Highlights
- प्रताप सिंह खाचरियावास ने महाराणा प्रताप को देश की अस्मिता और स्वाभिमान का प्रतीक बताया।
- गुलाबचंद कटारिया ने दावा किया था कि जनता पार्टी ने महाराणा प्रताप के नाम को 'जिंदा' किया।
- कटारिया के बयान पर क्षत्रिय करणी सेना के अध्यक्ष राज शेखावत ने नाराजगी जताई और चेतावनी दी।
- विवाद में आदिवासी समुदाय और हिंदू पहचान को लेकर दिए गए बयानों पर भी राजनीति तेज हुई।
जयपुर | राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर महाराणा प्रताप के नाम पर सियासी घमासान छिड़ गया है। पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया द्वारा महाराणा प्रताप के संबंध में दिए गए एक बयान पर पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कड़ा ऐतराज जताया है। खाचरियावास ने स्पष्ट रूप से कहा कि महाराणा प्रताप की वीरता और उनके बलिदान के कारण ही आज हमारा अस्तित्व है। उनके बिना देश की अस्मिता की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
खाचरियावास का कड़ा पलटवार
प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि महाराणा प्रताप ने कभी भी विदेशी आक्रांताओं और बादशाहों के सामने अपना सिर नहीं झुकाया। उन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार के समझौते को स्वीकार नहीं किया। खाचरियावास के अनुसार, महाराणा प्रताप केवल एक योद्धा नहीं थे, बल्कि वे भारत के धर्म, संस्कृति, नीति और देशभक्ति के सर्वोच्च प्रतीक हैं। उनकी प्रेरणा से आज पूरी दुनिया स्वाभिमान का पाठ सीखती है। खाचरियावास ने कटारिया के दावों को खारिज करते हुए उनके इतिहास बोध पर सवाल उठाए।
क्या था गुलाबचंद कटारिया का विवादित बयान?
विवाद की शुरुआत 22 दिसंबर को उदयपुर के एक कार्यक्रम से हुई, जहां गुलाबचंद कटारिया ने कहा था कि कांग्रेस के शासनकाल में महाराणा प्रताप का नाम केवल सुना जाता था, लेकिन उन्हें 'जिंदा' करने का काम जनता पार्टी की सरकार ने किया। उन्होंने दावा किया कि पहली बार उनकी सरकार ने गोगुंदा, हल्दीघाटी और चावंड जैसे ऐतिहासिक स्थलों के विकास के लिए बजट आवंटित किया। कटारिया ने यह भी सवाल उठाया कि क्या भील समुदाय के सहयोग के बिना प्रताप युद्ध लड़ पाते? उन्होंने विकास कार्यों का श्रेय अपनी पार्टी को दिया।
आदिवासी समुदाय और हिंदू पहचान पर टिप्पणी
कटारिया ने अपने संबोधन में 'बाप' (BAP) पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग खुद को हिंदू नहीं मानते, उन्हें यह बताना चाहिए कि उनके पूर्वज महाराणा प्रताप की सेना में कैसे शामिल हुए थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि आदिवासी और भील समाज का प्रताप की जीत में बहुत बड़ा योगदान था। हालांकि, उनके इस बयान को राजनीतिक हलकों में अलग तरह से देखा जा रहा है, जिससे सामाजिक नाराजगी बढ़ गई है। कटारिया के इस बयान ने आदिवासी पहचान और हिंदुत्व की बहस को फिर से हवा दे दी है।
करणी सेना की चेतावनी
इस पूरे मामले में अब 'क्षत्रिय करणी सेना' भी कूद पड़ी है। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज शेखावत ने कटारिया की टिप्पणियों पर गहरी आपत्ति जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा करते हुए इसे महाराणा प्रताप की विरासत का अपमान बताया और तीखी प्रतिक्रिया दी। शेखावत की इस 'धमकी भरी' पोस्ट के बाद प्रशासन और राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। राजस्थान में इस मुद्दे पर अब पक्ष और विपक्ष के बीच जुबानी जंग जारी है और समाज के विभिन्न वर्गों में रोष व्याप्त है।
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