Highlights
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सिरोही जिला अस्पताल की मोर्चरी के बाहर जलभराव और कीचड़ से शववैन एक घंटे तक फंसी रही।
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परिजनों ने मजबूरी में शव को कंधों पर उठाकर घुटनों तक भरे पानी और कीचड़ से होकर मोर्चरी तक पहुँचाया।
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ट्रैक्टर की मदद से वैन बाहर निकाली गई, लेकिन लौटते समय खाली वैन फिर से कीचड़ में धंस गई।
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पीएमओ मौके पर मौजूद रहे, फिर भी हालात सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
सिरोही। जिला अस्पताल की मोर्चरी के बाहर जलभराव और कीचड़ ने हालात को इतना बदतर बना दिया कि एक मासूम बालिका का शव करीब एक घंटे तक वैन में ही फंसा रहा। पानी और कीचड़ में धंसी वैन को बाहर निकालने के लिए ट्रैक्टर तक बुलाना पड़ा।
शव को कंधों पर उठाकर ले गए परिजन
वैन बाहर निकलने के बाद भी शव को मोर्चरी तक पहुंचाना आसान नहीं था। मजबूरी में परिजनों ने शव को अपने हाथों में उठाया और घुटनों तक भरे पानी व कीचड़ से गुजरकर मोर्चरी तक पहुंचाया। इस दौरान परिजनों और पुलिसकर्मियों को भी मोर्चरी तक पहुंचने के लिए पानी और कीचड़ से होकर गुजरना पड़ा। कुछ लोग हालात से बचने के लिए दीवार फांदकर अंदर पहुंचे।
पीएमओ मौके पर रहे मौजूद, पर हालात जस के तस
सबसे गंभीर पहलू यह रहा कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी (PMO) डॉ. वीरेंद्र महात्मा मौके पर मौजूद रहे। वे हालात देखते रहे लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। दो दिन पहले भी पूर्व विधायक के दौरे के समय पीएमओ वहीं मौजूद थे, इसके बावजूद व्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं हुआ।
बार-बार कीचड़ में फंस रही वैन
कई दिनों से मोर्चरी परिसर में जलभराव की स्थिति बनी हुई है। शव लेकर पहुंची वैन कीचड़ में धंस गई। काफी मशक्कत के बाद ट्रैक्टर की मदद से वैन को बाहर निकाला गया। लेकिन लौटते वक्त खाली वैन फिर से कीचड़ में अटक गई, जिससे हालात और भी बिगड़ गए।
प्रशासनिक लापरवाही पर उठे सवाल
यह पूरा घटनाक्रम अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और अव्यवस्था को उजागर करता है। सवाल यह है कि जब अस्पताल प्रशासन को हालात की जानकारी पहले से थी, तो व्यवस्था सुधारने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए गए। यह घटना न सिर्फ स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि मृत्यु के बाद भी लोगों को चैन नहीं मिल रहा।