Highlights
- जोबनेर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ. बलराज सिंह निलंबित।
- राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने गड़बड़ी की शिकायतों पर लिया एक्शन।
- वीसी पर नियमों के उल्लंघन और अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फैसले लेने का आरोप।
- मामले की जांच के लिए राज्यपाल ने कमेटी का गठन किया।
जयपुर: जोबनेर (Jobner) के कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय (Karn Narendra Agriculture University) के कुलगुरु डॉ. बलराज सिंह (Dr. Balraj Singh) को राज्यपाल हरिभाऊ बागडे (Hari Bhau Bagde) ने निलंबित किया। उन पर गड़बड़ी और नियमों के उल्लंघन के आरोप हैं, जिसकी जांच के लिए कमेटी बनी है।
कुलगुरु डॉ. बलराज सिंह पर लगे गंभीर आरोप
जोबनेर के कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. बलराज सिंह को उनके पद से हटा दिया गया है।
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने वीसी को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के आदेश जारी किए हैं।
डॉ. बलराज सिंह के खिलाफ राज्यपाल को कई तरह की गड़बड़ियों और नियमों के लगातार उल्लंघन की शिकायतें मिली थीं।
इन शिकायतों में गलत फैसले करने के आरोप भी शामिल थे।
राज्यपाल ने इन गंभीर शिकायतों के बाद सख्त कार्रवाई की है।
जांच कमेटी का गठन और कार्यकाल उल्लंघन
राज्यपाल ने डॉ. बलराज सिंह के खिलाफ मिली शिकायतों की जांच के लिए एक विशेष कमेटी बनाई है।
यह कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी और आगे की कार्रवाई तय करेगी।
वीसी डॉ. बलराज सिंह का कार्यकाल जल्द ही पूरा होने वाला था।
नियमों के अनुसार, कार्यकाल के आखिरी तीन महीनों में किसी भी तरह के नीतिगत फैसले नहीं किए जा सकते।
हालांकि, वीसी ने इस अवधि में कई नीतिगत फैसले लिए, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन था।
अधिकार क्षेत्र का दुरुपयोग और गलत तबादले
राजभवन से जारी एक बयान के अनुसार, वीसी के खिलाफ अलग-अलग गंभीर शिकायतों के कारण उन्हें निलंबित किया गया है।
विश्वविद्यालय अधिनियम में दिए गए प्रावधानों के खिलाफ जाकर वीसी ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर के काम किए।
उन्होंने कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त किया और गलत तरीके से तबादले भी किए।
कर्मचारियों के तबादलों और बर्खास्तगी के मामलों में नियमों की पूरी तरह से अनदेखी की गई।
इन फैसलों में अधिकारों का दुरुपयोग साफ तौर पर देखा गया।
डॉ. बलराज सिंह का पूर्व कार्यकाल
डॉ. बलराज सिंह इससे पहले जोधपुर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वीसी रह चुके हैं।
कांग्रेस शासनकाल में उन्हें जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय का वीसी नियुक्त किया गया था।
उनके निलंबन से विश्वविद्यालय प्रशासन में हड़कंप मच गया है।