Highlights
- 'निवेशक दीदी चरण-II' योजना ग्रामीण महिलाओं में वित्तीय जागरूकता बढ़ा रही है।
- यह पहल 'महिलाओं द्वारा-महिलाओं के लिए' की अवधारणा पर आधारित है।
- राजस्थान में 32 शिविरों सहित देशभर में 1,892 वित्तीय जागरूकता शिविर आयोजित।
- IEPFA और IPPB की साझेदारी से 4 हजार शिविरों का लक्ष्य।
जयपुर: राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ (Madan Rathore) ने 'निवेशक दीदी चरण-II' (Niveshak Didi Phase-II) योजना को महिला वित्तीय सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण बताया। यह योजना ग्रामीण महिलाओं में वित्तीय जागरूकता बढ़ा रही है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।
भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल, 'निवेशक दीदी चरण-II', ग्रामीण और अल्पसेवित क्षेत्रों की महिलाओं को वित्तीय रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को सुरक्षित डिजिटल वित्तीय सेवाओं से जोड़ना, उन्हें जिम्मेदार बचत और निवेश के निर्णय लेने के लिए प्रेरित करना तथा ऑनलाइन धोखाधड़ी के जोखिमों के प्रति जागरूक करना है।
राज्यसभा में भाजपा सांसद मदन राठौड़ ने हाल ही में कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय से इस योजना के संबंध में विस्तृत जानकारी मांगी थी, जिसके जवाब में राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने इसकी व्यापकता और प्रभावों पर प्रकाश डाला।
निवेशक दीदी: ग्रामीण महिलाओं के वित्तीय सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल
मदन राठौड़ ने इस बात पर जोर दिया कि 'निवेशक दीदी चरण-II' योजना, जिसे 7 अप्रैल 2025 को शुरू किया गया था, महिलाओं की आर्थिक भागीदारी बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही है।
उन्होंने कहा कि यह पहल विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए तैयार की गई है जो वित्तीय सेवाओं तक सीमित पहुंच रखती हैं या वित्तीय साक्षरता की कमी के कारण अक्सर जोखिमों का सामना करती हैं।
योजना का लक्ष्य उन्हें वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनाना है, जिससे वे अपने और अपने परिवारों के लिए बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकें।
कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने बताया कि यह योजना 'महिलाओं द्वारा-महिलाओं के लिए' की अवधारणा पर आधारित है।
इसका मतलब है कि योजना का क्रियान्वयन और प्रशिक्षण स्वयं महिलाओं द्वारा ही किया जाता है, जिससे संवाद और विश्वास का एक मजबूत पुल बनता है।
यह दृष्टिकोण ग्रामीण परिवेश में महिलाओं के बीच वित्तीय ज्ञान के प्रसार को अधिक प्रभावी बनाता है, क्योंकि वे अपनी ही समुदाय की महिलाओं से जुड़कर अधिक सहज महसूस करती हैं।
योजना का उद्देश्य और कार्यप्रणाली
निवेशक दीदी योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों, महिला मंडलों और ग्रामीण डाक विभाग की महिला कर्मचारियों को सामुदायिक वित्तीय प्रशिक्षक के रूप में प्रशिक्षित किया जाता है।
ये प्रशिक्षित 'निवेशक दीदी' फिर इंटरएक्टिव प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन करती हैं। इन शिविरों में कहानी कहने, समूह सहभागिता और डिजिटल बैंकिंग के प्रदर्शन जैसे आधुनिक और आकर्षक तरीकों का उपयोग किया जाता है।
इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वित्तीय ज्ञान को सरल और सुलभ तरीके से प्रस्तुत किया जाए, ताकि महिलाएं आसानी से इसे समझ सकें और अपने दैनिक जीवन में लागू कर सकें।
इन प्रशिक्षणों में महिलाओं को विभिन्न वित्तीय उत्पादों और सेवाओं जैसे बचत खाते, ऋण, बीमा, निवेश के विकल्प और डिजिटल भुगतान के सुरक्षित तरीकों के बारे में जानकारी दी जाती है।
इसके अतिरिक्त, उन्हें ऑनलाइन धोखाधड़ी और वित्तीय घोटालों से बचने के लिए आवश्यक सावधानियों के बारे में भी शिक्षित किया जाता है। यह समग्र दृष्टिकोण महिलाओं को न केवल वित्तीय रूप से साक्षर बनाता है, बल्कि उन्हें वित्तीय जोखिमों से भी बचाता है।
राजस्थान और राष्ट्रीय स्तर पर योजना की प्रगति
सांसद मदन राठौड़ ने बताया कि राजस्थान में भी इस अभियान ने प्रभावशाली प्रगति दर्ज की है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, राज्य में वित्तीय वर्ष 2023-24 में 22 जागरूकता शिविर आयोजित किए गए थे, जबकि वित्तीय वर्ष 2025-26 में अब तक 10 शिविर लगाए जा चुके हैं। इस प्रकार, राजस्थान में कुल 32 शिविरों के माध्यम से हजारों ग्रामीण महिलाओं तक वित्तीय शिक्षा पहुंचाई गई है।
इन शिविरों ने महिलाओं को बैंकिंग सुविधाओं, डिजिटल भुगतान, बीमा और निवेश जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर आवश्यक जानकारी प्रदान की है, जिससे उनकी वित्तीय समझ में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
राष्ट्रीय स्तर पर भी 'निवेशक दीदी' योजना ने तेज़ी पकड़ी है। मंत्री द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022-23 से 2025-26 तक की अवधि में देशभर में कुल 1,892 वित्तीय जागरूकता शिविर आयोजित किए जा चुके हैं।
इन शिविरों के माध्यम से लाखों महिलाओं तक वित्तीय साक्षरता और सुरक्षित डिजिटल लेनदेन की जानकारी पहुंची है। यह दर्शाता है कि योजना अपनी पहुंच का विस्तार कर रही है और देश के कोने-कोने में महिलाओं को सशक्त बना रही है।
भविष्य की योजनाएं और साझेदारी
सरकार ने इस योजना के प्रभाव और पहुंच को और व्यापक बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण निधि प्राधिकरण (IEPFA) और इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) के बीच एक रणनीतिक साझेदारी की गई है। इस साझेदारी के तहत देश भर में 4 हजार वित्तीय साक्षरता शिविर आयोजित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
साथ ही, 40 हजार महिला डाक कर्मचारियों को सामुदायिक वित्तीय प्रशिक्षक के रूप में प्रशिक्षित करने की भी योजना है। यह साझेदारी ग्रामीण क्षेत्रों में योजना की पहुंच को कई गुना बढ़ाएगी और अधिक से अधिक महिलाओं को वित्तीय मुख्यधारा से जोड़ेगी।
सांसद मदन राठौड़ ने इस साझेदारी को ग्रामीण भारत में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि डाक विभाग की व्यापक पहुंच और आईपीपीबी की डिजिटल क्षमताओं का लाभ उठाकर, यह योजना देश के सबसे दूरस्थ कोनों तक भी पहुंच सकती है, जहां पारंपरिक बैंकिंग सेवाएं अभी भी सीमित हैं।
वित्तीय जागरूकता से आत्मनिर्भरता की ओर
राठौड़ ने इस बात पर जोर दिया कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की वित्तीय भागीदारी बढ़ाने और घरेलू अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में इस प्रकार की योजनाएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
जब महिलाएं वित्तीय रूप से साक्षर और सशक्त होती हैं, तो वे अपने परिवारों के लिए बेहतर निर्णय ले पाती हैं, जिससे पूरे समुदाय का उत्थान होता है।
उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि इस पहल को और अधिक सशक्त बनाया जाए और इसे देश के शेष दूरस्थ क्षेत्रों तक सुनिश्चित रूप से पहुंचाया जाए।
यह योजना न केवल महिलाओं को वित्तीय कौशल प्रदान करती है, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास और निर्णय लेने की क्षमता भी देती है।
'निवेशक दीदी' पहल के माध्यम से, ग्रामीण भारत की नारी आत्मनिर्भरता की ओर एक मजबूत कदम बढ़ा रही है, जिससे एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण संभव हो सकेगा।
यह भारत के समग्र विकास के लिए एक महत्वपूर्ण आधारशिला है।
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