पुलिस पर हमला: बाप-बेटों को 2 साल: जोधपुर: पुलिस पर हमला करने वाले बाप-बेटों को 2-2 साल की सजा, कोर्ट ने कहा- मनोबल न टूटे

जोधपुर: पुलिस पर हमला करने वाले बाप-बेटों को 2-2 साल की सजा, कोर्ट ने कहा- मनोबल न टूटे
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Highlights

  • जोधपुर कोर्ट ने 11 साल पुराने पुलिस पर हमला मामले में सुनाया फैसला।
  • पिता सुखाराम और दो बेटों प्रकाश व चेतनराम को दो-दो साल की साधारण कारावास की सजा।
  • अदालत ने कहा, पुलिस के मनोबल को बनाए रखने के लिए सख्त सजा जरूरी।
  • तीन अन्य आरोपी सबूतों के अभाव में बरी, डकैती की धारा हटाई गई।

जोधपुर। जोधपुर जिला अपर सेशन कोर्ट ने पुलिस टीम पर हमला करने के 11 साल पुराने एक मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आरोपी पिता और उसके दो बेटों को दो-दो साल की साधारण कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि पुलिस का मनोबल बनाए रखने और समाज में गलत संदेश जाने से रोकने के लिए ऐसे अपराधियों के प्रति नरमी नहीं बरती जा सकती, बल्कि सख्त सजा जरूरी है। इस मामले में तीन अन्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।

क्या था पूरा मामला?

यह घटना 9 जुलाई 2014 की है, जब जोधपुर जिले के पीपाड़ शहर थाना क्षेत्र के गांव जालखां में पुलिस टीम किशोर न्याय बोर्ड, जोधपुर के आदेश पर अभियुक्त चेतनराम उर्फ शैतानराम को गिरफ्तार करने गई थी। पीपाड़ शहर थाने में तैनात सिपाही मनोज कुमार और सिपाही हरकेश को चेतनराम के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट की तामील की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

सुबह करीब 7:15 बजे दोनों सिपाही चेतनराम के जालखां स्थित घर पहुंचे। उन्होंने आरोपी के पिता सुखाराम को वारंट की जानकारी दी और चेतनराम को साथ ले जाने लगे। इसी दौरान सुखाराम ने कांस्टेबल की वर्दी का कॉलर पकड़ लिया और परिवार के अन्य सदस्यों ने गिरफ्तारी का विरोध करना शुरू कर दिया। देखते ही देखते यह कहासुनी हाथापाई में बदल गई।

पुलिसकर्मियों ने आरोप लगाया था कि चेतनराम के परिजनों ने उन्हें घेरकर मारपीट की, उनकी वर्दी फाड़ दी, मोबाइल फोन और सरकारी बेल्ट छीन लिए और सरकारी कामकाज में बाधा डाली। इस घटना के बाद पीपाड़ शहर थाने में एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें दंगा, लोकसेवक को चोट पहुंचाना, सरकारी ड्यूटी में बाधा, गिरफ्तार व्यक्ति को छुड़ाना और डकैती जैसी गंभीर धाराएं लगाई गईं।

पुलिस की जांच और आरोप पत्र

पुलिस ने इस मामले में मेडिकल रिपोर्ट, बरामदगी मेमो, मौके का नक्शा और गवाहों के बयानों के आधार पर प्रकाश पुत्र सुखाराम, चेतनराम उर्फ शैतानराम पुत्र सुखाराम, सुखाराम पुत्र मोडाराम, गुड्डी पत्नी चेतनराम, इंदू पत्नी प्रकाश और मोरकीदेवी पत्नी सुखाराम के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र पेश किया।

अदालत में सुनवाई और दलीलें

यह मामला जोधपुर जिला मुख्यालय स्थित अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (शासन) नेहा शर्मा की अदालत में चला। राज्य सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक मयंक रांकावत ने प्रभावी पैरवी की, जबकि अभियुक्त पक्ष की ओर से अधिवक्ता कान सिंह ओढ, चेतन प्रकाश, नरेश नागौरी और अमित दैया ने बचाव रखा। अभियोजन पक्ष ने अपनी दलीलों में कहा कि पुलिसकर्मी वारंट लेकर विधि-सम्मत तरीके से पहुंचे थे और उन पर सामूहिक हमला कर सरकारी कार्य में बाधा डाली गई, जो एक गंभीर अपराध है।

कोर्ट का फैसला: तीन दोषी, तीन बरी

लंबी सुनवाई और सभी साक्ष्यों पर गहन विचार के बाद, कोर्ट ने 12 दिसंबर को अपना फैसला सुनाया। अदालत ने माना कि मुख्य हमलावरों के रूप में सुखाराम (67) और उसके दोनों बेटों प्रकाश (36) व चेतनराम उर्फ शैतानराम (34) की भूमिका साक्ष्यों से प्रमाणित होती है। कोर्ट ने गवाहों और सबूतों के आधार पर यह भी माना कि इन आरोपियों ने लोक सेवक के साथ मारपीट कर उन्हें अपनी ड्यूटी करने से रोका है।

हालांकि, अन्य आरोपियों के खिलाफ अभियोजन पक्ष पर्याप्त और पुख्ता सबूत पेश नहीं कर सका। इस पर आरोपी गोरधनराम पुत्र मोडाराम और परिवार की महिलाएं गुड्डी व इन्दु को सबूतों के अभाव और संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया। एक अन्य आरोपी मोरकी देवी की ट्रायल के दौरान मृत्यु हो चुकी थी।

डकैती की धारा हटाई गई

पुलिस ने जांच के बाद चार्जशीट में लूट/डकैती का भी मामला बनाया था, लेकिन कोर्ट ने इस आरोप को खारिज कर दिया। अदालत ने माना कि बरामदगी खुले स्थान से हुई थी और कोई स्वतंत्र गवाह मौजूद नहीं था, इसलिए डकैती का आरोप साबित नहीं हुआ।

दोषियों को सुनाई गई सजा

कोर्ट ने तीनों दोषियों को अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाई है, जो साथ-साथ चलेंगी:

  • अभियुक्त सुखाराम और प्रकाश: लोक सेवक को चोट पहुंचाना, राजकार्य में बाधा पहुंचाने और अपराधी को छुड़ाने के लिए दो-दो साल साधारण कारावास और कुल पांच-पांच हजार रुपए जुर्माना से दंडित किया गया।
  • अभियुक्त चेतनराम उर्फ शैतानराम: लोक सेवक को चोट पहुंचाना, राजकार्य में बाधा पहुंचाने और गिरफ्तारी में प्रतिरोध के लिए दो साल साधारण कारावास और कुल पांच हजार रुपए जुर्माना से दंडित किया गया।

अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि यदि दोषी अर्थदंड (जुर्माना) नहीं भरते हैं, तो उन्हें अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। इस फैसले से यह स्पष्ट संदेश गया है कि सरकारी कर्मचारियों, विशेषकर पुलिसकर्मियों पर हमला करने वालों के प्रति कानून सख्त रुख अपनाएगा।

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