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जिन लोगों ने अभ्यर्थियों को पेपर पढ़वाया था, उनके भी खातों से बड़ी रकम जब्त की गई है। रवि कुमार मीणा के खाते से 8.12 लाख, पृथ्वीराज के खाते से 4.10 लाख और रामकृपाल मीणा के खाते से 1.80 लाख रुपए जब्त किए गए हैं
जयपुर | राजस्थान में 26 सितंबर 2021 को हुए REET पेपर लीक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने मुख्य आरोपी प्रदीप पाराशर और रामकृपाल मीणा की कुल 26.59 लाख रुपए की चल-अचल संपत्ति कुर्क की है। इसके साथ ही, आरोपियों के बैंक खातों से करीब 11 लाख रुपए की रकम भी जब्त की गई है।
ईडी ने यह कार्रवाई 28 अगस्त को जारी आदेश के तहत की। जानकारी के अनुसार, पेपर लीक मामले में पाराशर और मीणा के खातों में मिली धनराशि के अलावा, जिन लोगों ने अभ्यर्थियों को पेपर पढ़वाया था, उनके भी खातों से बड़ी रकम जब्त की गई है। रवि कुमार मीणा के खाते से 8.12 लाख, पृथ्वीराज के खाते से 4.10 लाख और रामकृपाल मीणा के खाते से 1.80 लाख रुपए जब्त किए गए हैं।
131 आरोपी अब तक गिरफ्तार
REET पेपर लीक मामले में अब तक 131 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। एसओजी की ओर से मामले की जांच की जा रही है। एसओजी के एडीजी वीके सिंह ने बताया कि गंगापुर सिटी थाने में दर्ज इस मामले में मुख्य आरोपी रामकृपाल मीणा और प्रदीप पाराशर सहित कई अन्य संगठित गिरोह के लोग शामिल हैं। इन पर लगातार कार्रवाई जारी है।
स्ट्रॉन्ग रूम से हुआ था पेपर लीक
इस मामले में जयपुर के शिक्षा संकुल स्थित स्ट्रॉन्ग रूम से पेपर लीक हुआ था, जिसकी जिम्मेदारी प्रदीप पाराशर पर थी। जांच में खुलासा हुआ कि पेपर कोचिंग संचालकों और नकल गिरोह तक पहुंचाया गया था। यह भी सामने आया कि पेपर की बिक्री 1.25 करोड़ रुपए में की गई थी।
बोर्ड अध्यक्ष के करीबी थे पाराशर
प्रदीप पाराशर 2011 और 2012 में कांग्रेस सरकार के दौरान आरटेट में को-ऑर्डिनेटर रह चुके हैं। उस वक्त बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारौली और मंत्री सुभाष गर्ग थे। पाराशर मंत्री सुभाष गर्ग के करीबी माने जाते हैं। एसओजी ने 30 जनवरी 2022 को प्रदीप पाराशर को गिरफ्तार किया था, जिनके जरिए पेपर रामकृपाल मीणा को मिला था, और इसने अपने नेटवर्क के जरिए अभ्यर्थियों तक पेपर पहुंचाया था।
पेपर लीक की साजिश का पर्दाफाश
एसओजी की जांच में खुलासा हुआ कि पेपर को जयपुर, जालोर, सिरोही, टोंक, सवाई माधोपुर, गंगापुर सिटी, दौसा, करौली समेत कई जिलों में पहुंचाया गया। नकल गिरोह ने परीक्षा से पहले 50 से अधिक सेंटर पर पेपर पहुंचाया था, जिससे परीक्षा की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं।