिक्षा नीति का लक्ष्य विद्यार्थी का सम्पूर्ण विकास जिसे साक्षरता, संख्या ज्ञान, तार्किकता, समस्या समाधान, नैतिक, सामाजिक, भावनात्मक मूल्यों के विकास के द्वारा संभव किया जा सके। इसमें विशेष रूप से जीवन कौशल को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की सिफारिश की गई है

जयपुर । शिक्षा मंत्री  मदन दिलावर ने कहा कि संस्कारयुक्त शिक्षा से ही श्रेष्ठ नागरिक बनेंगे।दिलावर गुरूवार को एक निजी होटल में आयोजित ‘जीवन कौशल सशक्त शिक्षा‘ पर आधारित सेमिनार को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संस्कारित एवं सशक्त शिक्षा से जीवन उन्नत बनेगा और उन्नत नागरिकों के विचार भी श्रेष्ठ होंगे, जिससे परिवार, समाज एवं देश सशक्त बनेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारी कथनी और करनी में अंतर नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के जीवन में अनुशासन एवं माता-पिता और गुरूजन का सम्मान बहुत जरूरी है। अच्छा इंसान बनने के लिए अंक महत्वपूर्ण नहीं है अपितु जीवन मूल्य महत्व रखते हैं। माता-पिता को भी अपने बच्चों पर उनकी क्षमता से अधिक अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवन में खुशहाली का संबंध संसाधनों से नहीं संतोष से है।

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में भी रोजगार के साथ संस्कारयुक्त शिक्षा पर जोर दिया गया है। नई शिक्षा नीति का लक्ष्य विद्यार्थी का सम्पूर्ण विकास जिसे साक्षरता, संख्या ज्ञान, तार्किकता, समस्या समाधान, नैतिक, सामाजिक, भावनात्मक मूल्यों के विकास के द्वारा संभव किया जा सके। इसमें विशेष रूप से जीवन कौशल को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की सिफारिश की गई है। इस नीति का मकसद छात्रों को 21वीं सदी के जीवन कौशल से लैस करना है। इन कौशल में टीम वर्क, रचनात्मकता, महत्वपूर्ण सोच और समस्या-समाधान शामिल है।

इस अवसर पर शासन सचिव, शिक्षा,  नवीन जैन ने कहा कि विद्यार्थियों को अध्ययन के लिए अधिक शिक्षण दिवस उपलब्ध करवाने की आवश्यकता है। विद्यार्थियों को विषय का चयन अपनी रूचि एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए। विद्यार्थियों को अपने परिजनों एवं गुरूजनों के प्रति कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए। उन्होंने नई पीढ़ी को सूचना एवं ज्ञान में अंतर करने के योग्य बनाने तथा विद्यार्थियों में सामाजिक जागरूकता लाने की बात कही। सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी के लिए जन कल्याण पोर्टल सभी के लिए उपयोगी बताया।

सेमिनार में पैनल डिस्कशन के दौरान राज्य परियोजना निदेशक एवं आयुक्त, राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद्  अविचल चतुर्वेदी ने कहा कि 21वीं सदी में आत्मविश्वास के साथ जीवन जीने के लिए जीवन कौशल की शिक्षा आवश्यक है। कम उम्र में ही छात्रों पर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों का दबाव रहता है।

निदेशक, माध्यमिक शिक्षा,  आशीष मोदी ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा के पाठ्यक्रम को डिजिटाइज्ड कर दिया गया है। उन्होंने बदलते परिदृश्य में शिक्षकों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।

निदेशक, आरएससीईआरटी, श्रीमती कविता पाठक ने बताया कि जीवन कौशल पर पुस्तकें भी तैयार की जा रही है।

पीरामल फाउंडेशन के  सौरभ जौहरी ने पैनल डिस्कशन के दौरान जीवन कौशल प्रशिक्षण के संबंध में विस्तार से बताया।, श्रीमती अंशु दूबे, श्रीमती वैजयन्ती शंकर,  अर्जुन एवं उप निदेशक  कमलेन्द्र राणावत ने भी विचार व्यक्त किये।

इस अवसर पर अतिथियों द्वारा ‘राजस्थान लाइफ स्किल असेसमेंट रिपोर्ट-2023‘ तथा ‘अमूल्य‘ पोस्टर का विमोचन किया गया।

इस दौरान शिक्षामंत्री एवं शिक्षा सचिव ने छात्रों द्वारा पूछे गये विभिन्न सवालों का सहजता के साथ जवाब दिया।

विद्यार्थियों ने सामाजिक, भावनात्मक, नैतिक शिक्षण से उनके जीवन में आये बदलावों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मोबाइल से ध्यान हटाने, गुस्से पर नियंत्रण करने, परीक्षा के भय से निजात तथा ध्यान केन्द्रित करने में मदद मिलती है।

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