महापड़ाव में किसानों का संदेश स्पष्ट: 'अब केवल बातचीत नहीं, समाधान चाहिए'

'अब केवल बातचीत नहीं, समाधान चाहिए'
जालोर में किसानों का महापड़ाव
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Highlights

  1. जालोर में किसानों का महापड़ाव पांचवें दिन भी जारी, समाधान की मांग पर अड़े किसान
  2. जवाई बांध के पानी और फसल बीमा क्लेम की मांग पर अड़े किसान।
  3. पहले समाधान, फिर बातचीत - जालोर किसानों का प्रशासन को दो टूक जवाब।

जालोर: जिले में किसानों का महापड़ाव आज पांचवें दिन भी जारी रहा। जिला कलेक्ट्रेट के सामने जुटे किसान अपनी मुख्य मांगों, जैसे जवाई बांध के पानी पर जालोर का अधिकार तय करना और फसल नुकसान का बीमा क्लेम समय पर दिलाने, को लेकर प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं।

पांचवें दिन जिला प्रशासन ने किसानों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया। एडीएम राजेश मेवाड़ा और आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित किसानों के बीच पहुंचे और उनसे बातचीत का अनुरोध किया। इस दौरान जालोर विधायक व मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग भी उपस्थित थे। एडीएम ने किसानों को स्थानीय समस्याओं पर वार्ता का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसानों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे वार्ता के लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना था कि प्रशासन पहले समस्याओं का समाधान करे, उसके बाद ही किसी बातचीत का सवाल उठेगा।

किसानों ने जोर देकर कहा कि उनकी मांगें स्पष्ट हैं और समाधान का भरोसा दिए बिना किसी भी चर्चा का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी ही वार्ता में शामिल होंगे और तब ही किसी बातचीत पर विचार किया जाएगा।

मुख्य मांगें:

जवाई बांध का पानी: जालोर के किसानों को जवाई बांध के पानी पर एक तिहाई हिस्सा सुनिश्चित किया जाए।
बीमा क्लेम: फसल नुकसान का बीमा क्लेम किसानों को समय पर दिलाने की व्यवस्था की जाए।
आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित ने किसानों से अपील की कि वे प्रशासन के साथ चर्चा करें ताकि समस्याओं के समाधान के लिए कोई ठोस योजना बनाई जा सके। हालांकि, किसानों ने इस पर सहमति नहीं जताई।

जालोर में किसानों का यह आंदोलन धीरे-धीरे और जोर पकड़ता जा रहा है। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक महापड़ाव जारी रहेगा।

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