Rajasthan: पीएम सहित संवैधानिक पदों की चादर पर रोक का मामला: सुनवाई 17 दिसंबर

पीएम सहित संवैधानिक पदों की चादर पर रोक का मामला: सुनवाई 17 दिसंबर
अजमेर चादर विवाद: सुनवाई 17 दिसंबर को
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Highlights

  • अजमेर दरगाह में पीएम सहित संवैधानिक पदों की चादर पर रोक का मामला।
  • सिविल कोर्ट ने अगली सुनवाई 17 दिसंबर को तय की।
  • अल्पसंख्यक मंत्रालय ने कोर्ट में प्रार्थना-पत्र पेश किया।
  • हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दायर की थी याचिका।

अजमेर: अजमेर दरगाह (Ajmer Dargah) में प्रधानमंत्री (Prime Minister) सहित अन्य संवैधानिक पदों (Constitutional Posts) की ओर से चढ़ने वाली चादरों पर रोक लगाने की मांग को लेकर अब अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी। अल्पसंख्यक मंत्रालय (Minority Ministry) ने प्रार्थना-पत्र पेश किया है।

सिविल कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 दिसंबर की तारीख तय की है। यह मामला हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने कोर्ट में प्रार्थना-पत्र पेश कर उठाया था।

मामले की अगली सुनवाई कब?

वादी विष्णु गुप्ता के वकील विजय शर्मा ने बताया कि अल्पसंख्यक मंत्रालय की ओर से एक प्रार्थना-पत्र पेश किया गया है। अब इस प्रार्थना-पत्र पर सुनवाई होगी और हमारी ओर से जवाब पेश किया जाएगा।

इससे पहले, सिविल न्यायाधीश के अवकाश के चलते लिंक कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई थी। वादी पक्ष की ओर से कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी थी।

क्या है पूरा मामला?

विष्णु गुप्ता ने अजमेर की न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या-दो कोर्ट में एक प्रार्थना-पत्र पेश किया था। इसमें पहले से चल रहे मामले को देखते हुए उर्स के मौके पर प्रधानमंत्री सहित अन्य संवैधानिक पदों की ओर से पेश होने वाली चादर पर रोक लगाने की मांग की गई थी।

यह मांग वीआईपी चादरों को लेकर की गई है। वादी पक्ष का कहना है कि इन चादरों पर रोक लगाई जानी चाहिए।

अल्पसंख्यक मंत्रालय ने क्या किया?

अल्पसंख्यक मंत्रालय ने इस मामले में कोर्ट में अपना एक प्रार्थना-पत्र पेश किया है। अब इस पर कोर्ट में विस्तृत सुनवाई की जाएगी।

प्रतिवादियों के कोर्ट में उपस्थित नहीं होने पर कोर्ट ने पहले ऑर्डर को रिजर्व रखा था। अब मंत्रालय के प्रार्थना-पत्र के बाद नई सुनवाई की तारीख तय हुई है।

विष्णु गुप्ता की अन्य याचिका

बता दें कि विष्णु गुप्ता ने दरगाह में संकट मोचन शिव मंदिर होने का वाद भी पेश किया है। यह मामला भी कोर्ट में विचाराधीन है।

उनकी यह याचिका भी अजमेर दरगाह से संबंधित है, जो एक अलग पहलू को उजागर करती है।

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