अन्नकूट उत्सव : अन्नकूट उत्सव भारतीय संस्कृति की अनूठी झलक ने मन मोहा

अन्नकूट उत्सव भारतीय संस्कृति की अनूठी झलक ने मन मोहा
Annakoot Utsav in akshardham gondal
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Highlights

मंदिर का प्रशासन और व्यवस्था इतना अच्छा रहा। किसी को भी किसी भी प्रकार की तकलीफ का अनुभव नहीं करना पड़ा। महंत स्वामी महाराज के सानिध्य में सभी संतों ने भगवान के समक्ष रखे गए व्यंजनों को अति प्रेम से भगवान को जमाया और सुंदर स्थान थाल गान भी यहां संपन्न हुआ।

गुजराती नव वर्ष अन्नकूट पूजा के दिन होता है। इसे गोवर्धन पूजा  के नाम से भी जाना जाता है। अन्नकूट पूजा को पारंपरिक अंदाजा में मनाया जाता है। अन्नकूट पूजा दीवाली के अगले दिन की जाती है। वहीं गोंडल के अक्षरधाम में अन्नकूट उत्सव मनाया गया। इस मौके पर 700 से अधिक शाकाहारी व्यंजनों से भगवान को भोग लगाया गया।

भारतवर्ष की धार्मिक परंपरा में अन्नकूट उत्सव अपना एक विशिष्ट स्थान बनाकर रहा है। जब भी खेतों में नई फसलों पैदा होती है, तब उस फसल से तैयार हुए धन धान्य को भगवान के आगे व्यंजन के रूप में रखकर हम भक्ति अदा करते आ रहे है। सब भगवान ने दिया है। तो प्रथम भगवान को भोग लगाकर ही उसका उपयोग करना चाहिए।

ऐसे भक्ति की सीख यह अन्नकूट उत्सव देता है, बीएपीएस के हर एक मंदिर में शाकाहारी व्यंजनों का कलात्मक कोटी इस अवसर पर रचा जाता है। उसके अंतर्गत परंपरा पूज्य महंत स्वामी महाराज के दिव्य सानिध्य में अक्षर मंदिर गोंडल में ऐसा ही अन्नकूट उत्सव मनाया गया। जिसमें करीब 700 से अधिक शाकाहारी व्यंजन भगवान के समक्ष रखे गए थे।

उसमें दिल्ली, Robbinsville (New Jersey) और गांधीनगर के अक्षर धाम के प्रति कृतियों भी अच्छी तरह से व्यंजनों में से ही बनाई गई थी।

अगले साल महंत स्वामी महाराज के कर कमालों से उद्घाटित होने वाले अबू धाबी के मंदिर की प्रति कृति भी सुचारू रुप से यहां व्यंजनों में से निर्मित करके रखी गई थी। इस उत्सव का लाभ लेने के लिए पूरे दिन में करीब 30 से 40 हजार हरि भक्तिों की भारी भीड़ मची थी।

लेकिन मंदिर का प्रशासन और व्यवस्था इतना अच्छा रहा। किसी को भी किसी भी प्रकार की तकलीफ का अनुभव नहीं करना पड़ा। महंत स्वामी महाराज के सानिध्य में सभी संतों ने भगवान के समक्ष रखे गए व्यंजनों को अति प्रेम से भगवान को जमाया और सुंदर स्थान थाल गान भी यहां संपन्न हुआ।

भगवान स्वामी नारायण के परंम हंसों ने जो राजभोग के थाल की रचनाएं की है। उसमें से ही कुछ थाल का संगीत से यहां भगवान के समक्ष प्रस्तुति की गई। ऐसा ही एक अन्नकूट उत्सव भी महंत स्वामी महाराज के निश्रा में गोंडल के अक्षरधाम मंदिर में संपन्न हुआ।

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