Bihar वोटर अधिकार यात्रा : 16 दिन की मेहनत, भीड़ से वोट तक का सफर कितना सफल?

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Highlights

गांधी मैदान से मार्च शुरू हुआ, गांधी और अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।
राहुल गांधी बोले – “NDA वोट चोरी करके जीत रहा है, और अब पूरा देश जान जाएगा।”

पटना। बिहार की राजनीति इन दिनों ‘वोटर अधिकार यात्रा’ को लेकर गरमा गई है। 16 दिन, 23 जिलों, 1300 किलोमीटर और 67 विधानसभा सीटों को कवर करने वाली यह यात्रा राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने मिलकर शुरू की। मुद्दा था – वोट चोरी। लेकिन अब बड़ा सवाल यही है कि इस यात्रा से कांग्रेस और राजद (RJD) को आखिर क्या हासिल हुआ और क्या यह भीड़ वोटों में तब्दील हो पाएगी?

यात्रा का पूरा सफर

17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई यह यात्रा पटना के गांधी मैदान से अंबेडकर प्रतिमा तक आकर समाप्त हुई।
राहुल और तेजस्वी लगातार साथ चलते रहे। बीच-बीच में प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव और एमके स्टालिन जैसे नेता भी जुड़े। परंतु पूरा फोकस राहुल गांधी और तेजस्वी यादव पर ही रहा।

कांग्रेस का समीकरण

कांग्रेस ने जिन 67 सीटों पर 2020 के चुनाव में फोकस किया था, वहां सिर्फ 9 सीटों पर जीत मिली थी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस यात्रा से कांग्रेस को संगठनात्मक ऊर्जा तो जरूर मिली, लेकिन यह वोटों में कितना बदल पाएगी, यह अभी अनिश्चित है।
सीनियर पत्रकार संजय कौशिक कहते हैं – “फायदा संगठन को मिला, चुनाव को नहीं।”
वहीं नचिकेता नारायण मानते हैं – “कांग्रेस ने RJD के बराबर खड़े होने की कोशिश की, लेकिन पीएम मोदी पर अपशब्दों से नुकसान हुआ।”

RJD का फायदा और नुकसान

RJD के लिए सबसे अहम रहा – राहुल और तेजस्वी की राजनीतिक केमिस्ट्री।
विशेषज्ञों के अनुसार, मुस्लिम-यादव समीकरण के साथ अगर कांग्रेस दलित वोटों में पकड़ बनाती है तो RJD को भी लाभ होगा।
लेकिन राजनीतिक टिप्पणीकार मणिकांत ठाकुर का कहना है – “बस मुस्लिम वोटों का बंटवारा रुका है, बड़ा फायदा नहीं हुआ।”

छोटी पार्टियों की स्थिति

  • भाकपा (माले): दीपांकर भट्टाचार्य पूरे 16 दिन यात्रा में शामिल रहे, गठबंधन में उनकी अहमियत बढ़ी।

  • VIP पार्टी: मुकेश सहनी को सम्मान मिला, जिससे NDA में जाने की अटकलें थम गईं। मल्लाह वोटों पर असर संभव।

जनता की राय

कुछ लोगों का कहना था – “हमें तो पता ही नहीं था कि यात्रा क्यों निकली है, भीड़ सिर्फ दिखावे की है।”
हालांकि, कई लोगों ने वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की शिकायतें भी साझा कीं।
एक सीट पर लगभग 15 हजार वोटों में गड़बड़ी दर्ज होने का दावा किया गया।

बीजेपी और जेडीयू का पलटवार

JDU ने इस यात्रा को “चुनावी नौटंकी” बताया और कहा कि असली वोट चोरी RJD के शासनकाल में होती थी।
बीजेपी ने राहुल गांधी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा – “यह बिहार और प्रधानमंत्री का अपमान है।”
गृह मंत्री अमित शाह ने दरभंगा में दिए भाषण पर नाराजगी जताई – “मोदी जी की मां को गाली देना नीच राजनीति है।”

विवादों में फंसी यात्रा

  1. एमके स्टालिन का आना – उनकी पार्टी के नेताओं ने पहले बिहारियों को अपमानजनक शब्द कहे थे।

  2. दरभंगा की रैली – मंच से पीएम मोदी के खिलाफ अभद्र शब्दों का प्रयोग।

I.N.D.I.A ब्लॉक की हकीकत

पटना की मीटिंग में विपक्षी एकजुटता दिखाई दी, लेकिन यात्रा के दौरान ममता बनर्जी, नीतीश कुमार और AAP दूरी बनाए रहे।
समापन समारोह में सिर्फ JMM, TMC और शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता शामिल हुए।

पटना में समापन

गांधी मैदान से मार्च शुरू हुआ, गांधी और अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।
राहुल गांधी बोले – “NDA वोट चोरी करके जीत रहा है, और अब पूरा देश जान जाएगा।”
तेजस्वी यादव ने कहा – “लालू का बेटा FIR से नहीं डरता, यह सरकार अपराध और भ्रष्टाचार का डबल इंजन है।”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पुलिस को चेतावनी तक दी।

भारत का लोकतंत्र वोट पर टिका है। विपक्ष ने मुद्दा उठाया, लेकिन विवादों और अंदरूनी खींचतान से असर कमजोर पड़ा।
भीड़ जुटाना आसान है, उसे वोट में बदलना मुश्किल। NDA ने इसे बिहारियों के अपमान और मोदी विरोधी साजिश के तौर पर पेश किया।
अब फैसला जनता के हाथ में है कि यह यात्रा महज चुनावी नौटंकी थी या लोकतंत्र की सच्ची लड़ाई।

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