Highlights
- पुलिस ने बिना न्यायिक जांच के परिवार को घर से बेदखल किया।
- मामले का वीडियो सामने आया जिसमें पुलिस महिलाओं और नाबालिग लड़कियों से मारपीट कर रही है।
- जालोर बार एसोसिएशन ने पुलिस कार्रवाई को अवैध बताया।
- बिशनगढ़ एसएचओ ने आरोपों से इनकार किया, लेकिन गिरफ्तारी की पुष्टि की।
जालोर: जालोर (Jalor) के बिशनगढ़ (Bishangarh) थानाक्षेत्र के केशवना गांव (Keshavna gaon) में पुलिस ने एक परिवार को चोरी का आरोप लगाकर मारपीट की और घर से बेदखल कर दिया, जिसमें नाबालिग लड़कियां (minor girls) और महिलाएं (women) भी शामिल थीं।
यह घटना बिशनगढ़ थानाक्षेत्र के केशवना गांव में सामने आई है।
पुलिस ने कथित तौर पर पहले से रह रहे परिवार पर चोरी का मामला बताकर उनसे मारपीट की और घर खाली करवाया।
इस दौरान दो महिलाओं को गिरफ्तार भी कर लिया गया।
मामले का एक वीडियो सामने आया है जिसमें पुलिस घर में घुसकर महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के साथ मारपीट करती और उन्हें घर से बाहर निकालती दिख रही है।
यह कार्रवाई बिना किसी न्यायिक जांच या आदेश के की गई बताई जा रही है।
इसके बाद कैलाश की दो बेटियां जालोर पहुंचीं और अन्य परिजनों के सहयोग से 17 वर्षीय दीपिका ने अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद पेश किया।
परिवाद में बताया गया कि केशवना निवासी जनकसिंह उर्फ जनार्दनसिंह, नवीन कुमार जैन, बिशनगढ़ एसएचओ निम्बसिंह और एएसआई ताराराम ने मिलकर बुधवार को जबरन घर में घुसे।
उन्होंने घर खाली करवाने के लिए दीपिका, उसकी 15 वर्षीय बहन अर्चना, मां ललिता देवी, दादी शांति देवी और काका लक्ष्मणदास के साथ मारपीट की।
दोनों बहनों के अलावा सभी को जबरन गाड़ी में डालकर थाने ले जाया गया और घर पर ताला लगा दिया गया।
मामले की पूरी जानकारी
केशवना निवासी नवीन पुत्र चंपालाल जैन ने 25 अक्टूबर को बिशनगढ़ थाने में एक रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
उन्होंने बताया कि उनके स्वर्गीय पिता ने 4 जनवरी 2006 को स्वर्गीय कानाराम वैष्णव से एक प्लाट व मकान खरीदा था।
इसकी देखभाल के लिए जनकसिंह को सौंपा गया था।
नवीन ने आरोप लगाया कि 18 से 20 अक्टूबर के बीच कानाराम के पुत्र कैलाश व उसके परिवार ने ताला तोड़कर घर पर कब्जा करने के साथ सामान चोरी किया।
हालांकि, इससे एक दिन पहले 24 अक्टूबर को कैलाश ने एसपी को एक परिवाद पेश किया था।
कैलाश ने बताया कि वह अपने पुश्तैनी मकान में रह रहा है और बिजली व पानी का बिल उसके पिता के नाम से आता है, जिसे वे लगातार भर रहे हैं।
उसने आरोप लगाया कि 22 अक्टूबर को जनकसिंह कुछ लोगों के साथ आया और घर खाली करवाने के लिए मारपीट की।
कैलाश ने इसकी रिपोर्ट बिशनगढ़ थाने में दी तो उसकी रिपोर्ट फाड़ दी गई और उसे थाने में बिठा दिया गया।
रात को उसे फिर छोड़ दिया गया, जिसके बाद उसे पुलिस अधीक्षक के सामने पेश होना पड़ा।
पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
जालोर बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अश्विन राजपुरोहित ने इस मामले में महत्वपूर्ण बात कही है।
उन्होंने बताया कि किसी का कब्जा दिलवाना, किराए का मकान खाली करवाना, अतिक्रमण हटाने या बेदखली जैसे मामलों में सीधी कार्रवाई करना पुलिस का काम या अधिकार नहीं है।
ऐसे मामले सिविल कोर्ट में निपटाए जाते हैं।
किसी भी विवाद के लिए सिविल कोर्ट की कार्रवाई होती है।
न्यायालय के आदेश की पालना में ही ऐसे मामलों में पुलिस कार्रवाई कर सकती है।
थानाधिकारी का बयान
इस मामले में बिशनगढ़ थानाधिकारी निंबसिंह से भास्कर ने बात की।
जब उनसे पूछा गया कि केशवना की एक बालिका ने उनके समेत तीन व्यक्तियों के विरुद्ध न्यायालय में परिवाद पेश किया है, जिसमें मारपीट कर घर से बाहर निकालने का आरोप है, तो उन्होंने कहा कि ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं है।
उन्होंने बताया कि केशवना की 4-5 रिपोर्ट आ रखी हैं।
कैलाश वैष्णव की बेटी के परिवाद पर उन्होंने कहा कि उसके खिलाफ मुकदमा है।
महिलाओं और बच्चियों के साथ पुलिस द्वारा मारपीट और उसके वीडियो के बारे में पूछने पर निंबसिंह ने कहा कि वीडियो तो होंगे, उनके कैमरे लगे हुए थे।
उन्होंने बताया कि पुलिस तफ्तीश में गई थी और उस बच्ची की मां और दादी को गिरफ्तार किया है।
गिरफ्तारी के आरोप पर उन्होंने बताया कि मुकदमा है, उनके दादा द्वारा बेचे मकान में अनैतिक रूप से घुसकर सामान चोरी किया है।
जब उनसे पूछा गया कि वे तो पहले से वहीं रह रहे थे, तो निंबसिंह ने दावा किया कि वे दीपावली पर ही घुसे हैं।
उन्होंने कहा कि 2006 में उसके दादा ने बनिये को मकान बेचा था, उसने रिपोर्ट दी तो जांच में पाया गया कि ये वहां अनैतिक रूप से रह रहे थे और सामान चोरी किया।
क्या किसी एफआईआर पर घर से किसी को बेदखल किया जा सकता है, इस सवाल पर निंबसिंह ने कहा कि यह कानूनी प्रक्रिया है और इतना कहते ही उन्होंने फोन काट दिया।
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