Highlights
- साजिद अकरम और उसके बेटे नवीद ने सिडनी में 15 यहूदियों की हत्या की।
- तेलंगाना पुलिस ने साजिद के हैदराबाद कनेक्शन की पुष्टि की।
- बाप-बेटे का फिलीपींस में आतंकी ट्रेनिंग लेने का संदेह।
- नवीद के पुराने वीडियो से सुरक्षा एजेंसियों की नजर में था।
हैदराबाद:सिडनी (Sydney) में 15 यहूदियों की हत्या करने वाले साजिद अकरम (Sajid Akram) का संबंध हैदराबाद (Hyderabad) से है। तेलंगाना पुलिस (Telangana Police) ने पुष्टि की कि वह 27 साल पहले ऑस्ट्रेलिया (Australia) चला गया था, जहां उसने एक ईसाई महिला से शादी की। उसके बेटे नवीद (Naveed) के साथ मिलकर उसने बॉन्डी बीच (Bondi Beach) पर हमला किया। जांच में उनके ISIS कनेक्शन का संदेह है।
हैदराबाद के टोलीचौकी में साजिद अकरम का परिवार रहता है, जिसके घर पर अब ताला लटका है। तेलंगाना एटीएस की टीम घर के आसपास मौजूद है और गली में सन्नाटा पसरा है।
साजिद और उसके बेटे नवीद ने 14 दिसंबर को ऑस्ट्रेलिया की राजधानी सिडनी में बॉन्डी बीच पर फेस्टिवल मना रहे 15 यहूदियों की हत्या कर दी थी।
शुरुआत में खबरें आई थीं कि साजिद पाकिस्तानी मूल का है। लेकिन 16 दिसंबर को तेलंगाना पुलिस ने बताया कि वह हैदराबाद का रहने वाला है और 27 साल पहले ऑस्ट्रेलिया चला गया था।
साजिद का भारतीय कनेक्शन और पारिवारिक विवाद
साजिद ने हैदराबाद से बी.कॉम की पढ़ाई पूरी की थी। नवंबर 1998 में वह स्टूडेंट वीजा पर ऑस्ट्रेलिया चला गया।
वहां उसने इटली मूल की वेनेरा ग्रोसो से शादी की और वहीं स्थायी रूप से बस गया। उसके बेटे नवीद का जन्म ऑस्ट्रेलिया में ही हुआ था।
साजिद ने 2001 में अपना वीजा पार्टनर वीजा में बदलवा लिया था। उसके पिता सऊदी अरब में रहते थे और वहां से लौटने के बाद उन्होंने हैदराबाद में एक अपार्टमेंट खरीदा था।
इसी दौरान साजिद ऑस्ट्रेलिया चला गया था। जांच में पता चला है कि साजिद कुछ साल पहले हैदराबाद आया था।
तब उसका अपने भाई से प्रॉपर्टी को लेकर विवाद हुआ था। बॉन्डी बीच पर हमले के बाद साजिद के भाई सामने नहीं आ रहे हैं।
उनके मुताबिक, उनका साजिद से कई सालों से संपर्क नहीं था। वह 27 साल पहले हैदराबाद छोड़कर ऑस्ट्रेलिया चला गया था।
वहां उसने एक ईसाई महिला से शादी कर ली, जिसके बाद परिवार ने उससे रिश्ता तोड़ लिया था। उसकी अम्मी की उम्र 80 साल हो गई है और वह बीमार रहती हैं।
साजिद ने कभी उनका हाल-चाल नहीं पूछा।
वहीं, साजिद के रिश्तेदार बताते हैं कि ऑस्ट्रेलिया जाने के बाद वह छह बार भारत आया है। वह ज्यादातर प्रॉपर्टी से जुड़े मामलों या बुजुर्ग माता-पिता से मिलने ही आया।
उसके अब्बू के इंतकाल के वक्त भी वह भारत नहीं आया था। परिवार को साजिद या उसके बेटे की कट्टरपंथी सोच के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
तेलंगाना पुलिस के मुताबिक, भारत छोड़ने से पहले साजिद का कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं था। टोलीचौकी में रहने वाले एक शख्स, जो खुद को साजिद के परिवार का करीबी बताते हैं, ने भी विवाद की वजह से साजिद के घरवालों से कई साल पहले ही रिश्ता तोड़ लेने की बात कही।
ISIS कनेक्शन और फिलीपींस में संदिग्ध ट्रेनिंग
1 नवंबर, 2025 को साजिद और नवीद सिडनी से फिलीपींस गए थे। ऑस्ट्रेलिया की पुलिस के मुताबिक, वे फिलीपींस में 28 दिन रुके थे।
उन्होंने बताया था कि वे दावो जा रहे हैं। फिलीपींस के इमिग्रेशन अफसरों के मुताबिक, साजिद ने भारतीय पासपोर्ट और नवीद ने ऑस्ट्रेलियाई पासपोर्ट पर यात्रा की थी।
28 नवंबर को दोनों दावो से राजधानी मनीला की कनेक्टिंग फ्लाइट से सिडनी वापस चले गए। दावो शहर साउथ फिलीपींस के मिंडानाओ द्वीप में स्थित है।
यहां करीब 4% आबादी मुस्लिम है और फिलीपींस की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी यहीं है। दावो और इससे करीब 400 किलोमीटर दूर मरावी शहर आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) का गढ़ माना जाता था।
आईएस भले ही 8 साल पहले खत्म हो चुका है, लेकिन इसके समर्थक अब भी मौजूद हैं। जांच एजेंसियों को पता चला है कि साजिद और नवीद हमले की ट्रेनिंग लेने दावो गए थे।
ऑस्ट्रेलिया ने 2014 में इस्लामिक स्टेट पर प्रतिबंध लगा दिया था। ऑस्ट्रेलिया के जांच अधिकारी ने बताया कि बाप-बेटे फिलीपींस क्यों गए थे, इसकी जांच की जा रही है।
उन्होंने फिलीपींस अथॉरिटी से दोनों के वहां के ठिकानों और गतिविधियों की जानकारी मांगी है। साउथ फिलीपींस में इस्लामिक स्टेट से जुड़े कुछ गुट सक्रिय हैं।
अंदेशा है कि बाप-बेटे ने हमले से एक महीने पहले फिलीपींस में ट्रेनिंग ली थी।
नवीद की कट्टरपंथी सोच और सुरक्षा एजेंसियों की चूक
साजिद के बेटे नवीद अकरम का एक वीडियो सामने आया है। यह वीडियो सिडनी की सड़क पर 6 साल पहले शूट किया गया था।
तब नवीद की उम्र करीब 18 साल थी। नवीद ने 12वीं तक ही पढ़ाई की है और वह सिडनी में कंस्ट्रक्शन साइट पर मिस्त्री का काम करता था।
वीडियो में नवीद कह रहा है, “अल्लाह एक है और मोहम्मद अल्लाह के मैसेंजर हैं। यह मैसेज हर किसी तक पहुंचाओ। अल्लाह का कानून, किसी भी दूसरे काम या पढ़ाई से ज्यादा जरूरी है। मैं यह जितना कहूं, उतना कम है।”
सोर्स बताते हैं कि यह वीडियो सामने आने के बाद से ही ऑस्ट्रेलिया की सिक्योरिटी इंटेलिजेंस ऑर्गनाइजेशन (एएसआईओ) ने नवीद पर नजर रखनी शुरू कर दी थी।
उसे टेररिस्ट वॉचलिस्ट में भी रखा गया था और उसके सोशल मीडिया अकाउंट पर निगरानी रखी जा रही थी।
एजेंसियों को करीब 7-8 साल पहले नवीद के आईएसआईएस से रिश्तों के बारे में जानकारी मिली थी। इनपुट होने के बावजूद उसके अब्बू साजिद को 6 राइफल के लाइसेंस दे दिए गए।
2023 में इन लाइसेंसों को रिन्यू भी किया गया। साजिद ने स्पोर्ट्स क्लब का बहाना बनाकर ये लाइसेंस लिए थे।
राइफल खराब होने का बहाना बनाकर वह एक के बाद एक नया लाइसेंस लेता रहा। ऑस्ट्रेलिया टुडे के एडिटर अमित सरवाल कहते हैं कि जांच एजेंसियों की तरफ से कमी रही है।
शक के दायरे में होने के बावजूद साजिद के परिवार पर कार्रवाई नहीं हुई। मुझे लगता है कि इस्लामोफोबिया (इस्लाम के खिलाफ नफरत का भाव) का आरोप न लग जाए, इसलिए कार्रवाई नहीं की गई।
हमले के बाद की स्थिति और भारतीय पीड़ित
अमित सरवाल बताते हैं कि बॉन्डी बीच पर हमले में 3 भारतीय नौजवान भी घायल हुए हैं। हालांकि अब तक अस्पताल ने उनके बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।
हमले के बाद पुलिस ने साजिद को मौके पर ही मार गिराया था। नवीद को गोली लगी थी और सिडनी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था।
अस्पताल से जुड़े सोर्स बताते हैं कि नवीद कोमा से बाहर आ गया है। जांच एजेंसियां अब उससे पूछताछ कर रही हैं।
वहीं, नवीद की मां बताती हैं कि वह अच्छा लड़का था। उसे तो बंदूक चलाना भी नहीं आता था।
नवीद अपने वालिद के साथ फिशिंग करने गया था। वह बीच पर कैसे पहुंचा, उन्हें समझ ही नहीं आ रहा।
अमित सरवाल बताते हैं कि अब तक इस टेरर मॉड्यूल के दो लोग सामने आए हैं। पता नहीं ऑस्ट्रेलिया से कितने लोग फिलीपींस में छुट्टियां मनाने का बहाना बनाकर गए और ट्रेनिंग लेकर आए।
अब ऑस्ट्रेलिया पुलिस ऐसे लोगों का पता लगा रही है, जो हाल में फिलीपींस होकर आए हैं। या फिर वे लोग जो पहले मॉड्यूल का हिस्सा थे, लेकिन सक्रिय नहीं थे।
ऑस्ट्रेलिया में बढ़ता खौफ और बदलता सामाजिक माहौल
ऑस्ट्रेलिया की रेडियो प्रजेंटर एरिन मोलान बॉन्डी बीच के पास ही रहती हैं। एरिन के कई यहूदी दोस्त हैं, जिनके परिवार हमले के वक्त बीच पर मौजूद थे।
एरिन कहती हैं कि हमले के बाद वह बॉन्डी बीच गई थीं। लोग अपनों को याद करने के लिए इकट्ठा हुए थे।
ऑस्ट्रेलिया के लोगों के दिलों में खौफ बैठ गया है। वे यकीन नहीं कर पा रहे कि उनके शहर में यह कैसे हो गया।
एरिन आगे कहती हैं कि ऑस्ट्रेलिया में भारत से कई प्रवासी आते हैं। कानूनी तौर पर आए लोगों ने ऑस्ट्रेलिया की संस्कृति को समझा, सीखा और बेहतर बनाया है।
लेकिन हम ऐसे लोगों को नहीं आने देना चाहते, जो हमारी ही हत्या कर दें।
एरिन कहती हैं कि अक्टूबर 2023 में हमास के इजराइल पर हमले के बाद से ऑस्ट्रेलिया में हालात बदल गए हैं। हमास के हमले के दो दिन बाद हमने ऑस्ट्रेलिया में लोगों को जश्न मनाते देखा।
तब लोग नारेबाजी, आतिशबाजी कर यहूदियों की मौत का जश्न मना रहे थे। यह फ्री स्पीच नहीं है, बल्कि हेट स्पीच है।
इसके बाद भी किसी पर कार्रवाई नहीं की गई।
‘ऑस्ट्रेलिया में हिजबुल्ला और तालिबान के झंडे फहराए गए, तब भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। यहूदियों के पूजा स्थल सिनागॉग पर हमले हुए, उनके बच्चों को निशाना बनाया गया।
ऑस्ट्रेलिया में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर सरकार चुप रही। उल्टा सरकार ने फिलिस्तीन को राष्ट्र का दर्जा देने का ऐलान कर दिया।’
एरिन आगे कहती हैं कि भारत के लोग अच्छी तरह से आतंकवाद को समझते हैं। भारतीय आतंकवाद के शिकार रहे हैं।
हमें समझना होगा कि हम सभी एक ही खतरे के शिकार हैं।
बॉन्डी बीच हमला: भारत के लिए महत्वपूर्ण सबक
एंटी टेररिज्म एक्सपर्ट और रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी कहते हैं कि आईएस की ट्रेनिंग दो स्तर पर होती है। पहला ब्रेनवॉश और दूसरा मिलिट्री ट्रेनिंग।
ब्रेनवॉश के तहत यह ट्रेनिंग दी जाती है कि मजहब का रास्ता ही सही है। फिर हथियारों की ट्रेनिंग दी गई होगी।
इस्लामिक स्टेट ईरान और सीरिया तक सीमित नहीं है। उसका मकसद दुनिया में इस्लामिक खलीफा राज्य की स्थापना करना है।
आईएसआईएस ने बॉन्डी बीच पर अटैक की भी पूरी प्लानिंग की होगी। कैसे चुन-चुनकर यहूदियों को मारना है, इसकी पूरी ब्रीफिंग दी गई होगी।
आईएसआईएस इंटरनेट पर अच्छी ट्रेनिंग देने के लिए जाना जाता है। सारी प्लानिंग ऑनलाइन भी हुई होगी।
अब सुरक्षा एजेंसियां इसकी जांच करेंगी।
संजय कुलकर्णी आगे बताते हैं कि हमने भारत में पहलगाम हमला देखा है। ऑस्ट्रेलिया में आम लोगों को चुन-चुनकर मारा, वैसे ही पहलगाम में टूरिस्ट को मारा गया था।
भारत से हमलावरों का संबंध मिलने के बाद हमें भी सोचना होगा कि कैसे इस तरह की सोच हमारे आसपास भी हो सकती है।
ऐसी घटनाओं के बाद हमें अलर्ट रहना होगा। बतौर देश टेक्नोलॉजी, ह्यूमन इंटेलिजेंस और साइबर तकनीक को तेज करना होगा।
इस तरह के हमलों के बाद आंतरिक सुरक्षा को लेकर भी सतर्क होना चाहिए।
भारत की भौगोलिक स्थिति काफी संवेदनशील है। भारत को इस तरह के हमलों से बचने के लिए इंटेलिजेंस नेटवर्क को अलर्ट पर रखना होगा।
लाल किले पर हुए ब्लास्ट में हमने वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल देखा। कैसे पढ़े-लिखे डॉक्टर्स ने हमारे बीच रहते हुए बम ब्लास्ट की साजिश रची थी।
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने बॉन्डी बीच के हीरो को किया सम्मानित
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज बॉन्डी बीच पर हुए हमले के दौरान साजिद से बंदूक छीनने वाले अहमद अल अहमद से मिलने अस्पताल पहुंचे।
उन्होंने इस मुलाकात का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया।
साथ ही लिखा कि अहमद, आप ऑस्ट्रेलिया के हीरो हैं। आपने दूसरों की जान बचाने के लिए खुद को खतरे में डाला।
सबसे बुरे वक्त में हमें ऑस्ट्रेलियाइयों का सबसे बेहतरीन रूप देखने को मिलता है और रविवार रात हमने वही देखा। हर ऑस्ट्रेलियाई की ओर से मैं आपको धन्यवाद कहता हूं।
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