Highlights
फहमीदा ने किया शिक्षा के लिए करोड़ों का भूदान
फतेहपुर में महिला शिक्षा के लिए एक नई इबारत लिखी जा रही है
फहमीदा के ससुराल परिवार के लोग महिला शिक्षा के लिए भू दान के इस फैसले में प्रेरक बने
फतेहपुर में फहमीदा ने किया शिक्षा के लिए करोड़ों का भूदान
महिला शिक्षा का नाम आते ही सबसे पहले दो नाम जेहन में उभरते हैं। पहला -सावित्री बाई फुले। दूसरा -फातिमा शेख। फातिमा के भाई उस्मान शेख ज्योति बा फुले के दोस्त थे और सावित्री बाई ज्योति बा की धर्म पत्नी। सभी सामाजिक संघर्ष के हमराह।
पहली महिला शिक्षक के बतौर दुनिया भर में मशहूर फातिमा शेख ने ज्योति बा फुले और सावित्री बाई फुले के साथ मिल वंचित और मुस्लिम महिलाओं में शिक्षा की ऐसे वक्त में अलख जगाई ,जब उसके बारे में कोई सोचने तक को तैयार नहीं था।
बीती नौ जनवरी को जब देश के कई हिस्सों में फातिमा शेख की जन्मतिथि पर जयंती समारोह हो रहे थे ,तभी शेखावाटी अंचल (राजस्थान ) के फतेहपुर में महिला शिक्षा के लिए एक नई इबारत लिखी जा रही थी। इस बार जिम्मा फातिमा की तरह जिम्मा एक मुस्लिम महिला ही संभाल रही थी।
67 साल की फहमीदा ने रेतीले धोरों के बीच बसे फतेहपुर की बेटियों की उच्च शिक्षा की राह खोलते हुए राजकीय कन्या महाविद्यालय के लिए बेशकीमती 16 बीघा जमीन दान की है। फहमीदा ने महाविद्यालय की प्राचार्य के नाम उप पंजीयक कार्यालय में गिफ्ट डीड रजिस्टर्ड करवाई और करीब तीन करोड़ रुपये कीमत की यह जमीन महिला शिक्षा के लिए कालेज प्रबंधन के हवाले कर दी।
ससुराल वाले बन गए प्रेरक
फहमीदा के ससुराल परिवार के लोग महिला शिक्षा के लिए भू दान के इस फैसले में उसी तरह प्रेरक बने, जैसे सावित्री बाई के लिए उनके पति ज्योति बा फुले और फातिमा शेख के लिए उनके भाई उस्मान शेख।
फतेहपुर से कांग्रेस विधायक हाकम अली कन्या महाविद्यालय के लिए किये गए इस भूदान से इतने अभिभूत हैं कि सोशल मीडिया पर फहमीदा द्वारा जमीन का उपहार पत्र साझा कर हाजी दाऊद पिनारा यानीं हाजी गुलाम रब्बानी की तारीफ दर तारीफ कर रहे हैं। हाकम अली लिखते हैं -"महाविद्यालय में पढ़ने वाली बेटियां आपको बहुत दुआएं देंगी।"
फहमीदा का परिवार पहले भी कर चुका है भूदान
फहमीदा के परिवार द्वारा फतेहपुर शेखावाटी में शिक्षा के लिए भू दान का यह पहला मामला नहीं। इस परिवार द्वारा संचालित डीएचपी फाउंडेशन द्वारा यह तीसरा भूदान है ,जो शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी अलख का काम करेगा। इससे पहले फाउंडेशन ने शहर कि फातिमा सीनियर सेकंडरी स्कूल के कायाकल्प में भूमिका अदा की तो आवासीय अल्पसंख्यक विद्यालय के लिए भी 12 बीघा जमीन का दान किया। हाइवे से सटी जमीनों और शहर की जमीनों के आसमान छूटे के भाव देखें तो कालेज और स्कूलों के लिए दान की गयी इन जमीनों की कीमत करोड़ों रुपये में है।
डीएचएफ यानि दाऊद हनीफ पिनारा फाउंडेशन के प्रमुख जमीनों की कीमत से ज्यादा कीमत शिक्षा की मानते हैं। मिडल ईस्ट में व्यवसाय करने वाले दाऊद हनीफ पिनारा "थिंक 360 " से बातचीत में कहते हैं -"क्वालिटी एजुकेशन वक्त की जरूरत है। हमारी कोशिश उसके लिए हर संभव सहयोग की है। " पिनारा का फाउंडेशन एक तरफ शिक्षा की गुणवत्ता की खातिर शिक्षण संस्थानों की बेहतरी के लिए काम कर रहा है तो दूसरी तरफ जरूरतमंद बच्चों को स्कॉलरशिप देकर उनके उच्च शिक्षा के लिए दरवाजे भी खोल रहा है।
शेखावाटी ने निकलने चाहिए रामानुजन जैसे गणितज्ञ
पिनारा कहते हैं -"हमारी चाहत है कि इंजीनियरिंग की पढाई करने वाले बच्चे इंजिनियर ही बनें ,क्लर्क नहीं। फाउंडेशन का जमीनी काम देखने वाले श्रीराम थालौर के मुताबिक स्कॉलरशिप हासिल करने वाले बच्चों में सभी समुदायों और वर्गों के जरूरतमंद शामिल हैं। पिनारा परिवार इस इलाके में शिक्षा ही नहीं ,बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी बड़ी भूमिका निभा रहा है। यानि अठारहवीं सदी की शुरुआत में जो सपना पहली महिला शिक्षक फातिमा शेख ने देखा था ,वह फहमीदा और उनका परिवार पूरा करने में जुटा है। और ,सपना यह कि इलाके से श्रीनिवास रामानुजन जैसे गणितज्ञ भी निकलें तो दिवंगत राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जैसे वैज्ञानिक भी। पुनिता अरोड़ा जैसी सैन्य अधिकारी भी निकलें तो वंदना शिवा जैसी पर्यावरणविद भी।