Highlights
- एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) ने सीकर में 1 करोड़ से अधिक की अफीम के साथ 3 तस्करों को पकड़ा।
- तस्कर मणिपुर से अफीम ला रहे थे और खाटूश्याम दर्शन का प्लान बनाकर नहाने रुके थे।
- अफीम गाड़ी की बैक लाइट के नीचे विशेष रूप से छिपाई गई थी।
- आरोपी फर्जी नंबर प्लेट का इस्तेमाल कर राज्यों में तस्करी करते थे।
सीकर | ANTF ने सीकर में 1 करोड़ से अधिक की अफीम संग 3 तस्कर पकड़े। मणिपुर से आ रहे ये खाटूश्याम मंदिर दर्शन को नहाने रुके थे। अफीम गाड़ी की बैक लाइट में छिपी थी।
एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) राजस्थान ने शनिवार को सीकर के रींगस इलाके में एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। टीम ने मणिपुर से 1 करोड़ रुपए से ज्यादा की अफीम ला रहे तीन शातिर तस्करों को गिरफ्तार किया। इन तस्करों ने अपनी तस्करी के बीच खाटूश्याम मंदिर में दर्शन करने का प्लान बनाया था, लेकिन रास्ते में नहाने के लिए रुकना ही उनकी गिरफ्तारी का कारण बन गया।
ANTF के आईजी विकास कुमार ने बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान राकेश कुमार (निवासी खेजड़ला), राजूराम उर्फ राजू (निवासी धींगाणा) और शंकर (निवासी बिसलपुर) के रूप में हुई है।
ये तीनों ही जोधपुर जिले के रहने वाले हैं। तस्करों की गाड़ी की तलाशी के दौरान, उसकी बैक लाइट के नीचे से 20 किलो 800 ग्राम अफीम का दूध बरामद किया गया, जिसकी बाजार कीमत करीब 1 करोड़ रुपए से ज्यादा आंकी जा रही है। आरोपियों की कार से असम राज्य की नंबर प्लेट भी मिली है, जो उनकी चालाकी का एक और सबूत है।
मारवाड़ में अफीम सप्लाई की थी तैयारी
आईजी विकास कुमार ने आगे बताया कि ये तीनों आरोपी मारवाड़ क्षेत्र में अफीम का दूध सप्लाई करने के लिए इसे मणिपुर से ला रहे थे। ANTF लंबे समय से इन तस्करों पर नजर रख रही थी।
इन आरोपियों की कार्यप्रणाली बेहद शातिर थी। जब वे राजस्थान से मणिपुर जाते थे, तो अपनी गाड़ी पर असम राज्य की नंबर प्लेट लगाते थे।
चेकिंग के दौरान, वे खुद को राजस्थान का निवासी बताते और कहते कि असम में उनका व्यापार है, जिससे उन पर कोई शक नहीं करता था।
फर्जी नंबर प्लेट का खेल और गुजरात कनेक्शन
वापस लौटते समय, यानी मणिपुर से राजस्थान आते वक्त, आरोपी गुजरात की नंबर प्लेट का इस्तेमाल करते थे। इसका कारण यह था कि राजस्थान के नंबरों पर अक्सर शक किया जाता है। यदि वापसी में कहीं उनकी चेकिंग होती, तो वे खुद को गुजरात का व्यापारी बताकर बच निकलते थे। इसी रणनीति का फायदा उठाकर आरोपी हर बार कानून की गिरफ्त से बचते रहे थे। उनकी गाड़ी से कई फर्जी नंबर प्लेट्स भी बरामद हुई हैं, जिन्हें वे आते-जाते वक्त बदलते थे।
ANTF की मणिपुर तक पहुंच और ह्यूमन इंटेलिजेंस की सफलता
आईजी विकास कुमार ने बताया कि इन तस्करों को पकड़ने के लिए ANTF की टीम मणिपुर तक पहुंची थी। वहां उन्होंने अपने ह्यूमन इंटेलिजेंस सोर्स (मानव खुफिया स्रोत) तैयार किए। इन्हीं स्रोतों में से एक ने इनपुट दिया कि राजस्थान से कुछ तस्कर आए हैं, जो अफीम की एक बड़ी डील कर रहे हैं। इस महत्वपूर्ण इनपुट के बाद ही ANTF उत्तर प्रदेश के पडरौना से इन तस्करों के पीछे लग गई। आरोपियों ने रास्ते में कहीं भी अपनी गाड़ी नहीं रोकी और लगातार चलते रहे, जिससे उनकी गतिविधियों पर नजर रखना आसान हुआ।
खाटूश्याम दर्शन का बहाना, रींगस में दबोचे गए
आईजी विकास कुमार के अनुसार, जोधपुर ले जाने से पहले आरोपियों ने खाटूश्याम दर्शन करने का प्लान बनाया। इसी के चलते उन्होंने अपना रूट बदला और रींगस पहुंचे। यहां उनका इरादा नहाकर मंदिर में दर्शन करने का था, लेकिन ANTF ने यहीं उन्हें दबोच लिया। गिरफ्तारी के वक्त आरोपियों ने टीम को गुमराह करने की कोशिश की और कहा कि वे तो बाबा के भक्त हैं और जोधपुर से दर्शन के लिए आए हैं।
आरोपियों ने बड़े आराम से गाड़ी की तलाशी भी करवा ली, लेकिन ANTF ने अपनी पूछताछ जारी रखी। जब ANTF के एक सदस्य ने गाड़ी की पिछली लाइट पर हाथ लगाया, तो वह ढीली लगी। इस पर आरोपियों ने ध्यान भटकाने के लिए कहा कि लाइट टूट चुकी है। हालांकि, जब आरोपी जल्दबाजी में गेट का प्लास्टिक हटाने लगे, तो ANTF को शक गहरा गया। लाइट को खोलने पर अंदर अफीम के पैकेट मिले।
तस्करी का लंबा सफर और आरोपियों का प्रोफाइल
ये आरोपी करीब 7-8 राज्यों को पार करके यह अफीम ला रहे थे। इन शातिर तस्करों ने एक साल में राजस्थान से असम और मणिपुर के कई चक्कर लगाए थे। हर ट्रिप में वे करोड़ों रुपए का माल लेकर आते थे और इसके बदले ड्राइवर को प्रति ट्रिप 30 हजार रुपए देते थे।
पढ़ाई छोड़ तस्कर बना राकेश, एम्स का वार्ड बॉय भी शामिल
आईजी विकास कुमार ने आरोपियों के बारे में और जानकारी दी। आरोपी राकेश पढ़ाई में होशियार था, लेकिन उसके पिता के नशे की लत के कारण परिवार गरीब हो गया। राकेश ने पढ़ाई छोड़ दी और जोधपुर में एक दुकान पर काम करने लगा। यहीं उसकी मुलाकात स्वयंभू से हुई और वह तस्करी के दलदल में फंस गया। उसे हर ट्रिप के 30 हजार रुपए मिलते थे।
दूसरा आरोपी राजूराम पहले जोधपुर एम्स में वार्ड बॉय का काम करता था। लेकिन वहां मिलने वाली तनख्वाह उसके लिए पर्याप्त नहीं थी, जिसके चलते वह छुट्टी लेकर तस्करों के साथ जुड़ गया और नशे के कारोबार में शामिल हो गया। आईजी विकास कुमार के अनुसार, इस पूरे नशे के कारोबार का मास्टरमाइंड जोधपुर में बैठकर ही डीलिंग करता है, जो थोड़े पैसों के लालच में अपने लोगों से अफीम मंगवाता है और फिर इसकी सप्लाई करवाता है।
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