गुरु गोविन्द सिंह जयंती संगोष्ठी: जालोर में हिन्दू युवा संगठन ने मनाई गुरु गोविन्द सिंह जयंती संगोष्ठी में गूंजे वीर गाथा के स्वर

जालोर में हिन्दू युवा संगठन ने मनाई गुरु गोविन्द सिंह जयंती संगोष्ठी में गूंजे वीर गाथा के स्वर
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Highlights

  • गुरु गोविन्द सिंह जी की जयंती पर हिन्दू युवा संगठन ने जालोर में पुष्पांजलि कार्यक्रम आयोजित किया।
  • संगोष्ठी में सरदार सुप्रीत सिंह खालसा ने गुरु साहिब के जीवन और खालसा पंथ की स्थापना पर प्रकाश डाला।
  • संस्थापक सुरेश सोलंकी ने धर्म रक्षा के लिए गुरु गोविन्द सिंह जी के सिद्धांतों और पांच ककारों की व्याख्या की।
  • कार्यक्रम में नगर के गणमान्य व्यक्तियों ने गुरु साहिब के आदर्शों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने का संकल्प लिया।

जालोर | हिन्दू युवा संगठन संस्था द्वारा सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु साहिब ए कमाल खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोविन्द सिंह जी की जयंती के पावन अवसर पर भव्य पुष्पांजलि और संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। नगर अध्यक्ष राव हेमेन्द्र सिंह बगेडिया ने बताया कि यह कार्यक्रम संस्था के संस्थापक अध्यक्ष एडवोकेट सुरेश सोलंकी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत में उपस्थित सभी सदस्यों ने गुरु गोविन्द सिंह जी की पावन तस्वीर पर श्रद्धापूर्वक पुष्प अर्पित किए और उनके महान बलिदानों एवं राष्ट्र सेवा के संकल्प को याद किया। इसके पश्चात संगोष्ठी का औपचारिक शुभारंभ किया गया जिसमें गुरु साहिब के महान जीवन दर्शन पर विस्तृत चर्चा की गई।

गुरु गोविन्द सिंह जी का गौरवशाली जीवन परिचय

संगोष्ठी के दौरान मुख्य वक्ता सरदार सुप्रीत सिंह खालसा ने गुरु गोविन्द सिंह जी के ओजस्वी जीवन के बारे में विस्तार से जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि गुरु गोविन्द सिंह जी का जन्म 1666 में पटना में हुआ था। वह गुरु तेग बहादुर और माता गुजरी के इकलौते पुत्र थे और उनके बचपन का नाम गोविन्द राय था। गुरु गोविन्द सिंह केवल एक धार्मिक गुरु ही नहीं बल्कि एक महान दार्शनिक प्रख्यात कवि और निडर योद्धा भी थे जिन्होंने सदैव अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध निर्भीकता से आवाज उठाई। उनके जीवन का प्रत्येक क्षण मानवता के कल्याण और धर्म की रक्षा के लिए समर्पित रहा।

खालसा पंथ की स्थापना और पंज प्यारे का महत्व

सरदार सुप्रीत सिंह ने आगे बताया कि साल 1699 में बैसाखी के पावन दिन गुरु साहिब ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों और क्षेत्रों से आए पांच साहसी व्यक्तियों को चुना जिन्हें पंज प्यारे का नाम दिया गया। इन पांचों में लाहौर के दयाराम हस्तिनापुर के धरम राय जगन्नाथ के भाई हिम्मत राय गुजरात के भाई मोहकम राय और बीदर कर्नाटक के भाई साहिब चंद शामिल थे। इन पांचों ने केसरिया रंग के वस्त्र और पगड़ी धारण की थी। गुरु साहिब ने इन सभी के हिंदू नाम बदलकर उनके साथ सिंह उपनाम जोड़ा और उन्हें वीरता का नया स्वरूप प्रदान किया। नगर कीर्तन में भी गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी के आगे इन पंज प्यारों को ही स्थान दिया जाता है।

धर्म रक्षा और पांच ककार के मूल सिद्धांत

संस्थापक एडवोकेट सुरेश सोलंकी ने अपने संबोधन में कहा कि गुरु गोविन्द सिंह जी ने धर्म की रक्षा हेतु अपने अनुयायियों को सैनिक बनाने हेतु खालसा पंथ की नींव रखी और वाहे गुरुजी का खालसा वाहे गुरुजी की फतेह का अमर नारा दिया। उन्होंने खालसा पंथ के लिए पांच मूल सिद्धांत निर्धारित किए जिन्हें पांच ककार कहा जाता है। इसमें केस कंघा कड़ा कछ और कृपाण धारण करना शामिल है। सुरेश सोलंकी ने स्पष्ट किया कि ये सिद्धांत केवल बाह्य प्रतीक नहीं बल्कि व्यक्ति के चरित्र निर्माण आदर्शात्मक जीवन जीने और स्वयं पर नियंत्रण रखने के मार्ग थे। गुरु साहिब का मानना था कि व्यक्ति चरित्रवान बनकर ही विपरीत हालातों और अत्याचारों के खिलाफ मजबूती से लड़ सकता है।

युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक संदेश

संस्था महामंत्री अर्जुन सिंह पंवार ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि सिख धर्म में गुरु गोविन्द सिंह जी की जयंती को एक महान पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हमारे मन में सम्मान श्रद्धा गौरव और समर्पण का भाव भर देता है। गुरु साहिब ने अपने पूरे जीवनकाल में सत्य की राह पर चलते हुए दीन-दुखियों की सेवा की और मुगलों के अत्याचार के सामने कभी घुटने नहीं टेके। आज की युवा पीढ़ी को उनके महान चरित्र और आदर्शों से अवगत कराना अत्यंत आवश्यक है ताकि वे देश और धर्म के प्रति अपने कर्तव्यों को समझ सकें। संगोष्ठी में उपस्थित अन्य वक्ताओं ने भी गुरु साहिब के जीवन संघर्षों पर अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम का समापन और उपस्थित गणमान्य

संपूर्ण संगोष्ठी और कार्यक्रम का कुशल संचालन मूलाराम प्रजापत द्वारा किया गया। अंत में नगर अध्यक्ष हेमेन्द्र सिंह बगेडिया ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संस्था द्वारा हर वर्ष गुरु गोविन्द सिंह जी सहित विभिन्न महापुरुषों और आध्यात्मिक गुरुओं के आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य किया जाता है। इस अवसर पर संस्थापक अध्यक्ष एडवोकेट सुरेश सोलंकी महामंत्री अर्जुन सिंह पंवार कोषाध्यक्ष मंगलाराम सांखला अमन देवेन्द्र मेहता गजेन्द्र सिंह सिसोदिया रवि सोलंकी दिनेश महावर गुरुद्वारा साहिब के सचिव सरदार रविन्द्र सिंह हिरालाल देवासी संजय बोराना सोम शर्मा और सुरेश सुन्देशा सहित अनेक कार्यकर्ता और श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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