Highlights
- जासूस प्रकाश सिंह ने ISI एजेंटों को भारतीय सिम उपलब्ध कराए।
- महिला एजेंट इन नंबरों से वॉट्सऐप पर सेना के जवानों को हनीट्रैप करती थीं।
- प्रकाश ने राजस्थान और गुजरात के सैन्य ठिकानों की गोपनीय जानकारी भेजी।
- जासूसी के बदले प्रकाश के बैंक खातों में लाखों रुपए का लेनदेन हुआ।
जयपुर: श्रीगंगानगर (Sri Ganganagar) से पकड़े गए जासूस प्रकाश सिंह (Prakash Singh) ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) की महिला एजेंटों को भारतीय मोबाइल नंबर उपलब्ध कराए थे। इन नंबरों का उपयोग कर एजेंट वॉट्सऐप (WhatsApp) पर सेना के जवानों को हनीट्रैप (Honeytrap) में फंसाती थीं।
प्रकाश ने राजस्थान (Rajasthan) और गुजरात (Gujarat) के सैन्य ठिकानों की महत्वपूर्ण फोटो-वीडियो भी आईएसआई को भेजे थे, जिसके बदले उसे लाखों रुपए मिले।
राजस्थान के श्रीगंगानगर से पकड़े गए भारतीय जासूस प्रकाश सिंह ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए एक बड़े हनीट्रैप नेटवर्क का खुलासा किया है। इंटेलिजेंस एजेंसियों की जांच में सामने आया है कि प्रकाश आईएसआई एजेंटों को भारतीय सिम कार्ड उपलब्ध कराता था, जिनका इस्तेमाल कर महिला एजेंट सेना के जवानों को अपने जाल में फंसाती थीं।
यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। उसके मोबाइल फोन में आईएसआई एजेंटों के नंबर 'बाबाजी', 'वीरजी' और 'बाला वीरजी' जैसे कोड नामों से सेव मिले हैं, जो उसकी जासूसी गतिविधियों का स्पष्ट प्रमाण है।
भारतीय सिम का इस्तेमाल कर हनीट्रैप
जासूस प्रकाश ने चंद पैसों के लालच में आम लोगों के दस्तावेजों का इस्तेमाल कर कई भारतीय मोबाइल सिम खरीदे थे। इन सिम को एक्टिवेट करवाकर उनके नंबर और ओटीपी पाकिस्तान में बैठे आईएसआई हैंडलर्स को देता था। पाकिस्तानी एजेंट इन नंबरों पर वॉट्सऐप अकाउंट बनाते थे और अपनी पहचान छिपाते थे।
खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि आईएसआई की महिला एजेंट इन भारतीय वॉट्सऐप नंबरों पर सेना की वर्दी में अपनी खूबसूरत तस्वीरें डीपी के तौर पर लगाकर सीमावर्ती इलाकों में तैनात भारतीय सेना के जवानों को हनीट्रैप का शिकार बनाती थीं। भारतीय नंबर होने के कारण जवानों को इन पर शक नहीं होता था, जिससे वे आसानी से जाल में फंसकर संवेदनशील जानकारी साझा कर बैठते थे।
प्रकाश ने कुल चार सिम कार्ड एक्टिवेट कराए थे। इनमें से एक वह खुद इस्तेमाल करता था, जबकि एक नंबर पाकिस्तान में सक्रिय पाया गया है। बाकी दो अन्य नंबर दो अलग-अलग देशों में इस्तेमाल हो रहे थे। एजेंसियां इन नंबरों पर चल रहे वॉट्सऐप से कितने लोगों को फंसाया गया है, इसकी विस्तृत जानकारी जुटा रही हैं और इसके लिए वॉट्सऐप कंपनी से इन नंबरों की पूरी हिस्ट्री भी मांगी गई है।
सैन्य ठिकानों की रेकी और गोपनीय जानकारी
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान प्रकाश ने राजस्थान और गुजरात के कई महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों की रेकी की थी।
उसने इन ठिकानों की फोटो और वीडियो बनाकर आईएसआई एजेंटों को भेजे थे। उसके मोबाइल की गहन जांच में सैन्य गतिविधियों और प्रतिष्ठानों की संवेदनशील जानकारी भेजे जाने की पुष्टि हुई है।
प्रकाश को आईएसआई हैंडलर्स से सीधे निर्देश मिलते थे, जो उसे विभिन्न सैन्य क्षेत्रों में जाने और जानकारी एकत्र करने के लिए प्रेरित करते थे। उसने राजस्थान के अलवर, बीकानेर के खाजूवाला के अलावा पंजाब और गुजरात के कई आर्मी ठिकानों तक पहुंच बनाई थी।
वहां से उसने आर्मी कैंप, लोकेशन, सेना के मूवमेंट, नए सैन्य प्रोजेक्ट जैसी रणनीतिक महत्व की जानकारियां पाकिस्तान भेजी थीं, जिससे देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हुआ।
आर्थिक लालच और नशे की लत
जासूसी के इस देशद्रोही काम के बदले प्रकाश को भारी मात्रा में पैसा मिलता था। उसके एयरटेल बैंक खातों की जांच में पिछले कुछ समय में करीब सवा लाख रुपए के लेनदेन की पुष्टि हुई है, जिसमें पाकिस्तान और अन्य देशों से पैसे आए थे।
इंटेलिजेंस अफसरों के अनुसार, प्रकाश जानता था कि यह जानकारी देश को खतरे में डाल सकती है, लेकिन नशे की लत और पैसों के लालच में उसने यह सब किया। वह फार्मेसी का छात्र रहा है और कंप्यूटर हार्डवेयर-सॉफ्टवेयर की भी अच्छी जानकारी रखता है।
ऑपरेशन सिंदूर: छठी गिरफ्तारी
आईजी इंटेलिजेंस प्रफुल्ल कुमार ने बताया कि संदिग्ध गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जाती है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से प्रकाश सिंह छठा पाकिस्तानी एजेंट है, जिसे भारतीय एजेंसियों ने सफलतापूर्वक पकड़ा है।
27 नवंबर को प्रकाश सिंह को श्रीगंगानगर में सेना के कैंट एरिया साधुवाली के आसपास संदिग्ध रूप से देखा गया था, जिसके बाद खुफिया एजेंसियों की सक्रियता बढ़ गई।
सूचना मिलने पर बॉर्डर इंटेलिजेंस टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उसे हिरासत में ले लिया।
पर्याप्त सबूत मिलने के बाद 1 दिसंबर को स्पेशल पुलिस स्टेशन जयपुर में ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट 1923 के तहत मुकदमा दर्ज कर प्रकाश सिंह को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया।
उसके मोबाइल फोन पर पाकिस्तान के वॉट्सऐप नंबरों से लगातार संपर्क में रहने और सेना से जुड़े कई गोपनीय फोटो-वीडियो भेजने की पुष्टि हुई है।
प्रकाश चैट के जरिए भी कई संवेदनशील जानकारियां साझा कर रहा था।
उसके मोबाइल से हटाए गए मैसेज और फोटो-वीडियो को रिकवर करने के लिए एफएसएल की मदद ली जा रही है, जिससे उसके पूरे नेटवर्क का खुलासा हो सके।
आरोपी जासूस प्रकाश को 11 दिसंबर तक रिमांड पर लेकर गहन पूछताछ की जा रही है, जिससे इस जासूसी नेटवर्क से जुड़े और भी खुलासे होने की संभावना है।
ड्रग तस्करी से पुराना नाता
जासूसी से पहले प्रकाश सिंह का ड्रग तस्करी से भी गहरा संबंध रहा है, जो उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि को दर्शाता है।
वह पिछले 13 सालों से अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी नेटवर्क का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। वह पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए राजस्थान से जुड़े बॉर्डर पर गिराई जाने वाली हेरोइन जैसी ड्रग्स को देश के अलग-अलग राज्यों में सप्लाई करता था।
प्रकाश सिंह इस ड्रग तस्करी मॉडल का मुख्य सरगना था, जिसके कारण उसके संपर्क पाकिस्तान में पहले से ही स्थापित थे।
उसे साल 2012-13 में हेरोइन के साथ पकड़ा गया था और वह सितंबर 2014 तक पंजाब की जेल में रहा। जेल में रहने के दौरान भी वह अमृतसर के बड़े ड्रग स्मगलरों के लिए मीडिएटर का काम करता था।
विशेष लोक अभियोजक सुदेश सतवान ने बताया कि फिरोजपुर, पंजाब निवासी प्रकाश सिंह उर्फ बादल (34) को जांच टीम पंजाब लेकर गई है, जहां उससे गहन पूछताछ जारी है ताकि इस पूरे जासूसी और ड्रग तस्करी रैकेट का पर्दाफाश किया जा सके।
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