कोटा रिवर फ्रंट पर हादसा: विश्व की सबसे बड़ी घंटी को सांचे से निकालने के दौरान 35 फीट से गिरे इंजीनियर और हेल्पर, दोनों की मौत

विश्व की सबसे बड़ी घंटी को सांचे से निकालने के दौरान 35 फीट से गिरे इंजीनियर और हेल्पर, दोनों की मौत
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रविवार को इस विशाल घंटी (world largest bell) को मोल्ड बॉक्स से निकालते वक्त मोल्ड बॉक्स पर चढ़े कास्टिंग इंजीनियर देवेंद्र आर्य और एक कर्मी  करीब 35 फीट ऊंचाई से नीचे गिर गए हैं। 

कोटा | Kota River Front Accident: राजस्थान के कोटा जिले में हाल ही में बना नवनिर्मित कोटा रिवर फ्रंट एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। 

इस बार ये अपनी खूबसूरती के लिए नहीं, बल्कि हादसे को लेकर सुर्खियों में है। 

दरअसल, कोटा रिवर फ्रंट पर लगाने के लिए बनाई गई दुनिया की सबसे बड़ी घंटी को मोल्ड बॉक्स से निकालने के दौरान बड़ा हादसा हो गया है। 

रविवार को इस विशाल घंटी (world largest bell) को मोल्ड बॉक्स से निकालते वक्त मोल्ड बॉक्स पर चढ़े कास्टिंग इंजीनियर देवेंद्र आर्य और एक कर्मी  करीब 35 फीट ऊंचाई से नीचे गिर गए हैं। 

इस हादसे के चलते मौके पर हड़कंप मच गया। आनन-फानन में दोनों को कोटा के तलवंडी स्थित निजी अस्पताल ले जाया गया।

अस्पताल में इलाज के दौरान इंजीनियर और हेल्पर दोनों की मौत हो गई।

बता दें कि विशाल घंटी मोल्ड बॉक्स के सांचे में है और इसे निकालने की प्रक्रिया की जा रही थी।

बैलेंस बिगड़ने से 35 फीट की ऊंचाई से गिरे

कुन्हाड़ी थानाधिकारी महेंद्र कुमार के मुताबिक, कोटा रिवर फ्रंट पर मोल्ड बॉक्स से इस विशाल घंटी को निकालने का काम चल रहा था। 

जिसके लिए इंजीनियर देवेंद्र आर्य और उनके साथ हेल्पर छोटू मोल्ड बॉक्स से घंटी को निकालने के प्रयास में जुटे हुए थे।

बताया जा रहा है कि हाइड्रोलिक क्रेन की मदद से घंटी को निकाला जा रहा था। इस दौरान सबसे ऊपर वाला गार्डर हाइड्रोलिक मशीन से टच होते ही खिसक गया और तीन टुकड़ों में टूट गया।

इससे दोनों का बैलेंस बिगड़ गया और दोनों 35 फीट की ऊंचाई से नीचे गिर गए। 

सिर में आई गंभीर चोट

दोनों के नीचे गिरते ही उनके सिर और हाथ-पैरों में चोटें आई थी। जिसमें सिर की चोट बेहद गंभीर थी। 

ऐसे में हेल्पर छोटू की तो अस्पताल ले जाते ही मौत हो गई जबकि इंजीनियर देवेंद्र आर्य की इलाज के दौरान मौत हो गई है।

सांचे बाहर नहीं निकल पा रही थी घंटी

बता दें कि यूआईटी और ठेकेदार ने विशाल घंटी को बाहर निकालने के लिए इंजीनियर देवेंद्र आर्य को 3 नवंबर को बुलाया था। 

इससे पहले 80 दिनों तक यूआईटी और ठेकेदार ने भी घंटी को निकालने की कोशिश की थी, लेकिन वे भी घंटी को सांचे से बाहर नहीं निकाल पाए थे। 

गौरतलब है कि 79 हजार किलो वजन की घंटी की ढलाई देवेंद्र आर्य ने रिवर फ्रंट पर अस्थाई फैक्ट्री लगाकर की थी।

17 अगस्त को घंटी को सांचे में ढाला गया था

आपको बता दें कि ये घंटी दुनिया की सबसे बड़ी और वजनी घंटी है। इसे 17 अगस्त को सांचे में ढाला गया था और इसके बाद अब इसे सांचे से निकालने के प्रयास किए जा रहे थे। 

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