Rajasthan: थार हादसे में बेटे की मौत, पिता का आरोप- पुलिस ने दी जमानत

थार हादसे में बेटे की मौत, पिता का आरोप- पुलिस ने दी जमानत
थार से कुचला बेटा, पिता बोले- न्याय चाहिए
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Highlights

  • थार से कुचलकर युवक पारस व्यास की मौत के बाद महिला क्रिकेटर भव्या चौधरी को मिली जमानत।
  • मृतक के पिता ने पुलिस की कार्रवाई पर उठाए सवाल, न्याय की मांग की।
  • पुलिस पर कमजोर धाराओं में मामला दर्ज करने और जांच प्रभावित करने का आरोप।
  • वकील ने धारा 105 के तहत गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज करने की बात कही।

जयपुर: जयपुर (Jaipur) में थार (Thar) की टक्कर से युवक पारस व्यास (Paras Vyas) की मौत के बाद महिला क्रिकेटर भव्या चौधरी (Bhavya Chaudhary) को जमानत मिलने पर परिवार में गुस्सा है। पिता ने आरोप लगाया कि पुलिस ने आरोपी को तुरंत जमानत दे दी और न्याय नहीं मिल रहा है।

मृतक पारस व्यास के परिवार में इस जमानत को लेकर गहरा आक्रोश है। पारस के पिता मुकेश कुमार शर्मा ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि उनका बेटा चला गया, लेकिन आरोपी भव्या चौधरी को इतनी आसानी से जमानत मिल गई। उन्होंने आशंका जताई कि भविष्य में भी वह इसी तरह तेज रफ्तार थार चलाकर किसी और की जान ले सकती है। उन्होंने सवाल किया कि क्या यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा और अपने बच्चे, परिवार और समाज के लिए न्याय की मांग की।

यह घटना मंगलवार रात 2 दिसंबर को हुई थी, जब महिला क्रिकेटर भव्या चौधरी विधानसभा की तरफ से अपनी थार गाड़ी तेज रफ्तार में चला रही थीं। उन्होंने दो बाइक और एक स्कूटी को टक्कर मार दी। स्कूटी पर सवार 23 वर्षीय पारस व्यास की मौके पर ही मौत हो गई थी। हादसे के बाद पुलिस ने थार गाड़ी को जब्त कर लिया था, लेकिन टक्कर मारने के बाद भव्या चौधरी मौके से फरार हो गई थीं।

पुलिस की भूमिका पर सवाल और मां-बेटी पर आरोप

पारस व्यास के पिता मुकेश कुमार शर्मा ने पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस ने पहले उन्हें जानकारी दी थी कि थार प्रिया चौधरी के नाम पर रजिस्टर्ड है, लेकिन उसे बेच दिया गया था। हालांकि, बाद में यह जानकारी झूठी निकली और गाड़ी बेची नहीं गई थी। प्रिया चौधरी की बेटी भव्या चौधरी ही गाड़ी चला रही थीं। पिता का आरोप है कि पुलिस ने आरोपी को कब हिरासत में लिया, इसकी जानकारी तक नहीं दी गई और केवल दो घंटे के भीतर उसे जमानत दे दी गई।

मुकेश कुमार शर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस जांच को प्रभावित किया जा रहा है और अब तक आरोपी मां-बेटी (प्रिया चौधरी और भव्या चौधरी) सामने नहीं आई हैं। उन्होंने कहा कि दोनों की ओर से केस को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने सवाल किया कि किस शक्ति के तहत उन्हें छिपाया जा रहा है और अपने बच्चे के लिए न्याय की मांग की।

भव्या चौधरी का बयान और प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही

जांच अधिकारी राजेंद्र सिंह ने बताया कि भव्या चौधरी को 3 दिसंबर को इस मामले में जमानत मिल गई थी। पूछताछ के दौरान, भव्या चौधरी ने पुलिस को बताया कि वह एक क्रिकेटर हैं और आरसीए अकादमी जा रही थीं। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने केवल एक कार को टक्कर मारी थी।

हालांकि, प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही भव्या के बयान से अलग है। उन्होंने बताया कि एसयूवी बहुत तेज रफ्तार में थी। स्कूटी को टक्कर मारने के बाद, वह दो अन्य कारों से भी भिड़ी और उन्हें लगभग 50-60 मीटर तक घसीटती ले गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भव्या की थार की रफ्तार 80 से 100 किलोमीटर प्रतिघंटा के बीच थी, जो कि एक रिहायशी इलाके के लिए अत्यधिक तेज थी।

वकील ने बताई कमजोर धाराओं की सच्चाई

वरिष्ठ अधिवक्ता एके जैन ने इस मामले में पुलिस द्वारा लगाई गई धाराओं पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की धारा 281, धारा 106 (1), धारा 125 (ए) और मोटरयान अधिनियम 1988 की धारा 134 और धारा 187 जैसी कमजोर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। एक युवक की जान जाने के बावजूद आरोपी को जमानत मिल गई, जो चिंताजनक है।

वकील का कहना है कि पुलिस को धारा 105 के तहत मुकदमा दर्ज करना चाहिए था। तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने का मतलब जानबूझकर किसी की हत्या करने जैसा ही है। उन्होंने तर्क दिया कि इसे साधारण दुर्घटना के बजाय सदोष मानव-वध के प्रयास का मामला भी दर्ज करना चाहिए था, जो कि गैर-जमानती है और इसमें गंभीर सजा का प्रावधान है।

क्या कहती है भारतीय न्याय संहिता की धारा 105?

भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 105 गैर-इरादतन हत्या (culpable homicide not amounting to murder) के अपराध के लिए दंड का प्रावधान करती है। इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास या 5 से 10 साल तक की जेल और जुर्माने की सजा हो सकती है। यह धारा ऐसे मामलों में लागू होती है जहां हत्या का इरादा नहीं होता, लेकिन लापरवाही या जल्दबाजी इतनी अधिक होती है कि किसी की जान चली जाती है।

पारस व्यास की मौत ने एक हंसते-खेलते परिवार की खुशियां छीन लीं। वह एक लॉ स्टूडेंट था और म्यूजिक बैंड में सिंगर भी था। उसकी शादी भी तय हो चुकी थी और इस हादसे से ठीक एक दिन पहले उसकी शादी की बात पक्की हुई थी। परिवार अब अपने बेटे के लिए न्याय की उम्मीद कर रहा है।

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