Bollywood | फरीदा जलाल, भारतीय सिनेमा की एक ऐसी अदाकारा हैं जिन्होंने अपने अभिनय से लाखों दिलों में एक खास जगह बनाई है। उनका करियर दशकों पुराना है, और उनकी फिल्मों में विविधता और गहरी भावनाओं का मिश्रण देखने को मिलता है। उन्होंने रोमांस, ड्रामा, कॉमेडी, और सशक्त महिला पात्रों का अभिनय बेहतरीन तरीके से किया है। फरीदा जलाल का अभिनय न केवल उनकी फिल्मों में, बल्कि उनकी व्यक्तिगत शैली और सरलता में भी झलकता है, जो उन्हें एक विशिष्ट पहचान देता है।
फरीदा जलाल का जन्म 18 मार्च 1949 को दिल्ली में हुआ था। उनका परिवार सिनेमा से कोई खास ताल्लुक नहीं रखता था, फिर भी उनका झुकाव फिल्म इंडस्ट्री की ओर था। फरीदा जलाल ने अपनी पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय से की थी, लेकिन उनके मन में अभिनय का ख्वाब बचपन से ही था। इस ख्वाब को पूरा करने के लिए उन्होंने अभिनय में अपना करियर बनाने का निर्णय लिया और 1960 के दशक के अंत में मुंबई में कदम रखा।
फरीदा जलाल को सबसे पहले हिंदी फिल्मों में 1967 में फिल्म “Taqdeer” से अभिनय का अवसर मिला था। हालांकि, यह फिल्म ज्यादा सफल नहीं रही, लेकिन इसके बाद उन्हें 1970 के दशक में कई प्रमुख फिल्में मिलीं। उनका असली पहचान 1970 और 1980 के दशक में बनी फिल्मों से बनी, जिनमें उन्होंने बेहतरीन अभिनय किया।
फरीदा जलाल को विशेष पहचान तब मिली जब उन्होंने फिल्म “Dilwale Dulhania Le Jayenge” (1995) में काजोल की मां की भूमिका अदा की। इस फिल्म में उनके अभिनय ने उन्हें एक स्थायी स्थान दिलाया। इसके अलावा, उनकी फिल्में जैसे “Chupke Chupke” (1975), “Kabhi Khushi Kabhie Gham” (2001), “Kuch Kuch Hota Hai” (1998), “Henna” (1991), “Yes Boss” (1997) और “Pardes” (1997) ने उन्हें भारतीय सिनेमा की सबसे प्यारी और यादगार अदाकाराओं में शुमार किया।
फरीदा जलाल के पात्र अक्सर सशक्त, स्नेहशील और भावनात्मक रूप से गहरे होते थे। चाहे वह एक प्यारी मां की भूमिका हो या एक सजीव बहन का किरदार, फरीदा जलाल ने हर रोल को अपनी आत्मीयता और सहजता से जिया। उनकी फिल्मों में सरलता और सच्चाई का एक खास रूप था, जिससे दर्शक जुड़ पाते थे।
फरीदा जलाल की निजी ज़िंदगी भी बहुत ही शांत और सादगी से भरी रही है। उन्होंने 1978 में अभिनेता और निर्माता दीपक जलाल से शादी की। उनके दो बच्चे हैं। हालांकि, उनका फिल्म इंडस्ट्री में आना एक चुनौतीपूर्ण यात्रा थी, लेकिन उन्होंने हमेशा अपने परिवार को प्राथमिकता दी और जीवन में संतुलन बनाए रखा।
फरीदा जलाल का अभिनय किसी भी पात्र में प्रामाणिकता और गहराई लाने में सक्षम था। उनका चेहरा न केवल अपने भावों से, बल्कि उनकी आँखों के जादू से भी कहानी कहता था। वह फिल्म के हर दृश्य में अपनी उपस्थिति से खास असर छोड़ती थीं। चाहे वह एक सशक्त मां हो या एक प्यारी पत्नी, उनकी भूमिकाएँ दिल को छू जाती थीं।
फरीदा जलाल का सिनेमा के प्रति योगदान केवल उनके अभिनय तक ही सीमित नहीं है। वह एक ऐसी महिला हैं जो इंडस्ट्री में लंबे समय तक अपने अभिनय का जलवा बनाए रखने में सफल रही हैं। उन्होंने अपनी भूमिकाओं से समाज में महिला पात्रों को एक नई पहचान दी है। उनके द्वारा निभाए गए किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में जीवित हैं।