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ऐसे में यह तय है कि सांचौर में अब बीजेपी पार्टी को मजबूत करना चाहती है और व्यक्ति विशेष की छवि से बाहर निकलना चाहती है। लिहाजा यह शिकायत सीएम कार्यालय से जांच के आदेशों के साथ निकली है। यह जांच किसी एक थाने को नहीं सौंपकर, पूरे जिले की पुलिस को दी गई है।
Jaipur | सांचौर में जेडी पार्टी बनाकर भले ही दानाराम चौधरी और जीवाराम चौधरी की जोड़ी ने बीजेपी के सामने बल्ला उठा लिया था। बल्ले की बगावत विधानसभा चुनाव में ऐसी चमकी कि न केवल जीवाराम चौधरी दानाराम के आंसुओं के सहारे एक बार फिर से विधायक बन गए। बल्कि कांग्रेस का पल्लू छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले तीन बार के सांसद देवजी पटेल के राजनैतिक कॅरियर को उनके ही गृहक्षेत्र में जमानत जब्त से पूर्णाहुति करवाने पर मजबूर कर दिया।
दानाराम के सहारे चला विजय रथ इतना उर्जा से भरा रहा कि जीवाराम सांसद के टिकट के लिए भाजपा की नाक में दम किए रहे। बल्ले वाला निशान सांसद चुनाव में भी पॉवरप्ले वाला अंदाजा दिखाता रहा। परन्तु अब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की टीम ने एक ऐसी गुगली डाल दी है।
सीएम कार्यालय से आई इस गुगली ने जीवाराम चौधरी के साथ—साथ, भीनमाल के पूर्व विधायक पूराराम चौधरी ही नहीं सांचौर के पूर्व विधायक और गहलोत सरकार में मंत्री रहे सुखराम विश्नोई के विकेट भी जद में ले लिए हैं। जीवाराम के रिश्तेदार निम्बाहेड़ा के पूर्व विधायक उदयलाल आंजना जिन्हें 2014 में जालोर—सिरोही में सांसद का टिकट मिला है। वे भी सीएम भजनलाल शर्मा के कार्यालय के निशाने पर है। मामला पेपर लीक से जुड़ा है।
माफियाओं के खिलाफ अपने अफसरों को एक भावुक और उर्जा से भरा सम्बोधन करते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा था कि जब भी कार्यवाही में थकान महसूस करो तो गरीब लोगों के बच्चों के, उन मासूमों के चेहरे याद करना जिनके साथ अन्याय हुआ।
तो मामला यह है कि एक व्यक्ति ने गुमनाम शिकायत की है मई महीने में ही...। यानि कि लोकसभा चुनाव खत्म होते ही, जिसमें इन सभी नेताओं के साथ—साथ सांचौर इलाके के 34 प्रभावशाली लोगों का उल्लेख किया है। इस उल्लेख से इलाके की राजनीति में आग की लपटें उठनी तय है।
गुमनाम शिकायत को मुख्यमंत्री कार्यालय जयपुर में बड़ी ही गंभीरता से लिया है। लोकसभा चुनाव की वोटिंग खत्म होते ही यानि कि इन्वर्ड 24 अप्रैल और मार्क 26 अप्रैल 2024 को की गई है।
2 मई की तिथि को यह शिकायती पत्र जांच के लिए गृह विभाग को भेजा गया है। इसमें मौजूदा विधायक, पूर्व विधायक, पड़ोसी विधानसभा क्षेत्र के विधायक और विधायक के रिश्तेदार ही नहीं बल्कि इन विधायकों—पूर्व विधायकों के निजी सहायकों के साथ—साथ कई सरकारी लोगों का इन्वॉल्वमेंट बताया गया है। आरोप सिर्फ पेपर लीक नहीं है। इसमें फर्जी डिप्लोमा, डिग्री, खेल, उत्कृष्टता प्रमाण पत्र बनाने, डमी कैंडीडेट से पेपर दिलाने, पेपर लीक करके पढ़ाने और फर्जी तरीके से चयन कराने के आरोप हैं। अब वोट हो चुके हैं और सरकार अपने हिसाब से तय करेगी मामला।
सांचौर में इसलिए नजर
पहली सूची की टफ बताई गई 41 में से 19 सीटें भाजपा हारी हैं। मारवाड़ में बायतू और सांचौर दोनों ही हार गई। बायतू में अब सीधा मुकाबला होने के आसार है। लेकिन सांचौर का क्या, यह सीट 1990 से जीवाराम चौधरी के कारण प्रभावित है।
2023 के विधानसभा चुनाव में सांचौर, बागीदौरा, अलवर ग्रामीण, सुजानगढ़, झंझुनूं, मंडावा, उदयपुरवाटी, लक्षमणगढ़, दांतारामगढ़, बस्सी, हिंडौन, बामनवास, देवली—उनियारा, किशनगढ़, बायतू, खैरवाड़ा, डूंगरपुर, चौरासी, कुशलगढ़ सीटें भाजपा हारी। लेकिन बीजेपी आलाकमान, खासकर के भजनलाल शर्मा ने सांचौर को सीरियस लिया है। इसमें बर्थ डे वाले फोन की बधाई ने भी उत्प्रेरक का काम किया बताया।
जीवाराम सांचौर में 90 में निर्दलीय खड़े हुए। 1993 में चुनाव नहीं लड़े। 98 में पार्टी के टिकट पर लड़े। हार गए। 2003 में वे बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते। 2008 में उनका टिकट कट गया, लेकिन वे निर्दलीय खड़े होकर चुनाव लड़े और जीते।
सहानुभूति का कार्ड काम आया। 2013 में टिकट मिला तो नहीं जीत पाए। 2018 में टिकट काटकर दानाराम को दिया तो बागी खड़े होकर बीजेपी की हार का कारण बने। 2023 में नया प्रत्याशी यानि कि देवजी पटेल को दिया तो पटेल के खिलाफ दानाराम के भावुक रुदन का इस्तेमाल करके अपना सिट्टा सेक लिया।
दानाराम को भरोसा था कि पार्टी उन्हें सांसद का टिकट देगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। थोड़ी तकरार, बगावती तेवर और फिर मान मनुहार से मानी यह जेडी पार्टी अब भजनलाल की गुगली से खतरे में है। उमा भारती, लालकृष्ण आडवाणी, गोविंदाचार्य जैसे बड़े से बड़े नेताओं की फेहरिस्त है, जिन्हें घर बिठाया जा चुका है, खिलाफत में चूं तक नहीं हुई, लेकिन सांचौर में अब लगता है कि भाजपा भी उकता चुकी है।
ऐसे में यह तय है कि सांचौर में अब बीजेपी पार्टी को मजबूत करना चाहती है और व्यक्ति विशेष की छवि से बाहर निकलना चाहती है। लिहाजा यह शिकायत सीएम कार्यालय से जांच के आदेशों के साथ निकली है। यह जांच किसी एक थाने को नहीं सौंपकर, पूरे जिले की पुलिस को दी गई है।
यह खेल बीते 19 साल से चलना बताया गया है। यानि कि 2005 से!
दोस्तों! अक्सर गुमनाम शिकायतों पर और वह भी रसूखदारों के खिलाफ होने पर कार्यवाही कम ही होती है, लेकिन इस कार्यवाही के लिए दिए गए निर्देशों को देखें तो पता चलता है कि सरकार खासी गंभीर है। हम दुआ करते हैं कि अंतिम समय तक यह गंभीरता बनी रहे और निष्पक्ष जांच करके दोषियों को सजा मिले।