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देवी सिंह भाटी ने सीएमआर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की है। उनके साथ बीकानेर से कई मुस्लिम नेता भी गहलोत से मिले हैं। ऐसे में ये कयास लगाए जा रहे हैं कि विधानसभा चुनावों को देखते हुए भाटी अब कांग्रेस में शामिल होने की सोच रहे हैं।
जयपुर | राजस्थान के पूर्व मंत्री और वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते रहे देवी सिंह भाटी (Devi Singh Bhati) विधानसभा चुनाव आते ही फिर से सक्रिय हो गए हैं।
बीकानेर के दिग्गज नेता रहे देवी सिंह भाटी 1980 से लगातार सात बार विधायक रह चुके हैं।
अपने कार्यकाल के दौरान हमेशा सुर्खियों में रहने वाले पूर्व विधायक भाटी एक बार फिर से चर्चा में हैं।
सियासी गलियारों में चर्चा है कि भाजपा से बाहर चल रहे नेता देवी सिंह भाटी ने अब कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं।
आपको बता दें कि भाटी बीकानेर के कोलायत सीट से दो बार कांग्रेस प्रत्याशी भंवर सिंह भाटी से चुनाव हार चुके हैं लेकिन इस बार उनके कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं।
दरअसल, गुरुवार रात को देवी सिंह भाटी ने सीएमआर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की है। उनके साथ बीकानेर से कई मुस्लिम नेता भी गहलोत से मिले हैं।
ऐसे में ये कयास लगाए जा रहे हैं कि विधानसभा चुनावों को देखते हुए भाटी अब कांग्रेस में शामिल होने की सोच रहे हैं।
देवी सिंह भाटी विधायक कैलाश मेघवाल और केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम पर बयानबाजी को लेकर भी चर्चा में बने हुए हैं, लेकिन अब उनकी मुख्यमंत्री गहलोत से मुलाकात ने तो सियासी बाजार को और भी गरम कर दिया है।
चर्चाएं हैं कि आने वाले दिनों में वे कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। इससे पहले उनके भाजपा में वापसी होने की चर्चा चल रही थी, लेकिन यहां से टिकट मिलने की उम्मीद कम होने के चलते अब उनके कांग्रेस से टिकट लेने के कयास लगाए जा रहे हैं।
हालांकि, ये बात भी सामने आ रही है कि भाटी की सीएम गहलोत के साथ इस मुलाकात में अवैध खनन को लेकर चर्चा हुई है।
खैर! ये तो आगे साफ हो जाएगा कि आखिर भाटी और गहलोत की ये मुलाकात किस लिए हुई थी।
कौन है देवी सिंह भाटी ?
1980 से लगातार 7 बार विधायक रह चुके देवी सिंह भाटी भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं।
भाटी को पहली बार राजस्थान की राजनीति में उतारने का श्रेय माणक चंद सुराणा को जाता है।
देवी सिंह भाटी तीन बार मंत्री भी रह चुके हैं और अपने गरम तेवरों के चलते उन्हें मंत्री पद तक गंवाना पड़ा है।
बता दें कि भैरोसिंह शेखावत की सरकार में मंत्री रहते हुए आईएएस बीके सिंह के थप्पड़ चड़ने के मामले के तूल पकड़ लेने के बाद भाटी को मंत्री पद छोड़ना पड़ा था।
2003 में बनाई अलग पार्टी
देवी सिंह भाटी ने जाटों को आरक्षण देने के विरोध में 2003 में भाजपा को छोड़कर अपनी अलग पार्टी सामाजिक न्याय मंच का गठन करते हुए विधानसभा चुनाव लड़ा।
इस चुनाव में देवी सिंह भाटी को जीत मिली, लेकिन उनके सारे प्रत्याशी हार गए।
भाटी के पुत्र महेंद्र सिंह भाटी 1996 में सांसद बने।
2003 में भाटी के सांसद पुत्र महेंद्र सिंह भाटी का सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। जिसने उन्हें तोड़कर रख दिया।
देवी सिंह भाटी ने अर्जुन मेघवाल को टिकट देने के विरोध में छोड़ी थी भाजपा
बीकानेर की सियासत में देवी सिंह भाटी और भाजपा के ही अर्जुन मेघवाल के बीच रहे मतभेद किसी से छिपे नहीं है।
पार्टी ने जब पहली बार अर्जुन मेघवाल को बीकानेर सांसद का टिकट दिया था। उस समय देवी सिंह भाटी ने अर्जुन मेघवाल को टिकट देने का विरोध करते हुए पार्टी छोड़ दी।