Highlights
- मनरेगा की मूल प्रकृति बदलने से 12 करोड़ मजदूरों के अधिकारों पर खतरा।
- केंद्र सरकार पर संघीय ढांचे को कमजोर करने और वित्तीय बोझ राज्यों पर डालने का आरोप।
- नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी को अदालत से झटका, राजनीतिक बदले की कार्रवाई का दावा।
- कांग्रेस ने जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के खिलाफ सड़क से संसद तक संघर्ष का ऐलान किया।
जोधपुर: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) की को-ऑर्डिनेटर महिमा सिंह (Mahima Singh) ने जोधपुर (Jodhpur) में केंद्र सरकार पर मनरेगा (MGNREGA) को कमजोर करने और 12 करोड़ मजदूरों के अधिकारों को खतरे में डालने का आरोप लगाया। उन्होंने नेशनल हेराल्ड (National Herald) मामले में भी सरकार को घेरा।
मनरेगा पर कांग्रेस का बड़ा आरोप
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की को-ऑर्डिनेटर महिमा सिंह ने आज जोधपुर पहुंचकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार एक सुनियोजित रणनीति के तहत महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को कमजोर कर रही है।
महिमा सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि नेशनल हेराल्ड मामले में जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर राजनीतिक बदले की कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने मनरेगा को कमजोर करने की सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल उठाए।
मनरेगा के मूल स्वरूप में बदलाव
महिमा सिंह ने बताया कि लोकसभा में पारित नए फ्रेमवर्क के माध्यम से मनरेगा के मूल, डिमांड-ड्रिवन स्वरूप को बदल दिया गया है। यह योजना पहले संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत काम के अधिकार की गारंटी देती थी।
अब इसे केंद्र के नियंत्रण वाली सशर्त योजना में तब्दील किया जा रहा है। इससे देश के 12 करोड़ से अधिक ग्रामीण मजदूरों के अधिकार सीधे तौर पर प्रभावित होंगे।
राज्यों पर वित्तीय बोझ और संघीय ढांचे पर हमला
महिमा सिंह ने केंद्र सरकार पर संघीय ढांचे को कमजोर करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केंद्र लगभग 40 प्रतिशत वित्तीय बोझ राज्यों पर डाल रहा है।
इसके बावजूद नियंत्रण, नियम और श्रेय अपने पास रखे हुए है। यह राज्यों की स्वायत्तता पर सीधा हमला है।
ग्रामीण रोजगार पर असर
उन्होंने बताया कि वार्षिक सीमाएं तय कर मनरेगा की मांग आधारित प्रकृति खत्म की जा रही है। इससे ग्रामीण रोजगार अस्थिर होगा और मजदूरों को निजी क्षेत्र की कम मज़दूरी पर निर्भर होना पड़ेगा।
यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
नेशनल हेराल्ड मामला: ईडी को अदालत से झटका
नेशनल हेराल्ड मामले पर बोलते हुए महिमा सिंह ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को अदालत से झटका लगा है। अदालत ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत अन्य नेताओं के खिलाफ दायर शिकायत पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया।
पार्टी का दावा है कि 2014 से 2021 के बीच सीबीआई और ईडी दोनों ने माना था कि कोई मूल अपराध नहीं बनता। इसके बावजूद मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की गई, जिस पर अदालत ने भी सवाल उठाए हैं।
विरोधियों को डराने के लिए एजेंसियों का इस्तेमाल
महिमा सिंह ने आरोप लगाया कि जांच एजेंसियों का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों को डराने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस इस तरह के दबाव में झुकने वाली नहीं है।
पार्टी मनरेगा, लोकतंत्र, संविधान और संस्थाओं की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सड़क से संसद तक संघर्ष जारी रखेगी।
एनएसयूआई का विश्वविद्यालय में दोगुनी परीक्षा फीस का विरोध
इस बीच, एनएसयूआई जोधपुर जिलाध्यक्ष डॉ. बबलू सोलंकी ने भी विश्वविद्यालय में दोगुनी की गई परीक्षा फीस का विरोध किया। उन्होंने बताया कि संबद्ध राजकीय और निजी महाविद्यालयों की परीक्षा फीस लगभग दोगुनी कर दी गई है।
एनएसयूआई ने इस फीस वृद्धि को वापस लेने की मांग की। उन्होंने कुलगुरु को ज्ञापन सौंपकर अन्य कई महत्वपूर्ण मांगें भी रखीं।
एनएसयूआई की प्रमुख मांगें
इन मांगों में सभी परीक्षा परिणाम 40 दिन के भीतर जारी करना, बीएससी बीएड 4 वर्षीय कोर्स की सप्लीमेंट्री परीक्षा जल्द कराना शामिल है। साथ ही, विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार करने की भी मांग की गई।
एनएसयूआई ने इन केंद्रों में लगे रिटायर्ड कर्मचारियों को हटाने, विश्वविद्यालय में शोधपीठों को एक करोड़ जमा करने का निर्णय वापस लेने की मांग की। इसके अलावा, विद्यार्थियों को डिग्री ऑनलाइन और डुप्लीकेट मार्कशीट ऑनलाइन उपलब्ध कराने की सुविधा प्रदान करने की भी मांग रखी गई।
कुलगुरु ने एनएसयूआई की मांगों पर सकारात्मक कार्यवाही का आश्वासन दिया। इस दौरान एनएसयूआई इकाई अध्यक्ष झुंझार सिंह चौधरी, छात्रनेता एमएल चौधरी, ऋषि गहलोत, राकेश खोजा, भागीरथ देवासी, राजवीर पटेल, विक्रम बिश्नोई, करण जांगिड़, बृजेश प्रजापत, लक्ष्य जांगिड़, मोहित मेहरा, नवरत्न गहलोत, जसराज चौधरी आदि मौजूद रहे।
कार्यक्रम में वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की उपस्थिति
इस दौरान शहर कांग्रेस जिलाध्यक्ष ओमकार वर्मा, देहात कांग्रेस जिलाध्यक्ष व विधायक गीता बरवड़, पूर्व विधायक मनीषा पंवार, पूर्व मंत्री राजेन्द्र सोलंकी उपस्थित रहे। पूर्व राज्य बाल कल्याण अध्यक्ष संगीता बेनीवाल और पूर्व महापौर कुन्ती देवड़ा सहित कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे।
एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने विभिन्न मांगों को लेकर शनिवार को विश्वविद्यालय के केंद्रीय कार्यालय में प्रदर्शन कर कुलगुरु को ज्ञापन सौंपा।
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