Rajasthan: राजस्थान के 612 अस्पतालों में गड़बड़ी, मंत्री ने मांगी रिपोर्ट

राजस्थान के 612 अस्पतालों में गड़बड़ी, मंत्री ने मांगी रिपोर्ट
अस्पतालों में गड़बड़ी, कार्रवाई की तैयारी
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Highlights

  • 824 अस्पतालों की जांच में 612 में मिलीं गड़बड़ियां।
  • स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्रसिंह खींवसर ने दिए सुधार के निर्देश।
  • 147 डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ पर होगी कार्रवाई।
  • 60% से अधिक संस्थानों में फायर सेफ्टी प्रबंधन खराब।

जयपुर: राजस्थान (Rajasthan) के 824 अस्पतालों की जांच में 612 में गड़बड़ी पाई गई। स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्रसिंह खींवसर (Gajendra Singh Khinvsar) ने सुधार और कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, जिसमें 147 स्टाफ पर चार्जशीट भी शामिल है।

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्रसिंह खींवसर की पहल पर राज्य के 947 में से 824 चिकित्सा संस्थानों का सघन निरीक्षण किया गया था। यह एक व्यापक अभियान था जिसका उद्देश्य राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत को जानना था।

जांच दल ने 28 अलग-अलग पैमानों पर सुविधाओं, उपकरणों, डॉक्टर और अन्य स्टाफ की उपलब्धता और उनकी कार्यप्रणाली को परखा। इसमें फायर सिस्टम की कार्यक्षमता से लेकर मरीजों की सुरक्षा संबंधी खतरों तक की गहनता से जांच की गई।

612 अस्पतालों में पाई गईं गंभीर गड़बड़ियां

जांच रिपोर्ट के अनुसार, कुल 824 में से 612 अस्पतालों में विभिन्न प्रकार की अनियमितताएं और गंभीर कमियां सामने आई हैं। इन गड़बड़ियों में चिकित्सा स्टाफ की भारी कमी, एंबुलेंस सेवाओं का अभाव या उनकी खराब स्थिति, और जीवनरक्षक उपकरणों की अनुपलब्धता प्रमुख हैं।

इसके अतिरिक्त, फायर सिस्टम में खामियां, आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की कमी, संक्रमण नियंत्रण प्रोटोकॉल में लापरवाही, वार्डों में स्वच्छता का अभाव और विशेषकर प्रसूता महिलाओं के लिए आवश्यक सुविधाओं की कमी भी उजागर हुई है। यह विस्तृत रिपोर्ट अब स्वास्थ्य मंत्री को सौंप दी गई है, जो आगे की रणनीति तय करने में सहायक होगी।

सुधार और कड़ी कार्रवाई की तैयारी

स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्रसिंह खींवसर आगामी बजट सत्र से पहले इन 824 अस्पतालों में व्यापक सुधार के लिए एक विस्तृत बजट योजना तैयार कर रहे हैं। उनका स्पष्ट लक्ष्य है कि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड (IPHS) के उच्च मानकों के अनुरूप लाया जाए, ताकि आम जनता को बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ मिल सकें।

जांच रिपोर्ट के आधार पर लगभग 147 डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ पर कार्रवाई लंबित रखी गई है। इन सभी को जल्द ही चार्जशीट जारी की जाएगी, जिससे उनकी जवाबदेही तय की जा सके और भविष्य में ऐसी लापरवाही को रोका जा सके।

मंत्री ने 612 गड़बड़ी वाले अस्पतालों से तत्काल स्पष्टीकरण भी मांगने के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों ने विशेष रूप से एंबुलेंस की स्थिति, उसमें सभी जीवनरक्षक उपकरणों की उपलब्धता और उनकी क्रियाशीलता की गहनता से जांच की थी, ताकि आपातकालीन सेवाओं में कोई चूक न हो।

फायर सेफ्टी प्रबंधन पर विशेष ध्यान

निरीक्षण में एक और बेहद गंभीर पहलू सामने आया है, जो सार्वजनिक सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है। प्रदेशभर के 60 प्रतिशत से अधिक चिकित्सा संस्थानों, जिनमें जिला अस्पताल से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) शामिल हैं, में फायर सेफ्टी उपकरण और अन्य संबंधित व्यवस्थाएं खराब मिली हैं।

ऐसे करीब 648 से अधिक अस्पताल हैं, जहां आग से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं, जिससे मरीजों और स्टाफ दोनों की जान को खतरा हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने ऐसे संस्थानों के लिए एक नई गाइडलाइन भेजने और उसकी सख्ती से पालना करने के निर्देश दिए हैं, ताकि भविष्य में किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड का मूल्यांकन

राज्य स्तर, जोन, जिला और ब्लॉक स्तर के अधिकारियों ने मिलकर 824 चिकित्सा संस्थानों का सघन निरीक्षण किया। इस दौरान इण्डियन पब्लिक हेल्थ स्टेंडर्ड (IPHS) के मानकों को बारीकी से जांचा गया, जो देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण बेंचमार्क है।

जांच में पाई गई कमियों के आधार पर अब सुधार के लिए आवश्यक और ठोस कदम उठाए जाएंगे। प्रदेशभर के चिकित्सा संस्थानों में मानकों को बेहतर करने की दृष्टि से 5 नवंबर से 7 नवंबर तक एक विशेष सघन निरीक्षण अभियान चलाया गया था, जिसने इन कमियों को उजागर किया।

विभिन्न स्तरों पर निरीक्षण किए गए संस्थान

इस महत्वपूर्ण अभियान के तहत प्रदेश के 3 जिला अस्पताल, 24 उप जिला अस्पताल, 1 सैटेलाइट अस्पताल, 126 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी), 274 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और 396 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का गहन निरीक्षण किया गया।

निरीक्षण के दौरान मिली कमियों के आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसमें प्रत्येक संस्थान की स्थिति का स्पष्ट विवरण है। चिकित्सा अधिकारियों ने विशेष रूप से एंबुलेंस सेवाओं की स्थिति का भी जायजा लिया, ताकि आपातकालीन परिवहन सेवाओं में कोई कमी न रहे और मरीजों को समय पर सहायता मिल सके।

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