Highlights
- स्कूल पर 18 महीने से बुलिंग की शिकायतों को अनसुना करने का आरोप।
- घटनास्थल से सबूतों से छेड़छाड़ और उसे धोने की आशंका।
- सीबीएसई जांच में स्कूल बच्चों को सुरक्षित माहौल देने में विफल पाया गया।
- अमायरा ने सुसाइड से पहले टीचर से 5 बार मदद मांगी थी, लेकिन अनसुनी की गई।
जयपुर: जयपुर (Jaipur) के नीरजा मोदी स्कूल (Neerja Modi School) को अमायरा सुसाइड केस (Amayra Suicide Case) में CBSE जांच में दोषी पाया गया है। रिपोर्ट में बुलिंग की शिकायतों को अनसुना करने और सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका सामने आई है। स्कूल को नोटिस जारी हुआ है।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने नीरजा मोदी स्कूल को अमायरा सुसाइड केस में दोषी ठहराया है। सीबीएसई की दो सदस्यीय कमेटी की जांच रिपोर्ट के बाद गुरुवार (20 नवंबर) को स्कूल को नोटिस जारी किया गया है। यह मामला 1 नवंबर 2025 का है, जब 9 साल की अमायरा ने स्कूल की चौथी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली थी।
जांच में सामने आई गंभीर लापरवाही
सीबीएसई की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, चौथी कक्षा की छात्रा अमायरा लगातार बुलिंग (अपमानजनक बातें, ताने) की शिकायतें कर रही थी, लेकिन स्कूल प्रबंधन और शिक्षकों ने इन शिकायतों को पूरी तरह से अनसुना कर दिया। इसके अलावा, फोरेंसिक जांच से पहले घटना स्थल को धोकर सबूतों से छेड़छाड़ करने जैसे गंभीर आरोप भी सामने आए हैं।
जांच कमेटी को सबसे ज्यादा जिस बात ने चौंकाया, वह यह थी कि अमायरा पिछले 18 महीनों से लगातार बुलिंग का शिकार हो रही थी। इसके बावजूद स्कूल के शिक्षकों और प्रबंधन ने इस गंभीर मुद्दे पर कोई ध्यान नहीं दिया। कमेटी ने 12 नवंबर को अमायरा के माता-पिता से भी मुलाकात की थी, जिन्होंने बुलिंग के बारे में विस्तृत जानकारी दी थी।
सबूतों से छेड़छाड़ और सुरक्षा में कमी
अमायरा के आत्महत्या करने के बाद सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका से भी जांच कमेटी ने इनकार नहीं किया है। यह एक गंभीर अपराध है जो न्याय की प्रक्रिया को बाधित कर सकता है। कमेटी द्वारा किए गए सरप्राइज इंस्पेक्शन में स्कूल में सुरक्षा संबंधी कई गंभीर कमियां, कमजोर मॉनिटरिंग और राष्ट्रीय गाइडलाइंस का उल्लंघन भी पाया गया।
अमायरा के माता-पिता लगातार सरकार से स्कूल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि स्कूल की लापरवाही और उदासीनता के कारण उनकी बेटी को अपनी जान गंवानी पड़ी।
स्कूल बच्चों को स्वस्थ माहौल देने में विफल
सीबीएसई कमेटी की रिपोर्ट में एफिलिएशन बाय लॉज़ के बड़े उल्लंघन सामने आए हैं। बच्चों की सुरक्षा, बुलिंग की रोकथाम और स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी गंभीर कमियां पाई गईं। रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि स्कूल बच्चों को एक स्वस्थ और सुरक्षित माहौल देने में पूरी तरह से नाकाम रहा है।
कमेटी ने टिप्पणी की है कि संस्था अपने कानूनी दायित्वों को निभाने में विफल रही है। सीबीएसई ने स्कूल प्रबंधन से पूछा है कि एफिलिएशन बाय लॉज़ के चैप्टर 12 के तहत उन पर पेनल्टी क्यों न लगाई जाए। संभावित पेनल्टी में चेतावनी, जुर्माना, एफिलिएशन को डाउनग्रेड करना, सस्पेंशन या एफिलिएशन को पूरी तरह से वापस लेना तक शामिल हो सकता है।
सीसीटीवी फुटेज ने खोली पोल
अमायरा की मां ने 1 नवंबर के क्लास के सीसीटीवी फुटेज देखे थे। उनका दावा है कि फुटेज में अमायरा अपनी टीचर से मदद मांगती हुई नजर आ रही थी। फुटेज से यह भी साफ हुआ कि घटना से ठीक पहले 45 मिनट के भीतर बच्ची ने अपनी क्लास टीचर से पांच बार मदद मांगी थी। उसने डिजिटल स्लेट पर क्लासमेट्स द्वारा लिखी गई अपमानजनक बातों की शिकायत की थी।
लेकिन टीचर ने उसकी मदद नहीं की। रिपोर्ट में कहा गया है कि टीचर ने क्लास में बच्ची पर चिल्लाया भी, जबकि बच्ची लगातार हैरान, शर्मिंदा और बहुत परेशान दिख रही थी। इसके बावजूद उसे काउंसलर के पास नहीं भेजा गया, जो कि एंटी-बुलिंग प्रोटोकॉल, सीबीएसई की गाइडलाइंस और पॉक्सो (POCSO) नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।
सीबीएसई की टीम का औचक निरीक्षण
3 नवंबर को सरप्राइज इंस्पेक्शन पर भेजी गई सीबीएसई की कमेटी ने पाया कि स्कूल में कई गंभीर खामियां थीं। छात्रों ने आईडी कार्ड नहीं पहन रखे थे और सेफ्टी व सिक्योरिटी कमेटी भी मौजूद नहीं थी। ये सभी सुरक्षा मानकों का उल्लंघन हैं।
सीबीएसई ने जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर स्कूल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। स्कूल प्रबंधन को 30 दिन के भीतर इस नोटिस का जवाब देना होगा। इसके बाद सीबीएसई मामले में आगे की कार्रवाई करेगा, जिसमें स्कूल के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।
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