Highlights
- दो साल में ई-मित्र संचालकों पर 5.64 करोड़ का जुर्माना।
- 250 से अधिक ई-मित्र संचालक फर्जीवाड़े में पकड़े गए।
- पीएम किसान निधि और फर्जी डिग्री जैसे कई घोटाले।
- डीओआईटी ने 14 संचालकों को स्थायी रूप से ब्लैकलिस्ट किया।
जयपुर: राजस्थान (Rajasthan) में 'ई-मित्र' (e-Mitra) संचालक अब 'ई-अपराधी' बन गए हैं। पिछले दो साल में 250 से अधिक संचालकों ने करोड़ों रुपए के घोटाले किए, जिसके चलते डीओआईटी (DOIT) ने 5.64 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है।
करोड़ों का घोटाला और ई-मित्र संचालकों पर कार्रवाई
हाल ही में पीएम किसान सम्मान निधि जैसी कई सामाजिक कल्याण योजनाओं में सेंध लगाकर करोड़ों रुपये फर्जी खातों में भेजने के मामलों में कई ई-मित्र संचालकों को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद डीओआईटी ने 14 ई-मित्र संचालकों को हमेशा के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया।
भास्कर की पड़ताल में सामने आया है कि पिछले पांच सालों में 250 से अधिक ई-मित्र संचालक फर्जी डिग्री और सरकारी सिस्टम में सेंध लगाकर करोड़ों के घोटालों में शामिल पाए गए हैं। प्रदेश में 70 हजार से ज्यादा ई-मित्र केंद्र संचालित हो रहे हैं, जो आमजन को 600 प्रकार की सेवाएं प्रदान करते हैं।
इन केंद्रों पर महीने में करीब 400 करोड़ रुपये का लेनदेन होता है। यह आंकड़ा इस बात का प्रमाण है कि इन केंद्रों पर वित्तीय अनियमितताओं की संभावना कितनी अधिक है।
दो साल में 5.64 करोड़ का जुर्माना
डीओआईटी ने फर्जीवाड़े को लेकर ई-मित्र संचालकों पर पिछले दो साल (जनवरी 2024 से अक्टूबर 2025) में कुल 5.64 करोड़ रुपये का भारी जुर्माना लगाया है। 2024 में 342.98 लाख रुपये और अक्टूबर 2025 तक 221 लाख रुपये की वसूली निकाली गई है।
यदि कोई कियोस्क संचालक वित्तीय अनियमितता, दस्तावेजों से छेड़छाड़ या किसी अन्य धोखाधड़ी में लिप्त पाया जाता है, तो उसे तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है। इसके साथ ही संचालक का जनाधार पोर्टल पर भी ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है, जिससे वह भविष्य में ऐसी सेवाओं से वंचित हो जाता है।
विभिन्न घोटालों के चौंकाने वाले मामले
जांच में कई प्रकार के गंभीर फर्जीवाड़े सामने आए हैं। इनमें सरकारी योजनाओं में धांधली से लेकर फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट और डिग्रियां तक शामिल हैं।
फर्जी डिग्री और आधार कार्ड का रैकेट
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जयपुर में पुलिस ने तीन ई-मित्र केंद्रों पर छापा मारा, जहां 13 निजी विश्वविद्यालयों की लगभग 700 फर्जी डिग्रियां बरामद हुईं। संचालकों द्वारा इन्हें विभिन्न भर्तियों के लिए बेचा जा रहा था, जिससे कई युवाओं का भविष्य दांव पर लग गया।
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जालोर, बाड़मेर सहित कई जिलों में फर्जी आधार कार्ड बनाने के मामले भी सामने आए थे। इनमें पैर के अंगूठे के निशान से भी आधार कार्ड बनाए गए थे, जिसके बाद केंद्रीय एजेंसियों ने भी जांच शुरू की।
सरकारी योजनाओं में सेंधमारी
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अक्टूबर में झालावाड़ में साइबर पुलिस ने सामाजिक कल्याण की योजनाओं में धांधली करने वाले आरोपियों को पकड़ा। जांच के बाद 14 ई-मित्र कियोस्क को स्थायी रूप से बंद कर दिया गया।
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सामाजिक सुरक्षा पेंशन और मुफ्त स्कूटी वितरण योजना में लाभ दिलाने के उद्देश्य से प्रदेश में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट जारी किए गए। इस मामले में चार ई-मित्र संचालकों की भूमिका मिली, जिन्हें ब्लैकलिस्ट किया गया।
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मनोहरथाना में फर्जी पेंशन आवेदन मिले, जिनकी जांच में सामने आया कि पांच ई-मित्र संचालकों ने इन्हें जारी किया था। उन पर भी कड़ी कार्रवाई की गई।
डीओआईटी की सख्त चेतावनी
डीओआईटी के आयुक्त व विशेष सचिव हिमांशु गुप्ता ने बताया कि ई-मित्र केंद्रों पर आमजन को सेवा देने के अलावा अन्य गैर-कानूनी कार्य नहीं हो सकते। ऐसी शिकायतें मिलने के बाद जांच में दोषी पाए जाने पर संचालक की आईडी ब्लैकलिस्ट करने और पेनल्टी लगाने की कार्रवाई की जाती है।
यह कार्रवाई यह सुनिश्चित करती है कि ई-मित्र केंद्रों की विश्वसनीयता बनी रहे और आमजन को सही सेवाएं मिलें। सरकार ऐसे फर्जीवाड़े को रोकने के लिए लगातार निगरानी कर रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है।
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