Highlights
- जल जीवन मिशन घोटाले में तत्कालीन एसीएस सुबोध अग्रवाल सहित 6 अधिकारियों पर एसीबी जांच को सीएम स्तर से मंजूरी।
- भाजपा विधायक के भाई आरएएस गोपाल सिंह शेखावत भी जांच के दायरे में।
- करीब 900 करोड़ रुपए के इस घोटाले में ईडी और एसीबी पहले से कर रही है जांच।
- पूर्व जलदाय मंत्री महेश जोशी को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत।
जयपुर: जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) टेंडर घोटाले में जलदाय विभाग के तत्कालीन एसीएस सुबोध अग्रवाल (Subodh Agarwal) सहित छह अधिकारियों के खिलाफ एसीबी (ACB) जांच को सीएम (CM) स्तर से मंजूरी मिल गई है। इनमें भाजपा विधायक देवी सिंह शेखावत (Devi Singh Shekhawat) के भाई गोपाल सिंह (Gopal Singh) भी शामिल हैं। यह घोटाला करीब 900 करोड़ रुपए का बताया जा रहा है।
जल जीवन मिशन के टेंडर में हुए बड़े फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार के आरोपों के मामले में अब एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) जलदाय विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) सुबोध अग्रवाल सहित छह अधिकारियों के खिलाफ जांच करेगी। इस जांच को मुख्यमंत्री स्तर से मंजूरी मिल गई है। इन अधिकारियों में भाजपा विधायक देवी सिंह शेखावत के भाई और विभाग के उपसचिव रहे गोपाल सिंह शेखावत का नाम भी शामिल है।
सीनियर IAS और RAS अधिकारी जांच के दायरे में
भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 17-ए के तहत वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुबोध अग्रवाल और अन्य विभागीय अधिकारियों के खिलाफ जांच की हरी झंडी मिली है। इससे पहले 12 अधिकारियों के खिलाफ जांच की मंजूरी मिल चुकी थी, और अब कुल 18 अधिकारियों के खिलाफ जांच होगी। जलदाय विभाग में जल जीवन मिशन घोटाले की जांच भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (ACB) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) पहले से ही कर रहे हैं।
जांच एजेंसियों का दावा है कि यह घोटाला लगभग 900 करोड़ रुपए का है। इस मामले में तत्कालीन मंत्री महेश जोशी को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली है, वे करीब सात महीने जेल में रहने के बाद बाहर आए हैं।
इन अधिकारियों के खिलाफ मांगी गई थी जांच की अनुमति
जांच एजेंसी के सूत्रों के अनुसार, आठ अधिकारियों के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी गई थी, लेकिन एक साल बाद केवल छह अधिकारियों के खिलाफ ही जांच की मंजूरी मिल पाई है। जिन अधिकारियों के खिलाफ जांच की अनुमति मिली है, उनमें जलदाय विभाग के तत्कालीन एसीएस सुबोध अग्रवाल, विभाग के उपसचिव गोपाल सिंह शेखावत, चीफ इंजीनियर दलीप गौड़, फाइनेंस एडवाइजर केसी कुमावत शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, एसई मुकेश गोयल, चीफ इंजीनियर केडी गुप्ता, एडिशनल चीफ इंजीनियर सुधांशु दीक्षित और एक्सईएन संजय अग्रवाल के खिलाफ भी 17-ए में जांच की मंजूरी मांगी गई थी। इनमें से तत्कालीन चीफ इंजीनियर दलीप गौड़ अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
सेवानिवृत्ति के करीब सुबोध अग्रवाल
सुबोध अग्रवाल 16 मई 2023 से 12 जनवरी 2024 तक जलदाय विभाग के एसीएस रहे थे। वर्तमान में वे राजस्थान फाइनेंस कॉर्पोरेशन (RFC) के सीएमडी के पद पर कार्यरत हैं। सुबोध अग्रवाल इसी महीने सेवानिवृत्त हो रहे हैं। वहीं, गोपाल सिंह शेखावत वर्तमान में हाउसिंग बोर्ड के सचिव हैं। वे 25 अप्रैल 2022 से 18 दिसंबर 2023 तक जलदाय विभाग में उपसचिव के पद पर रहे थे और डिप्टी सीएम के विशेष सहायक भी रह चुके हैं।
घोटाले में पूर्व मंत्री महेश जोशी की गिरफ्तारी
इस बड़े घोटाले में पूर्व जलदाय मंत्री महेश जोशी सहित पांच आरोपी गिरफ्तार होकर जेल जा चुके हैं। महेश जोशी को हाल ही में जमानत मिली है। जोशी के अलावा, ठेकेदार पदमचंद जैन, महेश मित्तल, पीयूष जैन और संजय बड़ाया को भी प्रवर्तन निदेशालय (ED) गिरफ्तार कर चुका है। ये सभी आरोपी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।
जल जीवन मिशन में श्याम ट्यूबवेल कंपनी और मैसर्स गणपति ट्यूबवेल कंपनी ने इरकॉन के फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र बनवाकर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की थी। इस पूरे मामले में ईडी और एसीबी दोनों एजेंसियां गहन जांच कर रही हैं।
जल जीवन मिशन घोटाले के मुख्य आरोप
यह घोटाला कई स्तरों पर हुआ है, जिसे पांच मुख्य बिंदुओं में समझा जा सकता है:
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पाइपलाइन में हेरफेर: ग्रामीण पेयजल योजना के तहत सभी ग्रामीण इलाकों में पेयजल की व्यवस्था की जानी थी, जिस पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार को 50-50 प्रतिशत खर्च करना था। इस योजना के तहत डीआई (डक्टाइल आयरन) पाइपलाइन डाली जानी थी, लेकिन इसकी जगह एचडीपीई (HDPE) की गुणवत्ताहीन पाइपलाइन डाली गई।
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पुरानी पाइपलाइन को नया दिखाना: ठेकेदारों ने पुरानी पाइपलाइन को नया बताकर सरकारी खजाने से पैसा लिया, जबकि वास्तव में कोई नई पाइपलाइन नहीं डाली गई थी। यह सीधे तौर पर सरकारी धन का दुरुपयोग था।
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बिना काम के भुगतान: कई किलोमीटर तक आज भी पानी की पाइपलाइन नहीं डाली गई है, लेकिन ठेकेदारों ने जलदाय विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर उसका पैसा उठा लिया। यह दिखाता है कि बिना काम किए भी भुगतान किया गया।
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चोरी के पाइपों का इस्तेमाल: ठेकेदार पदमचंद जैन ने हरियाणा से चोरी के पाइप लाकर उन्हें नए पाइप बताकर बिछा दिया। इस तरह उन्होंने सरकार से करोड़ों रुपए की ठगी की।
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फर्जी कंपनी के सर्टिफिकेट: ठेकेदार पदमचंद जैन ने फर्जी कंपनी के सर्टिफिकेट लगाकर टेंडर हासिल किया। अधिकारियों को इस बात की जानकारी थी, इसके बावजूद उसे टेंडर दिया गया, क्योंकि वह एक राजनेता का करीबी दोस्त था।
अन्य अधिकारियों पर भी कार्रवाई जारी
गड़बड़ी के आरोपों में एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी के खिलाफ भी जांच और कार्रवाई की मंजूरी दी गई है। सेवानिवृत्त आईएएस के खिलाफ अखिल भारतीय सेवाएं (वर्गीकरण, अनुशासन और अपील) 1969 के नियम 8 के तहत नए सिरे से जांच होगी। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने राजस्थान सिविल सेवाएं (वर्गीकरण, नियंत्रण अपील) नियम 34 के तहत पांच अधिकारियों की रिव्यू याचिका को खारिज करते हुए पहले की कार्रवाई को बरकरार रखने की मंजूरी दी है। सीसीए नियम 16 के तहत दो मामलों में सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ प्रमाणित जांच के नतीजे को भी मंजूरी दी गई है, जो इस घोटाले की व्यापकता को दर्शाता है।
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