Ajmer Rajasthan: PM सहित संवैधानिक पदों की चादर पर रोक की मांग, कोर्ट ने ऑर्डर रखा रिजर्व

PM सहित संवैधानिक पदों की चादर पर रोक की मांग, कोर्ट ने ऑर्डर रखा रिजर्व
Ajmer Advocates
Ad

Highlights

  • अजमेर दरगाह में संवैधानिक पदों की चादर पर रोक की मांग उठी है।
  • हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने इस संबंध में कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश किया।
  • चादर चढ़ाने के बाद फोटो-वीडियो पोस्ट करने को विधिक अधिकारों का हनन बताया गया।
  • प्रतिवादियों के उपस्थित न होने पर कोर्ट ने मामले में आदेश सुरक्षित रखा।

अजमेर: अजमेर दरगाह (Ajmer Dargah) उर्स पर PM सहित संवैधानिक पदों की चादरों पर रोक मांग। हिंदू सेना (Hindu Sena) के विष्णु गुप्ता (Vishnu Gupta) ने कोर्ट में अर्जी दी। प्रतिवादी अनुपस्थित, कोर्ट ने आदेश सुरक्षित।

अजमेर दरगाह में उर्स के पवित्र अवसर पर प्रधानमंत्री सहित देश के अन्य संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों की ओर से चढ़ाई जाने वाली चादरों पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है। यह गुहार हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर की न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या-दो कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र के माध्यम से लगाई है।

इस महत्वपूर्ण मामले पर बुधवार को सिविल न्यायाधीश के अवकाश पर होने के कारण लिंक कोर्ट में सुनवाई हुई। वादी पक्ष की ओर से, जिसमें विष्णु गुप्ता और उनके वकील शामिल थे, कोर्ट में अपनी दलीलें पूरी कर ली गई हैं।

दरगाह में संकट मोचन शिव मंदिर होने का दावा

विष्णु गुप्ता ने पहले भी अजमेर दरगाह परिसर में संकट मोचन शिव मंदिर होने का दावा करते हुए एक वाद पेश किया था। यह नया प्रार्थना पत्र उसी मूल मामले से जुड़ा हुआ है।

गुप्ता का तर्क है कि जब तक दरगाह के स्वरूप को लेकर विवाद चल रहा है, तब तक संवैधानिक पदों की ओर से चादर चढ़ाना उचित नहीं है। वादी के साथ हाईकोर्ट के एडवोकेट संदीप कुमार भी सुनवाई के समय मौजूद रहे, जिन्होंने कोर्ट में सशक्त तरीके से अपना पक्ष रखा।

सुनवाई के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए सिविल लाइंस थाना पुलिस का जाब्ता भी अदालत परिसर में तैनात रहा, जिससे सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही।

फोटो-वीडियो पोस्ट करने से विधिक अधिकारों का हनन

एडवोकेट संदीप कुमार ने कोर्ट को बताया कि उर्स का पर्व शुरू होने वाला है और इस दौरान कभी भी प्रधानमंत्री सहित अन्य संवैधानिक पदों की ओर से चादर पेश की जा सकती है। यह चादर आमतौर पर अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा पेश की जाती है।

चादर पेश करने के बाद अल्पसंख्यक मंत्रालय अपनी आधिकारिक वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इससे संबंधित फोटो और वीडियो पोस्ट करता है। एडवोकेट ने इस पर गंभीर आपत्ति जताई।

उन्होंने तर्क दिया कि इन फोटो और वीडियो को सार्वजनिक रूप से पोस्ट करने से उनके विधिक अधिकारों का हनन हो रहा है। इसलिए, इस प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए ताकि कानूनी विवाद के दौरान किसी भी पक्ष के अधिकारों का उल्लंघन न हो।

प्रतिवादियों की अनुपस्थिति और कोर्ट का आदेश

एडवोकेट संदीप कुमार ने न्यायालय को यह भी जानकारी दी कि इस मामले में प्रतिवादियों को 8 दिसंबर को ही नोटिस जारी किए जा चुके थे। इन नोटिसों के बावजूद, बुधवार को हुई सुनवाई में प्रतिवादी पक्ष का कोई भी एडवोकेट उपस्थित नहीं हुआ।

अजमेर न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या-दो में न्यायाधीश मनमोहन चंदेल की अदालत में यह सुनवाई निर्धारित थी, लेकिन उनके अवकाश पर होने के कारण इसे लिंक कोर्ट में स्थानांतरित किया गया।

प्रतिवादियों की अनुपस्थिति और वादी पक्ष की दलीलें सुनने के बाद, न्यायालय ने प्रार्थना पत्र पर सुनवाई पूरी करते हुए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। अब इस मामले में कोर्ट के आगामी फैसले का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है, जिसका असर अजमेर दरगाह से जुड़े विवाद पर पड़ सकता है।

Must Read: जोधपुर में राव अचलदास जी खींची जयंती पर साका स्मरण, शक्ति सिंह बांदीकुई ने की शिरकत

पढें ज़िंदगानी खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News) के लिए डाउनलोड करें thinQ360 App.

  • Follow us on :