Highlights
- संयम लोढ़ा ने राज्यपाल को सिरोही जिला परिषद में भ्रष्टाचार के खिलाफ ज्ञापन सौंपा।
- पेचका से खेतलाजी मंदिर तक सीसी सड़क निर्माण में अनियमितताओं का आरोप।
- अपात्र फर्म को टेंडर देने और निजी भूमि पर कार्य करने के गंभीर आरोप।
- राज्यपाल से निष्पक्ष जांच, फर्म को ब्लैकलिस्ट करने और दोषियों पर कार्रवाई की मांग।
सिरोही (Sirohi)। राजस्थान के पूर्व विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के सलाहकार रहे संयम लोढ़ा (Sanyam Lodha) ने सिरोही जिला परिषद (Sirohi District Council) में कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े (Haribhau Bagde) को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा है। लोढ़ा ने राज्य वित्त आयोग (State Finance Commission) की षष्ठम योजना के तहत स्वीकृत कार्यों में भारी अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है, जिससे जिले के राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है।
मुख्य आरोप और अनियमितताएं
ज्ञापन में विशेष रूप से पेचका (Pechka) से खेतलाजी मंदिर (Khetlaji Temple) तक सीसी सड़क (CC Road) और नाली निर्माण कार्य (Drain Construction) का उल्लेख किया गया है, जिसकी स्वीकृति 34.59 लाख रुपये की थी। लोढ़ा ने आरोप लगाया है कि इस कार्य में गलत जानकारी, अनुचित टेंडर (Tender) प्रक्रिया और नियमों का खुला उल्लंघन किया गया है।
संयम लोढ़ा ने अपने ज्ञापन में कई गंभीर बिंदु उठाए हैं:
- असक्षम फर्म को टेंडर: मांडानी कन्सट्रक्शन (Mandani Construction) नामक फर्म को 34.59 लाख रुपये का कार्य दिया गया, जबकि उसकी पात्रता केवल 30 लाख रुपये तक के काम के लिए थी। यह नियमों का सीधा उल्लंघन है।
- हितों का टकराव: फर्म के प्रोपराइटर (Proprietor) के पिता सिरोही जिला परिषद के वर्तमान सदस्य हैं। नियमों के अनुसार, ऐसे मामलों में हितों के टकराव के कारण फर्म कार्य के लिए पात्र नहीं होती।
- गलत स्थान पर कार्य: ग्राम पंचायत (Gram Panchayat) द्वारा कार्य की स्वीकृति खसरा नंबर 239 (Khasra No. 239) में दिखाई गई थी, लेकिन सड़क का निर्माण आठ अन्य खसरों में कर दिया गया। इनमें से तीन खसरे निजी खातेदारी भूमि (Private Land) पर स्थित हैं, जो सरकारी धन के दुरुपयोग का स्पष्ट मामला है।
- धार्मिक स्थल का बहाना: जिला परिषद ने सड़क को खेतलाजी मंदिर से जुड़ा बताया, जबकि यह मंदिर भी निजी खातेदारी भूमि पर स्थित है। इस प्रकार, धार्मिक स्थल के नाम पर निजी भूमि पर सरकारी धन खर्च करने का आरोप है।
जांच में लीपापोती का आरोप
लोढ़ा ने यह भी आरोप लगाया है कि जिला परिषद और संबंधित अधिकारियों ने शासन सचिव (Government Secretary) और आयुक्त पंचायत राज विभाग (Commissioner Panchayat Raj Department) के स्पष्ट आदेशों के बावजूद इस मामले की जांच में लीपापोती की और वास्तविक भ्रष्टाचार को छुपाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने जानबूझकर तथ्यों को छिपाया और दोषियों को बचाने की कोशिश की।
राज्यपाल से की गई मांगें
संयम लोढ़ा ने राज्यपाल से इस पूरे प्रकरण की गंभीरता से संज्ञान लेने और अन्य जिले के अधिकारियों से निष्पक्ष जांच करवाने की मांग की है। उन्होंने यह भी मांग की है कि दोषी फर्म मांडानी कन्सट्रक्शन को तत्काल ब्लैकलिस्ट (Blacklist) किया जाए और इस भ्रष्टाचार में शामिल सभी दोषी कर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही, सरकारी राशि का जो दुरुपयोग हुआ है, उसकी वसूली सुनिश्चित करने की भी मांग की गई है।
अपने आरोपों को पुष्ट करने के लिए, लोढ़ा ने ज्ञापन के साथ संवेदक का श्रेणी प्रमाणपत्र (Contractor's Class Certificate), वित्तीय स्वीकृति की प्रतिलिपि (Copy of Financial Sanction), फर्म का रजिस्ट्रेशन (Firm Registration), ग्राम पंचायत का प्रपत्र-5 (Gram Panchayat Form-5) और तहसीलदार (Tehsildar) की रिपोर्ट जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज भी संलग्न किए हैं। यह मामला अब सिरोही की राजनीति और प्रशासनिक हलकों में गरमा गया है और आगे की कार्रवाई का इंतजार है।