Highlights
- जैसलमेर बस अग्निकांड में आर्मी मैन महेंद्र मेघवाल और उनका पूरा परिवार खत्म।
- दिवाली की छुट्टियों पर घर लौटते समय बस में आग लगने से हुआ हादसा।
- शवों की पहचान के लिए डीएनए सैंपलिंग की जा रही है।
- प्रधानमंत्री मोदी ने मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे का ऐलान किया।
जैसलमेर: जैसलमेर (Jaisalmer) में हुए भयानक बस अग्निकांड में आर्मी मैन महेंद्र मेघवाल (Mahendra Meghwal) अपनी पत्नी और तीन बच्चों समेत जिंदा जल गए। वे दिवाली (Diwali) की छुट्टियों पर घर लौट रहे थे। बस में शॉर्ट सर्किट (Short Circuit) के कारण यह दर्दनाक हादसा हुआ।
भयानक अग्निकांड ने उजाड़ा परिवार
राजस्थान के जैसलमेर में मंगलवार को हुए भीषण बस अग्निकांड ने एक पूरे परिवार को तबाह कर दिया है।
हादसे में भारतीय सेना के जवान महेंद्र मेघवाल भी शामिल थे, जो दिवाली की छुट्टियों पर अपने परिवार के साथ घर लौट रहे थे।
35 वर्षीय महेंद्र मेघवाल सेना के आयुध डिपो में तैनात थे।
वह अपनी पत्नी पार्वती, दो बेटियों और एक बेटे के साथ डेचू के पास स्थित लवारन गांव जा रहे थे।
इसी दौरान बस में अचानक आग लग गई और परिवार के सभी पांच सदस्यों की दर्दनाक मौत हो गई।
पहचान के लिए डीएनए सैंपलिंग ही एकमात्र आस
बस अग्निकांड की भयावहता इतनी अधिक थी कि शव पूरी तरह जलकर खाक हो गए हैं।
उनकी पहचान करना लगभग असंभव हो गया है।
ऐसे में, महेंद्र मेघवाल और उनके परिवार की पहचान अब डीएनए सैंपलिंग के जरिए ही हो सकेगी।
महेंद्र की पत्नी पार्वती के भाई डीएनए सैंपल देने के लिए जोधपुर स्थित मोर्चरी पहुंच चुके हैं।
वहीं, मृतक महेंद्र की माताजी को भी डीएनए सैंपल के लिए जोधपुर लाया जा रहा है।
यदि स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी आती है, तो डॉक्टर्स टीम को उनके घर भेजने का इंतजाम किया गया है।
यह कदम पहचान की प्रक्रिया में तेजी लाने और शोक संतप्त परिवार की सुगमता के लिए उठाया गया है।
एक परिवार, पांच जिंदगियां... सब खत्म
जैसलमेर से जोधपुर के बीच चल रही के.के. ट्रैवल्स की जिस बस (RJ 09PA8040) में यह हादसा हुआ, उसमें कुल 20 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
इस हादसे में 15 लोग गंभीर रूप से घायल हैं और उनका इलाज जोधपुर के अस्पतालों में चल रहा है।
लेकिन महेंद्र मेघवाल के परिवार की कहानी इस त्रासदी का सबसे दर्दनाक अध्याय है।
दिवाली और परिवार के साथ बिताई जाने वाली छुट्टियों का उत्साह पल भर में धुआं बनकर उड़ गया।
एक फौजी जो देश की सेवा में जुटा था, उसकी और उसके पूरे परिवार की जीवन-यात्रा एक सिंगल डोर वाली स्लीपर बस के भीतर जलकर खत्म हो गई।
बस सुरक्षा मानकों पर उठे सवाल
चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने पहले ही इशारा किया था कि बस में निकासी के लिए सिर्फ एक ही दरवाजा था।
इसी कारण लोग समय रहते बाहर नहीं निकल पाए।
यह त्रासदी बस सुरक्षा मानकों के घोर उल्लंघन पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाती है।
सरकारी मदद और जांच के आदेश
इस मामले में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घायलों से मुलाकात कर जांच के आदेश दिए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मृतकों के परिजनों के लिए ₹2 लाख के मुआवजे का ऐलान किया है।
फिलहाल सुरक्षा अधिकारियों ने जोधपुर में प्रवेश करने वाली सभी यात्री बसों की जांच शुरू कर दी है।
यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि ऐसी ज्वलनशील सामग्री या सुरक्षा चूक दोबारा न हो।