सिरोही: भारजा में ग्रामीण सेवा शिविर का बहिष्कार, खनन परियोजना का विरोध

भारजा में ग्रामीण सेवा शिविर का बहिष्कार, खनन परियोजना का विरोध
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Highlights

  • भारजा गांव में ग्रामीण सेवा शिविर का बहिष्कार।
  • ग्रामीणों ने प्रस्तावित खनन परियोजना का विरोध किया।
  • राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
  • ग्रामीणों ने कहा, 'हम अपनी मातृभूमि नहीं खोएंगे।'

सिरोही |  सिरोही (Sirohi) के पिण्डवाड़ा (Pindwara) उपखंड के भारजा (Bharja) गांव में ग्रामीण सेवा शिविर का बहिष्कार किया गया, जहां ग्रामीणों ने मेसर्स कमलेश मेटा कास्ट प्राइवेट लिमिटेड (Kamlesh Meta Cast Private Limited) की प्रस्तावित खनन परियोजना का विरोध किया। उपखंड अधिकारी नरेंद्र जांगिड़ (Narendra Jangid) ने समझाने का प्रयास किया, पर ग्रामीण अपनी मांग पर अडिग रहे और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।

खनन परियोजना के विरोध में ग्रामीण अडिग

पिण्डवाड़ा उपखंड के भारजा गांव में शुक्रवार को आयोजित ग्रामीण सेवा शिविर का ग्रामीणों ने पूर्णतः बहिष्कार कर दिया।

किसी भी ग्रामीण ने इस शिविर में भाग नहीं लिया, बल्कि वे शिविर स्थल के सामने एकत्र होकर प्रस्तावित खनन परियोजना के खिलाफ अपना विरोध जताते रहे।

जयपुर की मेसर्स कमलेश मेटा कास्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा भारजा, भीमाना, वाटेरा और रोहिड़ा क्षेत्र की लगभग 800.9935 हेक्टेयर भूमि पर चूना पत्थर खनन परियोजना प्रस्तावित है।

इस परियोजना के विरोध में क्षेत्रवासी पिछले डेढ़ महीने से लगातार आंदोलनरत हैं और अपनी मांगों पर अडिग हैं।

अधिकारियों को सौंपा ज्ञापन

शिविर के दौरान पिण्डवाड़ा उपखंड अधिकारी नरेंद्र जांगिड़ मौके पर पहुंचे और उन्होंने ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया।

हालांकि, ग्रामीण अपनी मांग पर अटल रहे और उन्होंने खनन परियोजना को क्षेत्र के पर्यावरण तथा जनजीवन के लिए घातक बताया।

ग्रामीणों ने शिविर प्रभारी एबीडीओ जितेन्द्र सिंह राणावत को राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा।

उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक यह परियोजना रद्द नहीं की जाती, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा।

ग्रामीणों का कहना है कि खनन परियोजना से उनकी कृषि भूमि, जल स्रोत और आजीविका पर गंभीर असर पड़ेगा।

इसलिए उन्होंने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि वे किसी भी सरकारी शिविर या कार्यक्रम में भाग नहीं लेंगे, जब तक सरकार उनकी मांग नहीं मान लेती।

मातृभूमि बचाने का संकल्प

ग्रामीणों ने कहा कि यह आंदोलन अब केवल एक गांव का नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र का जनआंदोलन बन चुका है।

ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि खनन से पर्यावरणीय असंतुलन बढ़ेगा, पेयजल संकट गहराएगा और स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ेगा।

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द निर्णय नहीं लिया तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।

भारजा ग्राम पंचायत के प्रशासक पुखराज प्रजापत सहित भारी संख्या में ग्रामीण इस दौरान मौजूद रहे।

ग्रामीणों ने दृढ़ता से कहा, "हम अपने बच्चों का भविष्य उजड़ते हुए नहीं देख सकते, चाहे कितनी भी कोशिशें हों, हम अपनी मातृभूमि की रक्षा करेंगे।"

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