किंग चार्ल्स का बड़ा फैसला: एंड्रयू से छीनी 'प्रिंस' की उपाधि: किंग चार्ल्स ने एंड्रयू से छीनी 'प्रिंस' की उपाधि, महल से भी बाहर

किंग चार्ल्स ने एंड्रयू से छीनी 'प्रिंस' की उपाधि, महल से भी बाहर
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Highlights

  • किंग चार्ल्स ने प्रिंस एंड्रयू से 'प्रिंस' की उपाधि वापस ली।
  • एंड्रयू को विंडसर के रॉयल लॉज महल से बाहर किया जाएगा।
  • यह कार्रवाई यौन अपराधी जेफ़्री एप्स्टीन से उनके संबंधों के कारण हुई।
  • एंड्रयू को अब सैंड्रिंघम एस्टेट में निजी आवास मिलेगा।

लंदन: किंग चार्ल्स (King Charles) ने अपने भाई प्रिंस एंड्रयू (Prince Andrew) से 'प्रिंस' की उपाधि छीन ली है और उन्हें विंडसर (Windsor) के रॉयल लॉज (Royal Lodge) महल से भी बाहर कर दिया है। यह कार्रवाई यौन अपराधी जेफ़्री एप्स्टीन (Jeffrey Epstein) से उनके संबंधों के कारण की गई है।

शाही उपाधि और महल से बेदखली

ब्रिटेन के राजकुमार एंड्रयू अब अपना प्रतिष्ठित 'प्रिंस' का ख़िताब खोने जा रहे हैं, जो उनके शाही दर्जे का प्रतीक था।

उन्हें विंडसर के भव्य रॉयल लॉज महल को भी छोड़ना होगा, जहाँ वे वर्षों से निवास कर रहे थे।

यह कठोर फ़ैसला यौन अपराध के दोषी जेफ़्री एप्स्टीन के साथ उनके विवादास्पद संबंधों को लेकर कई हफ़्तों से चल रही गहन जांच के बाद लिया गया है।

गुरुवार रात को बकिंघम पैलेस की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अब किंग के भाई को केवल एंड्रयू माउंटबेटन विंडसर के नाम से जाना जाएगा।

एंड्रयू ने अपने निजी जीवन पर उठते गंभीर सवालों के बीच इस महीने की शुरुआत में ही अपने कई अन्य शाही ख़िताब भी छोड़ दिए थे।

इन छोड़े गए ख़िताबों में ड्यूक ऑफ़ यॉर्क का महत्वपूर्ण पद भी शामिल था, जो उनके शाही कद को दर्शाता था।

बकिंघम पैलेस ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि किंग ने "आज प्रिंस एंड्रयू की उपाधियां, ख़िताब और सम्मान औपचारिक रूप से वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।"

पैलेस ने यह भी पुष्टि की कि "अब रॉयल लॉज की लीज़ सरेंडर करने के लिए औपचारिक नोटिस जारी कर दिया गया है," जिससे उनका महल से निष्कासन सुनिश्चित हो गया है।

एंड्रयू को अब सैंड्रिंघम एस्टेट में एक निजी आवास में रहने की जगह दी जाएगी, जो उनके लिए एक कम सार्वजनिक निवास होगा।

ऐसा कहा जाता है कि इस नए आवास के सभी ख़र्चे किंग चार्ल्स खुद वहन करेंगे, जिससे एंड्रयू को वित्तीय सहायता मिलती रहेगी।

बयान के मुताबिक, "इन कार्रवाइयों को अत्यंत ज़रूरी माना गया, भले ही वह अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से लगातार इनकार करते रहे।"

पैलेस ने यह भी ज़ोर देकर कहा कि वह 'किसी भी तरह के शोषण के पीड़ितों के साथ खड़ा है,' जिससे शाही परिवार की नैतिक स्थिति स्पष्ट होती है।

विवाद की जड़: जेफ़्री एप्स्टीन से संबंध

प्रिंस एंड्रयू पर यह कड़ी कार्रवाई मुख्य रूप से यौन अपराध के दोषी जेफ़्री एप्स्टीन के साथ उनके गहरे और लंबे समय से चले आ रहे संबंधों की वजह से की गई है।

उनके और यौन अपराधी जेफ़्री एप्स्टीन के संबंधों से जुड़ा विवाद एक बार फिर तब भड़का जब वर्जीनिया गियुफ़्रे की मरणोपरांत प्रकाशित जीवनी में यौन शोषण के आरोपों का ज़िक्र दोबारा सामने आया।

वर्जीनिया गियुफ़्रे के आरोप

वर्जीनिया गियुफ़्रे की यह मरणोपरांत जीवनी इस महीने की शुरुआत में प्रकाशित हुई थी, जिसने विवाद को फिर से हवा दी।

किताब में कई जगह यह दोहराया गया कि वर्जीनिया जब टीनएजर थीं, तब उन्होंने प्रिंस एंड्रयू के साथ तीन अलग-अलग मौकों पर यौन संबंध बनाए थे।

हालांकि, प्रिंस एंड्रयू ने इन सभी गंभीर दावों से हमेशा दृढ़ता से इनकार किया है और आरोपों को बेबुनियाद बताया है।

ताज़ा घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए गियुफ़्रे के परिवार ने कहा कि उन्होंने 'अपनी सच्चाई और असाधारण साहस के साथ एक ब्रिटिश प्रिंस को झुका दिया,' जो उनकी जीत को दर्शाता है।

दुःखद रूप से, वर्जीनिया गियुफ़्रे ने इस साल की शुरुआत में आत्महत्या कर ली थी, जिससे इस मामले को और भी संवेदनशीलता मिली है।

पुराने ईमेल और वित्तीय सवाल

हालांकि, एंड्रयू ने हमेशा गियुफ़्रे के शोषण के आरोपों को ख़ारिज किया है, लेकिन कुछ नए खुलासे हुए हैं।

इस महीने की शुरुआत में साल 2011 के कुछ ईमेल्स सामने आए, जिनसे यह पता चला कि एंड्रयू और एप्स्टीन के बीच उनकी 'दोस्ती' खत्म होने के दावे के महीनों बाद भी संपर्क जारी था।

हाल के दिनों में प्रिंस एंड्रयू के रहन-सहन और उनके अत्यधिक खर्चों ने भी जनता और मीडिया का ध्यान खींचा है।

सवाल उठाया गया कि बिना किसी आधिकारिक शाही भूमिका के वे इतना आलीशान जीवन कैसे जी रहे हैं, जबकि उनकी आय का कोई स्पष्ट स्रोत नहीं था।

एक अलग घटनाक्रम में यह भी सामने आया है कि साल 2006 में, जब जेफ़्री एप्स्टीन के ख़िलाफ़ नाबालिग के यौन शोषण के मामले में अमेरिका में गिरफ़्तारी वारंट जारी हुआ था, उसके दो महीने बाद ही एंड्रयू ने उन्हें रॉयल लॉज में अपनी बेटी बीएट्रिस के जन्मदिन के जश्न में मेहमान के तौर पर बुलाया था।

हालांकि, अब एंड्रयू ने इस संवेदनशील मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है, जिससे संदेह और गहरा गया है।

रॉयल लॉज का विवादित किराया समझौता

प्रिंस एंड्रयू साल 2004 से रॉयल लॉज में रह रहे हैं, जो विंडसर एस्टेट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

इसके लिए उन्होंने साल 2003 में एक इंडिपेंडेंट प्रॉपर्टी कंपनी क्राउन एस्टेट के साथ 75 साल की लीज़ डील पर हस्ताक्षर किए थे।

विंडसर एस्टेट में स्थित ये ग्रेड-2 लिस्टेड रॉयल लॉज अपनी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।

इस विशाल परिसर में गार्डनर का कॉटेज, चैपल लॉज, छह बेडरूम का एक अतिरिक्त कॉटेज और सुरक्षाकर्मियों के आवास भी शामिल हैं।

पिछले हफ़्ते, ये चौंकाने वाली जानकारी सामने आई कि एंड्रयू इस महल का भारी ख़र्च कैसे उठा पा रहे थे।

बीबीसी ने लीज़ से जुड़े दस्तावेज़ों का गहन विश्लेषण किया, जिनसे पता चला कि एंड्रयू ने सिर्फ़ एक टोकन अमाउंट सालाना किराए के तौर पर दिया था।

और संभवतः ये टोकन किराया देना भी कानूनी रूप से ज़रूरी नहीं था, जिससे इस सौदे पर सवाल उठने लगे।

इस डील के तहत, सालाना किराया देने के बजाय एंड्रयू ने एकमुश्त बड़ी रकम दी थी, जिसमें महल की मरम्मत और रेनोवेशन के खर्च भी शामिल थे।

असल में ये भुगतान 80 लाख पाउंड (जो 93 करोड़ रुपये से अधिक है) से ज्यादा के थे, जो एक बड़ी राशि थी।

नेशनल ऑडिट ऑफ़िस की रिपोर्ट में इसका स्पष्ट ज़िक्र है, जिसके मुताबिक इन भारी भुगतानों के ज़रिए एंड्रयू ने 75 साल की लीज़ के लिए सालाना किराया देने से छुटकारा पा लिया था।

अब एंड्रयू को विंडसर स्थित इस आलीशान रॉयल लॉज से एक अपेक्षाकृत निजी आवास में शिफ़्ट किया जाएगा, जो उनके शाही जीवनशैली में एक बड़ा बदलाव होगा।

राजमहल का अंतिम फैसला

बकिंघम पैलेस के लिए गुरुवार को किया गया यह एलान प्रिंस एंड्रयू के इर्द-गिर्द उठे विवादों के अंतहीन सिलसिले पर विराम लगाने की एक निर्णायक कोशिश है।

अब प्रिंस एंड्रयू सिर्फ़ एंड्रयू माउंटबेटन विंडसर बन गए हैं, जिससे उनकी शाही पहचान काफी हद तक कम हो गई है।

यह फैसला शाही परिवार की प्रतिष्ठा और नैतिकता को बनाए रखने की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है, खासकर ऐसे समय में जब राजशाही पर लगातार सवाल उठ रहे हैं।

किंग चार्ल्स ने इस कठोर कार्रवाई के माध्यम से जनता को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि कोई भी शाही सदस्य नियमों और कानून से ऊपर नहीं है।

इस पूरे घटनाक्रम से ब्रिटिश राजशाही के इतिहास में एक नया और महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ गया है, जो भविष्य में इसके स्वरूप को प्रभावित कर सकता है।

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