Highlights
- एपस्टीन फाइल्स में 3 लाख से अधिक दस्तावेज सार्वजनिक हुए।
- बिल क्लिंटन, प्रिंस एंड्रयू समेत कई हाई-प्रोफाइल हस्तियां बेनकाब।
- नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण और तस्करी का खुलासा।
- जेफ्री एपस्टीन के 'लिटिल सेंट जेम्स' आइलैंड पर अय्याशी का अड्डा।
नई दिल्ली: दुनिया के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल, 'एपस्टीन फाइल्स' (Epstein Files) से जुड़े 3 लाख दस्तावेज सार्वजनिक हुए हैं। इनमें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन (Bill Clinton) और ब्रिटिश प्रिंस एंड्रयू (Prince Andrew) सहित कई अरबपति और नामचीन हस्तियां बेनकाब हुई हैं, जिन पर नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण के आरोप हैं। एक नाबालिग की शिकायत से शुरू हुई यह जांच अब वैश्विक स्तर पर बड़े खुलासे कर रही है।
एपस्टीन फाइल्स क्या हैं और क्यों मचा है बवाल?
अमेरिकी अरबपति जेफ्री एपस्टीन से जुड़े तमाम कानूनी दस्तावेजों को 'एपस्टीन फाइल्स' नाम दिया गया है। इन फाइलों में एपस्टीन से जुड़े कोर्ट रिकॉर्ड्स, फ्लाइट लॉग्स, ईमेल, फोटो, वीडियो और अन्य सबूत शामिल हैं।
ये दस्तावेज दुनिया के सबसे हाई-प्रोफाइल सेक्स स्कैंडल से पर्दा उठाते हैं, जिसमें कई शक्तिशाली और प्रसिद्ध लोग शामिल हैं।
3 लाख से ज्यादा दस्तावेज और सैकड़ों तस्वीरें
अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (DOJ) ने 19 दिसंबर को पांच सेट में 3 लाख से अधिक दस्तावेज जारी किए हैं। ये सभी दस्तावेज 'एपस्टीन फाइल्स' का अहम हिस्सा हैं।
इनमें हजारों तस्वीरें भी जारी हुई हैं, जिनमें कई हाई-प्रोफाइल शख्सियतें आपत्तिजनक स्थितियों में नजर आ रही हैं। इन तस्वीरों ने दुनिया भर में सनसनी फैला दी है।
कौन-कौन सी शख्सियतें हुईं बेनकाब?
जारी दस्तावेजों और तस्वीरों में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, पॉप स्टार माइकल जैक्सन, ब्रिटिश प्रिंस एंड्रयू और एक्टर क्रिस टकर जैसी हस्तियां बेनकाब हुई हैं। इन पर नाबालिग लड़कियों के साथ यौन संबंध बनाने के आरोप लगे हैं।
कुछ तस्वीरों में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति क्लिंटन लड़कियों के साथ पूल में नहाते दिख रहे हैं, वहीं ब्रिटिश प्रिंस एंड्रयू पांच महिलाओं की गोद में लेटे हुए हैं। एपस्टीन की गोद में नाबालिग लड़कियां भी नजर आ रही हैं, जो इस पूरे मामले की गंभीरता को दर्शाती हैं।
इन खुलासों से यह बात सामने आई है कि 250 से ज्यादा नाबालिग लड़कियों का शोषण हुआ है। इसके अलावा, 1200 से अधिक पीड़ित और उनके परिवारवालों के बारे में भी जानकारी मिली है।
इन लड़कियों के साथ कई ग्लोबल लीडर्स, अरबपतियों, सीईओ और वैज्ञानिकों जैसे नामचीन लोगों ने यौन संबंध बनाए थे। कुछ की संदिग्ध हालातों में तस्वीरें भी जारी हुई हैं।
कैसे खुला यह हाई-प्रोफाइल सेक्स स्कैंडल?
एपस्टीन सेक्स स्कैंडल के खुलासे की पूरी टाइमलाइन लगभग 20 साल पुरानी है, जिसकी शुरुआत एक छोटी सी शिकायत से हुई थी।
यह मामला 2005 में तब सामने आया, जब फ्लोरिडा में एक 14 साल की लड़की की मां ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
2005 में एक नाबालिग की शिकायत से शुरुआत
उस मां ने आरोप लगाया कि जेफ्री एपस्टीन के आलीशान घर में उसकी बेटी को मसाज के बहाने बुलाया गया था। वहां पहुंचने पर उस पर सेक्स करने का दबाव डाला गया।
यह एपस्टीन के खिलाफ दर्ज होने वाला पहला आपराधिक मामला था, जिसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की। धीरे-धीरे 50 से अधिक लड़कियां सामने आईं और उन्होंने भी ऐसे ही आरोप लगाए।
महीनों की छानबीन के बाद पुलिस को पता चला कि एपस्टीन के मैनहटन, पाम बीच के विला और 'लिटिल सेंट जेम्स' नामक प्राइवेट आइलैंड पर हाई-प्रोफाइल पार्टियां होती थीं। इन पार्टियों में कई नामचीन लोग शामिल होते थे।
एपस्टीन कम उम्र की लड़कियों को लालच और धमकी देकर मजबूर करता था। वह उन्हें अपने प्राइवेट प्लेन 'लोलिता एक्सप्रेस' से आइलैंड पर लाता था, जिसमें उसकी गर्लफ्रेंड और पार्टनर गिस्लीन मैक्सवेल भी उसका साथ देती थी।
एपस्टीन का रसूख इतना था कि जांच शुरू होने के तीन साल बाद तक उसे जेल नहीं हुई। जब 2008 में उसे सजा हुई, तो उसे केवल 13 महीने के लिए जेल भेजा गया और 2009 में वह रिहा हो गया।
वर्जीनिया ग्रिफे के गंभीर आरोप
दस साल बाद, 2019 में वर्जीनिया ग्रिफे नाम की एक लड़की ने एपस्टीन पर कई गंभीर आरोप लगाए। ग्रिफे ने बताया कि जब वह 16 साल की थी और डोनाल्ड ट्रम्प के क्लब मार-ए-लागो में काम कर रही थी, तब उसकी मुलाकात गिस्लीन मैक्सवेल से हुई।
मैक्सवेल ने उसे मसाज थेरेपी का ऑफर दिया और उसे एपस्टीन के पास ले गई। इसके बाद एपस्टीन उसे अपने विला ले गया, जहां तीन साल तक उसका यौन शोषण हुआ।
वर्जीनिया जब 16 साल की थीं, तब पहली बार उनकी मुलाकात एपस्टीन से हुई थी। हालांकि, अप्रैल 2025 में 41 साल की उम्र में उनकी मौत हो गई।
एपस्टीन और मैक्सवेल की गिरफ्तारी
वर्जीनिया ग्रिफे के आरोपों के बाद 80 से अधिक महिलाओं ने एपस्टीन के खिलाफ शिकायत की। बढ़ते दबाव के चलते 6 जुलाई 2019 को न्यूयॉर्क में एपस्टीन को सेक्स ट्रैफिकिंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया।
वहीं, गिस्लीन मैक्सवेल को 2020 में गिरफ्तार किया गया और अगले साल दोषी ठहराया गया। उसे लड़कियों की भर्ती और तस्करी के लिए 20 साल की सजा हुई और वह अभी जेल में है।
कौन था जेफ्री एपस्टीन और उसके आइलैंड पर क्या होता था?
जेफ्री एपस्टीन पेशे से एक फाइनेंसर, डोनर और बिजनेसमैन था। हालांकि, उसकी करतूतें नाबालिग लड़कियों को बहला-फुसलाकर उनका शोषण और तस्करी करने वाली थीं, यानी वह सेक्स ट्रैफिकिंग का आरोपी था।
एपस्टीन के पास यूएस वर्जिन आइलैंड के पास 'लिटिल सेंट जेम्स' नाम का एक प्राइवेट आइलैंड था, जिसे आमतौर पर एपस्टीन आइलैंड कहा जाता था। इस आइलैंड पर सिर्फ प्राइवेट जेट, हेलिकॉप्टर या बोट से ही पहुंचा जा सकता था।
'लिटिल सेंट जेम्स' - अय्याशी का अड्डा
इसी आइलैंड पर एपस्टीन पार्टियां करता था, जिनमें दुनियाभर के रईस, ताकतवर और बुद्धिजीवी भी जाते थे। यहां खाने-पीने की पार्टियों के अलावा भी कई गैर-कानूनी और अनैतिक गतिविधियां होती थीं।
नशे और यौन शोषण का खेल
एपस्टीन आइलैंड में होने वाली पार्टियों में भारी मात्रा में शराब परोसी जाती थी। कुछ ड्रग्स के सबूत भी मिले हैं, हालांकि एपस्टीन ने दावा किया था कि वह ड्रग्स नहीं लेता था, लेकिन उसके मेहमान लेते थे।
पीड़ित लड़कियों को एंटी-एजिंग ड्रग्स भी दिए जाते थे। कई पीड़ितों ने गवाही दी है कि एपस्टीन और उसके मेहमान उन्हें ग्रुप सेक्स के लिए मजबूर करते थे, जिसमें कई नाबालिग लड़कियों के साथ जबरन संबंध बनाए जाते थे।
आइलैंड के एक कर्मचारी के मुताबिक, पार्टियां कई दिनों तक चलती थीं। नाबालिग लड़कियों से मसाज के बहाने यौन गतिविधियां होती थीं, जो पूल, हॉट टब, गेस्ट हाउस और प्राइवेट रूम्स में होती थीं।
मीटिंग्स और नेटवर्किंग का केंद्र
एपस्टीन अपने आइलैंड को सिर्फ सेक्स स्कैंडल के लिए ही नहीं, बल्कि नेटवर्किंग और मीटिंग्स के लिए भी इस्तेमाल करता था। यहां उन लोगों की भी सीक्रेट मीटिंग होती थी, जो कभी दुनिया के सामने नहीं मिल सकते थे।
फंड जुटाने के लिए डिनर, सोशल गैदरिंग और डिस्कशन भी होते थे। एपस्टीन खुद को एक 'कनेक्टर' की तरह पेश करता था और उसके कैलेंडर में ऐसी मीटिंग्स दर्ज होती थीं।
अरबपति बिल गेट्स ने भी माना कि वह एपस्टीन से मिले थे, ताकि दुनियाभर के रईसों से जुड़ सकें, हालांकि उन्होंने इसे 'गलती' करार दिया।
दावा किया जाता है कि एपस्टीन अपने आइलैंड्स पर बिजनेस मीटिंग्स भी करता था, जिनमें लीडर्स, इन्वेस्टर्स, फाइनेंसर, साइंटिस्ट और एक्सपर्ट्स भी आते थे। हालांकि, आइलैंड पर किसी भी तरह की डील्स होने के ठोस और स्पष्ट सबूत नहीं मिले हैं।
जेफ्री एपस्टीन की मौत: आत्महत्या या हत्या?
जुलाई 2019 में जब एपस्टीन को न्यूयॉर्क पुलिस ने गिरफ्तार किया, तो उसके एक महीने बाद ही 10 अगस्त 2019 को उसकी मौत हो गई। सरकारी रिपोर्ट में कहा गया कि एपस्टीन ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
हालांकि, कई मेडिकल और लॉ एक्सपर्ट्स ने इस पर गंभीर सवाल उठाए हैं, जिससे उसकी मौत पर संदेह गहरा गया है।
संदिग्ध हालात और जेल की खामियां
पोस्टमॉर्टम से पता चला कि एपस्टीन की गर्दन की कई हड्डियां टूटी हुई थीं। फोरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. माइकल बाडेन ने दावा किया कि ऐसी चोटें फांसी या आत्महत्या में नहीं होतीं, बल्कि यह गला घोंटने जैसा मामला लगता है।
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, जिस रात एपस्टीन की मौत हुई, उस रात जेल की सुरक्षा में कई खामियां देखी गईं। एपस्टीन के सेल के बाहर लगे दो कैमरे उस रात कई बार खराब हुए।
एक बार तो कैमरे तीन मिनट के लिए बंद हुए और जब दोबारा चालू हुए, तो एपस्टीन की मौत हो चुकी थी। जेल की ओर से जारी सीसीटीवी फुटेज में भी एक मिनट का जंप था, जो संदेह पैदा करता है।
विशेषज्ञों के सवाल और वायरल तस्वीरें
अमेरिकी टीवी होस्ट जो स्कारबोरो ने ट्वीट किया था, 'एक ऐसा व्यक्ति, जिसके पास अमीर और ताकतवर लोगों की जिंदगी तबाह करने की जानकारी थी, जेल में मरा पाया गया। यह तो रूसी तरीका है।'
एपस्टीन की मौत के बाद उसकी एक फोटो काफी वायरल हुई थी, जिसमें दावा किया गया था कि वह मरा नहीं है, बल्कि जिंदा है।
किन नामचीन हस्तियों के नाम आए सामने?
अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट से जारी दस्तावेजों में कई शख्सियतों के नाम सामने आए हैं, जिन्होंने इस स्कैंडल में किसी न किसी तरह से भूमिका निभाई है या उनसे जुड़े रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति से लेकर ब्रिटिश राजकुमार तक
इनमें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और डोनाल्ड ट्रम्प के नाम शामिल हैं। ब्रिटिश शाही परिवार से प्रिंस एंड्रयू का नाम भी सामने आया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मची हुई है।
अन्य प्रमुख हस्तियां
वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग्स, अरबपति बिल गेट्स और इलॉन मस्क जैसे दर्जनों नाम भी इन फाइलों में सामने आए हैं। हॉलीवुड एक्टर केविन स्पेसी, पॉप स्टार माइकल जैक्सन और एक्टर क्रिस टकर का नाम भी इस सूची में है।
इन सभी नामों ने इस स्कैंडल को और भी हाई-प्रोफाइल बना दिया है, जिससे दुनिया भर में इसकी चर्चा हो रही है।
क्या नाम आने भर से अपराधी माने जाएंगे ये लोग?
नहीं, एपस्टीन फाइल्स में नाम आने का मतलब यह नहीं है कि वे लोग तुरंत अपराधी माने जाएंगे। अमेरिकी अदालतों ने भी यह साफ किया है कि सिर्फ नाम आने से किसी को भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
अपराध साबित करने के लिए गवाही, पैसे के लेन-देन जैसे ठोस सबूत पेश करने होंगे। यह कानूनी प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
अदालती स्पष्टीकरण और सबूतों की आवश्यकता
एपस्टीन फाइल्स में बिल क्लिंटन, डोनाल्ड ट्रम्प, स्टीफन हॉकिंग्स, बिल गेट्स और इलॉन मस्क जैसे दर्जनों नाम सामने आए हैं। हालांकि, इन सभी को कोई सजा नहीं हुई है, क्योंकि उनके खिलाफ सीधे तौर पर अपराध साबित करने वाले सबूत नहीं मिले हैं।
नैतिकता के आधार पर प्रभाव
हालांकि, नैतिकता के आधार पर कुछ लोगों को अपने पद छोड़ने पड़े हैं या उनकी सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचा है। हाल ही में यूएस ओवरसाइट कमेटी के कुछ मेंबर्स ने ट्रम्प की एक तस्वीर जारी की थी, जिसमें वे महिलाओं के साथ दिख रहे थे।
क्या इस मामले में किसी भारतीय का नाम है?
नहीं, 19 दिसंबर को DOJ की ओर से जारी एपस्टीन फाइल्स की शुरुआती जांच में पाया गया है कि एपस्टीन सेक्स स्कैंडल का जुड़ाव भारत से नहीं है।
भारत से जुड़ाव नहीं, पर दिलचस्पी
लॉ एक्सपर्ट्स और अमेरिकी अधिकारियों के बयानों से भी यह साफ है कि भारत का इसमें कोई सीधा रोल नहीं है। हालांकि, यह बात सामने आई है कि एपस्टीन भारत-इजराइल के संबंधों में दिलचस्पी रखता था।
ऐसी बातें करके वह अपना रुतबा बढ़ाता था और खुद को एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में पेश करता था।
एपस्टीन फाइल्स मामले में आगे क्या होगा?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 19 नवंबर 2025 को एपस्टीन फाइल्स ट्रांसपेरेंसी एक्ट पर हस्ताक्षर किए थे। इस एक्ट के मुताबिक, 30 दिन के भीतर एपस्टीन फाइल्स को सार्वजनिक करना था।
इसी के तहत 19 दिसंबर को एपस्टीन फाइल्स के 3 लाख दस्तावेज सबके सामने आए।
DOJ की रिपोर्ट और पारदर्शिता अधिनियम
इसी एक्ट के मुताबिक, DOJ को दस्तावेज जारी होने के 15 दिन के भीतर एक रिपोर्ट तैयार करनी होगी। इस रिपोर्ट में यह बताना होगा कि कौन से रिकॉर्ड सार्वजनिक किए गए और कौन से रिकॉर्ड रोक लिए गए हैं।
साथ ही, यह भी बताना होगा कि कौन से डॉक्यूमेंट्स, फोटो वगैरह को जारी करने से पहले एडिट किया गया है और इन सभी की कानूनी वजह देनी होगी। DOJ को 3 जनवरी 2026 तक यह रिपोर्ट तैयार करनी होगी, जिससे इस मामले में और पारदर्शिता आएगी।
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