बाड़मेर में अंतिम संस्कार विवाद: बाड़मेर में जमीन विवाद पर रोका अंतिम संस्कार: सड़क पर प्रदर्शन

बाड़मेर में जमीन विवाद पर रोका अंतिम संस्कार: सड़क पर प्रदर्शन
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Highlights

  • बाड़मेर में श्मशान भूमि विवाद के कारण अंतिम संस्कार रोका गया।
  • परिजनों और कालबेलिया समाज ने शव को सड़क पर रखकर साढ़े चार घंटे प्रदर्शन किया।
  • शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी की समझाइश के बाद अंतिम संस्कार संपन्न हुआ।
  • प्रशासन ने जल्द ही नई भूमि आवंटित करने का आश्वासन दिया।

बाड़मेर: बाड़मेर (Barmer) में जमीन विवाद के चलते एक युवक के अंतिम संस्कार को रोका गया, जिसके बाद परिजनों और कालबेलिया समाज (Kalbelia community) के लोगों ने शव को सड़क पर रखकर साढ़े चार घंटे तक प्रदर्शन किया।

अंतिम संस्कार को लेकर गहराया विवाद

राजस्थान के बाड़मेर शहर में रविवार रात एक हृदय विदारक घटना सामने आई।

एक युवक का शव लेकर उसके परिजन और कालबेलिया समाज के लोग मुख्य सड़क पर प्रदर्शन करने लगे।

यह घटना शास्त्री नगर मार्ग के पास रात करीब 10 बजे हुई।

परिजनों का आरोप था कि वे लंबे समय से एक विशेष श्मशान भूमि पर अंतिम संस्कार करते आए हैं।

हालांकि, अब वन विभाग ने इस जमीन की बाउंड्री करवाकर इसे पूरी तरह से बंद कर दिया है।

इस कारण उन्हें अपने परिजन का अंतिम संस्कार करने से रोका जा रहा था।

प्रशासन की सक्रियता और जनप्रतिनिधियों का हस्तक्षेप

प्रदर्शन की सूचना मिलते ही प्रशासन हरकत में आया और मौके पर एडीएम, एएसपी समेत पुलिस बल तैनात किया गया।

प्रशासन की ओर से करीब एक घंटे तक लगातार समझाइश का प्रयास किया गया, लेकिन प्रदर्शन जारी रहा।

शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी रात को मौके पर पहुंचे और उनकी बातचीत के बाद अंतिम संस्कार को लेकर अस्थायी सहमति बनी।

एडीएम राजेंद्र सिंह चांदावत ने बताया कि यह विवाद श्मशान भूमि को लेकर था, फिलहाल वन विभाग की जमीन पर अंतिम संस्कार करवा दिया गया है।

उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि जल्द ही शहर के आसपास सरकारी भूमि आवंटित की जाएगी।

दमाराम की मृत्यु और श्मशान घाट का अवरोध

जोगियों की दड़ी निवासी दमाराम (25) की बाड़मेर हॉस्पिटल में इलाज के दौरान रविवार शाम करीब 5 बजे मौत हो गई।

परिवार के लोग कालबेलिया समाज के श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के लिए पहुंचे।

लेकिन वहां वन विभाग की जमीन होने के कारण चारदीवारी करके पौधारोपण कर दिया गया था।

जब परिवार और समाज के लोग शव लेकर पहुंचे तो अंतिम संस्कार की जगह को लेकर विवाद खड़ा हो गया।

वन विभाग ने उन्हें उस स्थान पर अंतिम संस्कार करने से स्पष्ट रूप से मना कर दिया।

करीब दो घंटे तक शव को वहीं रखकर प्रदर्शन किया गया और सदर थाना पुलिस भी मौके पर पहुंची।

वन विभाग का प्रस्ताव और समाज की जिद

वन विभाग के रेंजर ने कहा कि इस जमीन पर सघन पौधारोपण किया गया है, इसलिए दूसरी चिन्हित जमीन पर अंतिम संस्कार किया जाए।

लेकिन समाज और परिवार के लोग अपनी पुरानी परंपरा का हवाला देते हुए उसी जगह पर अंतिम संस्कार करवाने की जिद पर अड़े रहे।

शव को सड़क पर रखकर किए जा रहे प्रदर्शन की सूचना पर शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी और पूर्व विधायक मेवाराम जैन समेत कई जनप्रतिनिधि मौके पर पहुंचे।

उन्होंने लोगों से वार्ता कर एक समाधान निकालने की कोशिश की।

कलेक्ट्रेट की ओर आक्रोशित मार्च और सड़क जाम

आक्रोशित परिजन और समाज के लोग जोगियों की दड़ी से शव लेकर पैदल ही कलेक्ट्रेट की तरफ रवाना हो गए।

इस पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी तुरंत सक्रिय हुए और उन्हें शास्त्री नगर मार्ग पर रुकवा दिया।

इस दौरान एडीएम राजेंद्र सिंह चांदावत, एएसपी जसाराम बोस, डीएसपी रमेश कुमार शर्मा और अन्य पुलिस जाब्ता मौके पर तैनात रहा।

विरोध प्रदर्शन के कारण सड़क पर जाम की स्थिति बन गई।

विधायक आवास के पास धरना और भूमि आवंटन की मांग

प्रशासन के रोकने पर परिवार और समाज के लोग बाड़मेर विधायक डॉ. प्रियंका चौधरी के घर से महज 100 मीटर दूर शव को सड़क पर रखकर धरने पर बैठ गए।

प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों ने करीब एक घंटे तक उन्हें समझाने का अथक प्रयास किया।

लेकिन लोग लिखित में श्मशान भूमि आवंटन करवाने की अपनी मांग पर दृढ़ रहे, जिससे पुलिस और धरनार्थियों के बीच तीखी बहस भी हुई।

रविंद्र सिंह भाटी की मध्यस्थता से सुलझा मामला

शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी, पूर्व विधायक मेवाराम जैन और सभापति दीपक माली रात को करीब साढ़े 10 बजे धरने पर पहुंचे।

उन्होंने मौके पर मौजूद लोगों और प्रशासन दोनों से विस्तृत बातचीत की।

भाटी ने लोगों को धैर्यपूर्वक समझाते हुए शव को गाड़ी में शिफ्ट करवाया।

उन्होंने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि अभी जहां वे अंतिम संस्कार करना चाहते हैं, वहीं करवाया जाएगा और जल्द ही नई जमीन आवंटित होगी।

इस आश्वासन के बाद परिजन माने और जोगियों की दड़ी स्थित वन विभाग की जमीन पर पहुंचे।

वहां प्रशासन और विधायक समेत अन्य जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में दमाराम का अंतिम संस्कार करवाया गया।

यह पूरा घटनाक्रम रात को करीब 12 बजे शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ।

विधायक का दर्द: "अंतिम संस्कार के लिए संघर्ष"

शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने बाद में कहा कि उन्हें जानकारी मिलने पर वे तुरंत मौके पर पहुंचे।

उन्होंने बताया कि उन्होंने पहले भी विधानसभा में इस समाज के लिए रहने और श्मशान भूमि आवंटन की मांग उठाई थी।

भाटी ने दुख व्यक्त किया कि इन लोगों को आज अपने परिजन के अंतिम संस्कार के लिए संघर्ष करना पड़ा।

उन्होंने कहा कि परिजनों और समाज से बातचीत के बाद उन्होंने उनकी बात मानी और अंतिम संस्कार के लिए राजी हो गए।

वे प्रशासन के साथ अंतिम संस्कार करवाने के लिए वहां मौजूद रहे।

प्रशासन का स्पष्टीकरण और भविष्य की योजना

एडीएम राजेंद्रसिंह चांदावत ने बताया कि नाथ समाज के दमाराम की बीमारी से मृत्यु हो गई थी और शव दफनाने को लेकर यह विवाद उत्पन्न हुआ।

उन्होंने पुष्टि की कि कालबेलिया समाज काफी लंबे समय से वन विभाग की इस जमीन पर अंतिम संस्कार करता आ रहा है।

वर्तमान में वन विभाग ने इस क्षेत्र में चारदीवारी और पौधारोपण कर दिया है।

वन विभाग ने दूसरी जगह पर जमीन चिन्हित कर दफनाने के लिए कहा था, लेकिन ये लोग पुरानी जगह पर ही अड़े थे।

इसी बात को लेकर विवाद गहराया, जिसे समझाइश के बाद शांत किया गया।

एडीएम ने स्पष्ट किया कि वन विभाग की जमीन कानूनी प्रक्रिया के तहत आवंटित नहीं हो सकती है।

उन्होंने बताया कि शहर के आसपास उपयुक्त सरकारी जमीन की पहचान के लिए तहसीलदार और एसडीएम को भी साथ ले लिया गया है।

आज उनकी एक बैठक बुला दी गई है, जिसमें जगह चिह्नित कर जमीन आवंटन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

प्रशासन इस मुद्दे का स्थायी समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध है।

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