Highlights
- नीरजा मोदी स्कूल में 9 वर्षीय छात्रा अमायरा ने चौथी मंजिल से कूदकर आत्महत्या की।
- शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने जांच बाधित करने वालों को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी।
- संयुक्त अभिभावक संघ ने स्कूल की मान्यता तत्काल रद्द करने की मांग की।
- स्कूल प्रशासन पर सबूत मिटाने और जांच में असहयोग करने के आरोप लगे हैं।
जयपुर: जयपुर (Jaipur) के नीरजा मोदी स्कूल (Neerja Modi School) में 9 वर्षीय छात्रा अमायरा (Amayra) ने चौथी मंजिल से कूदकर जान दे दी। अभिभावक संघ (Parents' Association) ने स्कूल की मान्यता रद्द करने की मांग की है।
दर्दनाक हादसा: स्कूल की चौथी मंजिल से कूदी छात्रा
जयपुर के मानसरोवर स्थित नीरजा मोदी स्कूल में 1 नवंबर की दोपहर करीब डेढ़ बजे एक हृदय विदारक हादसा हुआ।
स्कूल की चौथी मंजिल से 9 वर्षीय छात्रा अमायरा ने छलांग लगा दी, जिसके परिणामस्वरूप उसकी दुखद मौत हो गई।
सीसीटीवी फुटेज में बच्ची को स्कूल की रेलिंग पर चढ़ते और फिर नीचे कूदते हुए स्पष्ट रूप से देखा गया है।
अंतिम पीरियड में अमायरा ने अपनी टीचर से वॉशरूम जाने की अनुमति ली और सीधे चौथी मंजिल पर जाकर नीचे छलांग लगा दी।
मानसरोवर के शिप्रा पथ स्थित इस प्रतिष्ठित स्कूल में हुई घटना से पूरे शहर में गहरा सदमा और चिंता फैल गई है।
अमायरा, विजय कुमार की पुत्री थी और मानसरोवर स्थित द्वारका अपार्टमेंट में अपने परिवार के साथ रहती थी।
अस्पताल पहुंचने से पहले ही थम गईं सांसें
मेट्रो मास हॉस्पिटल के आपातकालीन वार्ड में मौजूद डॉक्टरों ने बताया कि जब बच्ची को अस्पताल लाया गया, तब उसकी सांसें लगभग थम चुकी थीं।
उसकी पसलियां टूटकर आंतरिक अंगों के अंदर घुस गई थीं, जिसकी वजह से शरीर में हवा भर गई और वह पूरी तरह से सूज गया था।
सिर में भी गहरी चोट लगी थी, जिसके कारण काफी गंभीर रक्तस्राव हुआ था।
इस दुखद घटना के बाद अमायरा का अंतिम संस्कार मुरलीपुरा के मुक्तिधाम में किया गया।
स्कूल प्रशासन पर गंभीर आरोप: सबूत मिटाने की कोशिश
घटना के तुरंत बाद स्कूल प्रशासन पर सबूत मिटाने के बेहद गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
आरोप है कि जहां बच्ची गिरी थी, वहां से खून के धब्बे स्कूल प्रशासन ने जल्दबाजी में साफ करवा दिए थे।
कानूनन किसी भी घटना स्थल से सबूत सुरक्षित रखना अनिवार्य होता है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया।
शनिवार को हादसे की सूचना पर मेट्रो मास अस्पताल पहुंची अमायरा की मां शिबानी देव और पिता विजय देव का बुरा हाल था।
देर रात परिजनों की ओर से स्कूल प्रबंधन और संबंधित शिक्षकों के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई गई।
इसके पश्चात, जयपुरिया हॉस्पिटल मेडिकल बोर्ड द्वारा बच्ची का पोस्टमॉर्टम किया गया।
पिता ने स्कूल प्रबंधन की भूमिका पर उठाए सवाल
बच्ची के पिता ने पुलिस को दी गई शिकायत में स्पष्ट रूप से लिखा है कि स्कूल प्रबंधन से घटना के बारे में पूछने पर भी उन्होंने कुछ नहीं बताया।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि स्कूल प्रबंधन ने उन्हें घटनास्थल भी नहीं दिखाया।
पिता ने अपनी बच्ची की मौत को स्कूल में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई बताया है, जिसमें स्कूल प्रबंधन और शिक्षकों की भूमिका संदेह के घेरे में है।
उन्होंने अपनी बच्ची के स्कूल जाते समय स्वस्थ और सामान्य होने का हवाला देते हुए उच्चस्तरीय जांच और न्याय की मांग की है।
शिक्षा मंत्री और अभिभावक संघ की कड़ी प्रतिक्रिया
इस गंभीर मामले में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बेहद कड़ा रुख अपनाया है।
उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि स्कूल प्रशासन ने शिक्षा अधिकारियों को जांच से रोकने की कोशिश की तो स्कूल को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार इस बात की जांच कर रही है कि स्कूल को किस नियम के तहत एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) दी गई थी।
इसके साथ ही, सीबीएसई ने किस आधार पर स्कूल को मान्यता प्रदान की, इसकी भी गहन जांच की जा रही है।
संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान ने इस घटना के बाद तत्काल प्रभाव से नीरजा मोदी स्कूल की मान्यता रद्द करने की मांग की है।
संघ ने जोर देकर कहा कि जब स्कूल समय में किसी मासूम के साथ इतना बड़ा हादसा होता है, तो स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी तय होना अनिवार्य है।
पुलिस को समय पर सूचना न देना, घटनास्थल की धुलाई कर सबूत मिटाना और जांच में सहयोग न करना स्पष्ट रूप से कानूनी अपराध है।
संयुक्त अभिभावक संघ ने नीरजा मोदी स्कूल प्रबंधन के इस रवैये को निंदनीय ही नहीं, बल्कि आपराधिक श्रेणी में आने वाला बताया है।
एनसीपीसीआर (राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग) की स्पष्ट गाइडलाइन के अनुसार, स्कूल बिल्डिंग ग्राउंड फ्लोर सहित अधिकतम तीन मंजिल की हो सकती है, जबकि नीरजा मोदी स्कूल पांच से ज्यादा मंजिलों पर संचालित हो रहा है।
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि स्कूल द्वारा तथ्यों को छिपाना, पुलिस और मृतका के अभिभावकों को जानकारी न देना और सबूत नष्ट करना गंभीर आपराधिक कृत्य है।
उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने की मांग की कि राजनीतिक प्रभाव, क्योंकि यह स्कूल एक विधायक के बेटे द्वारा संचालित और विधायक की बेटी के नाम से पंजीकृत है, जांच या कार्रवाई को प्रभावित न करे।
अमायरा: एक होनहार और खुशमिजाज छात्रा
अमायरा के पिता एलआईसी में कार्यरत हैं और मां बैंक ऑफ बड़ौदा की मालवीयनगर ब्रांच में चीफ मैनेजर के पद पर हैं।
कुछ ही दिन पहले अमायरा ने स्कूल के एनुअल फंक्शन में ऑलराउंडर अवॉर्ड जीता था, जिससे वह बेहद खुश थी।
उसके साथी बताते हैं कि वह उनकी 'बेस्ट बडी' थी और शनिवार सुबह जब वह स्कूल पहुंची तो सबसे हंसी-खुशी मिली थी।
वह डांस क्लास में भी गई थी और दिनभर चहकती रही, किसी को भी ऐसी अनहोनी की कोई आशंका नहीं थी।
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