करवा माता मंदिर: मनोकामनाएं पूरी होती हैं: राजस्थान का पहला करवा चौथ माता मंदिर: जहां हर मुराद होती पूरी

राजस्थान का पहला करवा चौथ माता मंदिर: जहां हर मुराद होती पूरी
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Highlights

  • भारत का पहला चौथ माता मंदिर सवाई माधोपुर में स्थित है।
  • यह मंदिर 1451 ईस्वी में महाराजा भीम सिंह द्वारा बनवाया गया था।
  • करवा चौथ पर यहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
  • भक्तों का मानना है कि यहां मांगी हर मुराद पूरी होती है।

जयपुर: राजस्थान (Rajasthan) के सवाई माधोपुर (Sawai Madhopur) में स्थित करवा माता मंदिर (Karwa Mata Mandir) भारत का पहला चौथ माता मंदिर (Chauth Mata Temple) माना जाता है। यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है, खासकर करवा चौथ (Karwa Chauth) पर। इसे महाराजा भीम सिंह (Maharaja Bhim Singh) ने 1451 ईस्वी में बनवाया था।

करवा माता मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा कस्बे में स्थित करवा माता मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन और गौरवशाली है।

यह मंदिर लगभग 573 साल पुराना है, जिसका निर्माण 1451 ईस्वी में महाराजा भीम सिंह ने करवाया था।

महाराजा भीम सिंह अपनी रानी के कहने पर इस मंदिर को बनवाने के लिए प्रेरित हुए थे।

मंदिर की स्थापना के बाद से ही यह क्षेत्र धार्मिक आस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है।

इसे भारत का पहला और सबसे प्राचीन चौथ माता मंदिर होने का गौरव प्राप्त है।

चौथ माता का स्वरूप और मान्यताएं

चौथ माता को देवी पार्वती का ही एक स्वरूप माना जाता है।

यह मंदिर विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए आस्था का प्रतीक है।

महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए यहां प्रार्थना करती हैं।

ऐसी मान्यता है कि चौथ माता के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना अवश्य पूरी होती है, ऐसा लोगों का अटूट विश्वास है।

करवा चौथ पर विशेष आयोजन

करवा चौथ का त्योहार इस मंदिर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

करवा चौथ के दिन यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

सुबह से ही महिलाएं माता के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए कतारों में खड़ी हो जाती हैं।

इस दिन विशेष अनुष्ठान और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।

मंदिर परिसर में एक उत्सव जैसा माहौल देखने को मिलता है।

महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा और पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं और माता से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

मंदिर की भौगोलिक स्थिति और वास्तुकला

करवा माता मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है, जहां तक पहुंचने के लिए लगभग 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।

पहाड़ी की चोटी से आसपास का मनोरम दृश्य दिखाई देता है।

मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी शैली का एक सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करती है।

मंदिर के पास ही चौथ का बरवाड़ा झील भी स्थित है, जो इसकी सुंदरता को और बढ़ाती है।

यह स्थान न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी जाना जाता है।

मनोकामना पूर्ति का केंद्र

करवा माता मंदिर को मनोकामना पूर्ति का एक शक्तिशाली केंद्र माना जाता है।

जो भक्त सच्चे मन से यहां आकर प्रार्थना करते हैं, उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

संतान प्राप्ति, रोग मुक्ति और धन-धान्य की वृद्धि जैसी कई मनोकामनाएं यहां पूरी होती हैं।

यह मंदिर राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग है।

हर साल हजारों श्रद्धालु यहां आकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

यह मंदिर आने वाली पीढ़ियों के लिए भी आस्था और प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।

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