Highlights
- राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन में खिलाड़ियों के चयन पर जांच के आदेश।
- एडहॉक कमेटी के कन्वीनर दीनदयाल कुमावत पर अनियमितताओं के आरोप।
- खेल परिषद के सचिव सुनील भाटी सात दिन में सौंपेंगे रिपोर्ट।
- कन्वीनर कुमावत ने आरोपों को आईपीएल से जुड़ा प्रोपगेंडा बताया।
जयपुर: राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (Rajasthan Cricket Association - RCA) की एडहॉक कमेटी (Ad-hoc Committee) के कन्वीनर (Convenor) दीनदयाल कुमावत (Deendayal Kumawat) के खिलाफ खिलाड़ियों के चयन में अनियमितता की शिकायत पर सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं।
जांच के आदेश और आरोप
राजस्थान खेल परिषद ने राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) की एडहॉक कमेटी के कन्वीनर दीनदयाल कुमावत के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं।
परिषद के सचिव सुनील भाटी को पूरे मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया है।
खेल विभाग के शासन सचिव नीरज कुमार पवन ने बताया कि एडहॉक कमेटी के चार सदस्यों पिंकेश जैन, मोहित यादव, आशीष तिवारी और धनंजय सिंह खींवसर ने खेल मंत्री और सहकारिता विभाग के अधिकारियों से शिकायत की थी।
उन्होंने कन्वीनर दीनदयाल कुमावत पर खिलाड़ियों के चयन, होटल बुकिंग, किट बैग की खरीद और खर्चों में अनियमितता जैसे गंभीर आरोप लगाए।
इसके बाद राज्य सरकार ने इस पूरे मामले की जांच का आदेश जारी किया।
शिकायतकर्ता सदस्यों का कहना है कि कुमावत ने एडहॉक कमेटी में तानाशाही रवैया अपनाते हुए कई निर्णय एकतरफा लिए हैं।
सचिव सुनील भाटी सात दिन में रिपोर्ट तैयार कर खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह को सौंपेंगे।
कन्वीनर कुमावत का पलटवार: आरोपों को बताया बेबुनियाद
आरसीए एडहॉक कमेटी के कन्वीनर दीनदयाल कुमावत ने खुद पर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है।
उन्होंने कहा कि खेल परिषद की ओर से 9 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार को उजागर करने के बाद विभाग के अधिकारी अब उन्हें डराने की कोशिश कर रहे हैं।
कुमावत के अनुसार, यह पूरा प्रोपगेंडा सिर्फ इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के आयोजन को लेकर रचा गया है ताकि फिर से खेल परिषद को आईपीएल की जिम्मेदारी मिल सके।
उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले साल लीग के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ था, जिसमें खुद नीरज कुमार पवन शामिल हैं, जो कांग्रेस विचारधारा से जुड़े अधिकारी हैं।
आरसीए में बढ़ता आंतरिक विवाद
आरसीए में पिछले एक महीने से खींचतान लगातार बढ़ रही है।
पांच सदस्यीय एडहॉक कमेटी के चार सदस्य कन्वीनर के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं।
इस आंतरिक विवाद के चलते राज्य की क्रिकेट गतिविधियों, खिलाड़ियों के चयन और टूर्नामेंट संचालन पर भी असर पड़ा है।
पिछले दिनों जहां सीनियर सिलेक्शन कमेटी को भंग कर नई कमेटी का गठन किया गया, वहीं दीपावली स्नेह मिलन को लेकर भी विवाद जारी है।
ऐसे में अब सरकार की ओर से गठित जांच समिति आरसीए में पिछले कुछ महीनों में हुए सभी वित्तीय और प्रशासनिक निर्णयों की समीक्षा करेगी।
जांच रिपोर्ट आने के बाद इस मामले में आगे की कार्रवाई तय होगी।
लोकपाल तक पहुंचा मामला और कुमावत का इस्तीफा प्रस्ताव
आरसीए में सियासी खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है, और यह विवाद अब लोकपाल तक पहुंच गया है।
एडहॉक कमेटी के सदस्यों और संयोजक के बीच गंभीर मतभेद सामने आए हैं।
दीनदयाल कुमावत ने कहा है कि अगर उन पर भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होते हैं, तो वह खुद इस्तीफा देकर चले जाएंगे।
एडहॉक कमेटी के सदस्य धनंजय सिंह खींवसर ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि आज हुई एडहॉक कमेटी की बैठक में संयोजक डीडी कुमावत शामिल नहीं हुए।
खींवसर ने आरोप लगाया कि कुमावत ने एकतरफा फैसले लिए हैं, जबकि कमेटी के चारों सदस्यों की सहमति जरूरी थी।

डीडी कुमावत को जोधपुर जिला क्रिकेट संघ को डिसक्वालिफाई करने का अधिकार नहीं
धनंजय सिंह खींवसर ने यह भी आरोप लगाया कि डीडी कुमावत को जोधपुर जिला क्रिकेट संघ (डीसीए) को डिसक्वालिफाई करने का कोई अधिकार नहीं था।
इस निर्णय पर किसी सदस्य की राय नहीं ली गई और न ही लोकपाल की नियुक्ति में उनकी सहमति शामिल थी।
खींवसर ने खुलासा किया कि पिछले साढ़े तीन महीनों से कोई बैठक नहीं बुलाई गई है, जिससे एडहॉक कमेटी के फैसले अब पूरी तरह एकतरफा हो गए हैं।
उन्होंने बताया कि आज की बैठक में आशीष तिवाड़ी, पिंकेश पोरवाल और वे स्वयं मौजूद रहे, जबकि चौथे सदस्य मोहित यादव अनुपस्थित रहे।
कन्वीनर का आरोपों पर स्पष्टीकरण
बैठक के बाद संयोजक डीडी कुमावत भी आरसीए कार्यालय पहुंचे और अपना पक्ष रखा।
उन्होंने कहा कि उन्हें मीटिंग की सूचना परसों देर रात मेल के जरिए मिली थी।
कुमावत ने यह भी कहा कि जिन लोगों ने बैठक बुलाई, उन्हें ऐसा करने का अधिकार नहीं था, क्योंकि वे खुद हाईकोर्ट के आदेश से सस्पेंड हैं।
डीडी कुमावत ने आगे स्पष्ट किया कि यह मीटिंग अत्यावश्यक नहीं थी और ऐसी स्थिति में कम से कम सात दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए था।
उन्होंने धनंजय सिंह को अपने छोटे भाई जैसा बताया, लेकिन कहा कि उन्हें कानून का पालन करना होगा।
कुमावत ने स्पष्ट किया कि सभी टेंडर से संबंधित कार्य फिलहाल एडहॉक कमेटी के पास हैं।
उन्होंने दोहराया कि आज की बैठक में शामिल तीन में से एक सदस्य सस्पेंड है, इसलिए वह बैठक वैध नहीं मानी जा सकती।
कुमावत ने बताया कि फिलहाल इस मामले की जांच लोकपाल के पास है और उनके फैसले के बाद ही कुछ बता पाएंगे।
राजस्थान क्रिकेट पर असर
आरसीए में बीते कुछ महीनों से एडहॉक कमेटी के भीतर अधिकारों और निर्णय प्रक्रिया को लेकर लगातार मतभेद सामने आ रहे हैं।
इस अंदरूनी सियासी जंग ने राजस्थान क्रिकेट की गतिविधियों पर भी नकारात्मक असर डालना शुरू कर दिया है।
जिससे न सिर्फ राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के भविष्य में होने वाले टूर्नामेंट बल्कि, राजस्थान की टीमों से खेलने वाले खिलाड़ी भी असमंजस की स्थिति में आ गए हैं।
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