Jodhpur Rajasthan: खराब मशीनों से सदमे में युवक की मौत, उपभोक्ता आयोग का बड़ा फैसला: 1.75 करोड़ लौटाने का आदेश

खराब मशीनों से सदमे में युवक की मौत, उपभोक्ता आयोग का बड़ा फैसला: 1.75 करोड़ लौटाने का आदेश
करोड़ों की मशीनें कबाड़, युवक की मौत
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Highlights

  • उपभोक्ता आयोग ने अंबाला की कंपनी को 45 दिन में मशीनें ठीक करने या 1.75 करोड़ रुपए ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया।
  • करोड़ों के निवेश के बाद खराब मशीनों के तनाव से युवक नितिन भूरानी की हार्ट अटैक से मौत हो गई।
  • कंपनी को मानसिक संताप और आर्थिक नुकसान के लिए 1 लाख रुपए अतिरिक्त मुआवजा देने का भी निर्देश।
  • आयोग ने कंपनी की दलीलों को खारिज करते हुए पीड़ित को 'उपभोक्ता' माना।

जोधपुर: जोधपुर (Jodhpur) उपभोक्ता आयोग (Consumer Commission) ने अंबाला (Ambala) की कंपनी को खराब मशीनें ठीक करने या 1.75 करोड़ रुपए लौटाने का आदेश दिया। खराब मशीनों के तनाव से नितिन भूरानी (Nitin Bhurani) की मौत हो गई थी।

राजस्थान राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, जोधपुर की पीठ ने मशीनरी खरीद के एक गंभीर मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। आयोग के अध्यक्ष जस्टिस देवेन्द्र कच्छावाहा और सदस्य लियाकत अली ने अंबाला (हरियाणा) की फर्म 'मैकेनिकल सिस्टम्स' को निर्देश दिया है कि वह जोधपुर के एक पीड़ित परिवार को बेची गई खराब मशीनें 45 दिन के भीतर ठीक करके दे, अन्यथा उन्हें पूरी कीमत ब्याज सहित लौटानी होगी। यह मामला इसलिए भी दुखद है क्योंकि जिस युवक ने अपना रोजगार शुरू करने के लिए करोड़ों रुपए का निवेश किया था, उसकी खराब मशीनों और भारी आर्थिक नुकसान के चलते हुए तनाव से हार्ट अटैक से मौत हो गई।

करोड़ों का निवेश, कबाड़ निकली मशीनें और एक दुखद अंत

जोधपुर के चौपासनी रोड, ज्वाला विहार निवासी नितिन भूरानी ने अंबाला की फर्म 'मैकेनिकल सिस्टम्स' से जूस पैकिंग और बॉटल फिलिंग के लिए टेट्रा मशीनें और अन्य उपकरण खरीदे थे। नितिन का सपना अपना व्यवसाय शुरू करने का था, जिसके लिए उन्होंने अपने पिता और बैंक से लोन लेकर भारी निवेश किया था।

उन्होंने 26 अगस्त 2022 को 1 करोड़ एक हजार रुपए और 6 फरवरी 2023 को 75 लाख रुपए, इस प्रकार कुल 1 करोड़ 75 लाख एक हजार रुपए बैंक के जरिए आरटीजीएस (RTGS) से कंपनी को दिए थे। यह राशि उनके जीवन भर की पूंजी और भविष्य की उम्मीद थी।

लगातार खराबी और कंपनी की लापरवाही

मशीनों की पहली खेप 22 नवंबर 2022 को प्राप्त हुई, लेकिन वह किसी काम की नहीं थी। इसके बाद अन्य उपकरण अलग-अलग तारीखों पर प्राप्त हुए, जिनमें 8 दिसंबर 2022, 27 दिसंबर 2022, 27 जनवरी 2023, 31 जनवरी 2023, 8 फरवरी 2023, 27 फरवरी 2023, 28 फरवरी 2023, 11 मार्च 2023 और 15 मार्च 2023 शामिल हैं।

पहली खेप के तीन महीने बाद कंपनी ने दो तकनीशियन अमित कुमार और हरजीत सिंह, तथा दो मशीन ऑपरेटर पुरुषोत्तम सिंह और हैप्पी सिंह को जोधपुर भेजा। इन्होंने 15-20 दिनों में मशीनरी की स्थापना तो कर दी, लेकिन तकनीकी समस्याओं के कारण उत्पादन शुरू नहीं हो सका। इसके बाद वे बिना बताए जोधपुर से चले गए।

तीन महीने बाद कंपनी ने फिर से छह कर्मचारी हैप्पी सिंह, पुरुषोत्तम, प्रिंस, दीपक, तरणजीत, मोहित और विनोद को भेजा। हालांकि, वे भी 10 दिनों में तकनीकी समस्या को दूर करने में नाकाम रहे और मशीनें जस की तस खराब पड़ी रहीं।

लाखों का नुकसान और असहनीय मानसिक तनाव

परिवाद में बताया गया कि कंपनी के कर्मचारियों द्वारा 10 पेपर रील खाली किए गए, जिनकी कीमत 35,000 से 40,000 रुपए तक थी, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। जब परिवादी नितिन और उनके पिता कंपनी के मैनेजर से मिलने जाते थे, तो वे अपने ऑफिस में नहीं मिलते थे। उल्टा, कंपनी ने उन्हें धमकी दी कि कर्मचारियों को बंदी बना लिया गया है और वे उन पर केस कर देंगे।

नितिन ने मशीनों की स्थापना के लिए फैक्ट्री, बिजली कनेक्शन सहित अन्य उपकरणों पर लाखों रुपए अतिरिक्त खर्च किए थे, जो अब बेकार हो चुके थे। फैक्ट्री का किराया 1 लाख 31 हजार रुपए प्रति माह और बिजली का बिल 1 से 1.20 लाख रुपए तक आ रहा था, जिसे नितिन भर पाने में असमर्थ थे। इसके अलावा, कच्चा माल भी खरीदा गया था, जिसका कुछ समय बाद मूल्य शून्य हो गया, जिससे उन्हें और भी बड़ा आर्थिक झटका लगा।

तनाव ने ली जान, परिवार ने जारी रखी लड़ाई

परिवादी नितिन भूरानी की ओर से 23 अगस्त 2023 को यह परिवाद प्रस्तुत किया गया था। हालांकि, मामले की सुनवाई के दौरान 18 जुलाई 2024 को परिवादी के अधिवक्ता ने आयोग को सूचित किया कि नितिन इस अत्यधिक तनाव को झेल नहीं पाए और 28 मई 2024 को उनका निधन हो गया। इस दुखद घटना के बाद, 18 जून 2025 को परिवादी के उत्तराधिकारी रमेश भूरानी और सीमा भूरानी को रिकॉर्ड पर लिया गया, जिन्होंने अपने बेटे की लड़ाई जारी रखने का फैसला किया।

कंपनी की दलीलें खारिज, आयोग का सख्त रुख

कंपनी की ओर से आयोग में तर्क दिया गया कि बिल पर विवाद का न्याय क्षेत्र 'अंबाला' लिखा था, इसलिए जोधपुर में यह केस नहीं चल सकता। साथ ही, यह भी दलील दी गई कि मशीनें 'व्यावसायिक उद्देश्य' के लिए खरीदी गई थीं, इसलिए खरीदार 'उपभोक्ता' की श्रेणी में नहीं आता।

आयोग ने इन दोनों दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया। आयोग ने स्पष्ट किया कि नितिन ने मशीनें अपनी 'आजीविका' के लिए खरीदी थीं, न कि बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक लाभ के लिए, इसलिए वह उपभोक्ता की श्रेणी में आते हैं। उपभोक्ता कानून के तहत, परिवादी अपने निवास स्थान पर केस दर्ज करा सकता है। चूंकि कंपनी ने समय पर अपना जवाब पेश नहीं किया था, इसलिए आयोग ने उनके खिलाफ एकपक्षीय (Ex-parte) कार्यवाही की।

उपभोक्ता आयोग का ऐतिहासिक फैसला: 45 दिन का अल्टीमेटम

आयोग ने शिकायत को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए 'मैकेनिकल सिस्टम्स' के प्रोपराइटर सतीश कुमार वर्मा और मैनेजर सिद्धार्थ वर्मा को सख्त निर्देश दिए हैं।

मरम्मत या पूरा रिफंड

आयोग ने आदेश दिया है कि आदेश की तारीख (1 दिसंबर 2025) से 45 दिनों के भीतर कंपनी को मशीनों को निशुल्क ठीक करके उन्हें उत्पादन योग्य बनाना होगा। यदि कंपनी ऐसा करने में विफल रहती है, तो उन्हें मशीनों की पूरी कीमत 1,75,01,000 रुपए लौटानी होगी। इस राशि पर भुगतान की तिथियों (अगस्त 2022 और फरवरी 2023) से 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देना होगा।

मुआवजा और परिवाद व्यय

इसके अतिरिक्त, आयोग ने कंपनी को पीड़ित परिवार को मानसिक संताप और आर्थिक नुकसान के लिए 1 लाख रुपए अलग से देने का निर्देश दिया है। साथ ही, परिवाद व्यय के रूप में 10,000 रुपए का भुगतान भी करना होगा।

सख्त चेतावनी

आयोग ने सख्त चेतावनी दी है कि यदि 45 दिनों में इस आदेश का पालन नहीं किया गया, तो ब्याज की दर 6% से बढ़कर 9% हो जाएगी, जिससे कंपनी पर और भी अधिक वित्तीय बोझ पड़ेगा। यह फैसला उन सभी उपभोक्ताओं के लिए एक मिसाल है जो खराब उत्पादों या सेवाओं के कारण परेशान होते हैं।

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