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राजस्थान के सैनिक कल्याण मंत्री मिले एआईएमआईएम के चीफ औवेसी से मिले
राजनीतिक रूप से कई मायनों से अहम मुलाकात
इस बैठक के बाद अब राजनीतिक पंडित अपने—अपने हिसाब—किताब में जुटे हैं कि मायने क्या निकलेंगे
जयपुर | राजस्थान की राजनीति में असद्दुद्दीन औवेसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस ए एत्तहादुल मुसलमीन यानि की एआईएमआईएम की एंट्री ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों के कान खड़े किए हैं। इसी बीच जयपुर एक पांच सितारा होटल में औवेसी की गहलोत सरकार के मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढ़ा के साथ हुई मीटिंग ने कांग्रेस खासकर के गहलोत खेमे की पेशानी पर बल ला दिए हैं।
एआईएमआईएम के सदर औवेसी के जयपुर पहुंचने पर और राजस्थान में चुनावी माहौल के आगाज से पहले गुढ़ा की इस बैठक ने शेखावाटी में चुनाव माहौल को बदलने की कोशिश तो नहीं की हैं? गहलोत कैम्प से बागी हो चुके राजेन्द्र गुढ़ा ने साफ तौर पर यहां सरकार की बात तो नहीं ही की होगी।
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि बंद कमरे की मुलाकात में क्या हुआ। सरकार की इंटेलीजेंस एजेंसीज सिर्फ कशमकश में जुटी है सरकार को रिपोर्ट देने की। बीजेपी का वोट बैंक राजपूत समुदाय का वोट क्या शेखावाटी में प्रभावित हो सकता है। यह भी एक बड़ा सवाल है। क्योंकि वह कांग्रेस में उपेक्षा से नाराज है और बीजेपी में केन्द्र सरकार की ओर से ईडब्ल्यूएस के आरक्षण के अपने खिलाफ प्रावधानों से।
राजपूत वोट बैंक की हालिया सबसे बड़ी नाराजगी बीजेपी नेताओं इतिहास के तोड़—मरोड़ से भी है। ऐसे में यह मुलाकात अलग तरीके से सोचने को मजबूर करती है।
राजस्थान में 9.1 फीसदी मुसलमान जनगणना के अनुसार है और करीब 60 विधानसभा सीटों पर निर्णायक वोट रखने के बावजूद अपने अस्तित्व के बराबर विधानसभा और लोकसभा में प्रतिनिधित्व नहीं पा सक रहे हैं। यहां तक कि शहरों में बड़ी संख्या में पार्षद होने के वावजूद मेयर, चेयरमैन या पालिकाध्यक्ष जैसे पदों पर मुसलमान को अवसर कांग्रेस भी नहीं दे रही। लोकसभा का तो टिकट तक नहीं मिलता।
बीते सत्तर सालों में सिर्फ एक ही व्यक्ति इस समुदाय से दो बार सांसद बन पाया है। ऐसे में राजनीतिक रूप से उपेक्षित ही नहीं बल्कि उपयोग होता रहा राजस्थान का मुसलमान अलग तरह से सोच रहा है और औवेसी की पार्टी एआईएमआईएम की ओर उम्मीद भरी नजर से देख रहा है। इस बैठक के बाद अब राजनीतिक पंडित अपने—अपने हिसाब—किताब में जुटे हैं कि मायने क्या निकलेंगे।