Rajasthan: नेहड़ के रणखार में साइबेरियाई मेहमान, पेलिकन और फ्लेमिंगो की रौनक

नेहड़ के रणखार में साइबेरियाई मेहमान, पेलिकन और फ्लेमिंगो की रौनक
रणखार में प्रवासी पक्षियों का आगमन
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Highlights

  • नेहड़ के रणखार में प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू।
  • साइबेरिया और पूर्वी यूरोप से पेलिकन और फ्लेमिंगो पहुंचे।
  • नवंबर से फरवरी तक रहता है इन विदेशी मेहमानों का डेरा।
  • अनुकूल जलवायु और पर्याप्त भोजन के लिए भारत आते हैं पक्षी।

जालोर: सर्दियों की शुरुआत के साथ ही नेहड़ (Nehda) के रणखार (Rankhar) क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है। साइबेरिया (Siberia) और पूर्वी यूरोप (Eastern Europe) से पेलिकन और फ्लेमिंगो यहां पहुंचे हैं।

हर साल की तरह इस बार भी नवंबर से फरवरी के बीच इन विदेशी पक्षियों का आना जारी है, जिससे इलाके में रौनक बढ़ गई है। इन पक्षियों ने हजारों किलोमीटर का लंबा और थका देने वाला सफर तय किया है, ताकि वे प्रजनन और भोजन की अनुकूल परिस्थितियों का लाभ उठा सकें। नेहड़ का रणखार क्षेत्र उनके लिए एक आदर्श ठिकाना बन गया है, जहां उन्हें शांति और सुरक्षा मिलती है।

रणखार: प्रवासी पक्षियों का पसंदीदा ठिकाना

पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार, पेलिकन और फ्लेमिंगो दोनों ही प्रमुख प्रवासी प्रजातियां हैं जो हर साल भारत का रुख करती हैं। ये पक्षी मुख्य रूप से प्रजनन और भोजन की तलाश में यहां आते हैं, क्योंकि इनके मूल स्थानों पर सर्दियों में परिस्थितियां प्रतिकूल हो जाती हैं।

भारत में ये पक्षी मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में दिखाई देते हैं, जिनमें गुजरात का कच्छ और राजस्थान का नेहड़ क्षेत्र प्रमुख हैं। नेहड़ में भवातड़ा, कुकड़िया, हनवतपुरा, खेजड़ियाली, आरवा और डूंगरी जैसे कई जलभराव वाले मैदान हैं, जो इन पक्षियों के पसंदीदा स्थान हैं। सर्दियों में यहां की अनुकूल जलवायु, पर्याप्त भोजन की उपलब्धता और सुरक्षित जलयुक्त रणखार इनके प्रवास के लिए आदर्श माने जाते हैं। यहां का शांत और प्राकृतिक वातावरण इन पक्षियों को आकर्षित करता है, जिससे वे बिना किसी बाधा के अपना जीवन चक्र पूरा कर पाते हैं।

पेलिकन और फ्लेमिंगो: जानें इनकी अनूठी खासियतें

ये विदेशी मेहमान अपनी अनूठी विशेषताओं और आकर्षक रंगों के लिए जाने जाते हैं। इनके आगमन से रणखार का प्राकृतिक सौंदर्य और भी निखर जाता है, और यह क्षेत्र जीवंत हो उठता है।

पेलिकन की पहचान और आहार

पेलिकन अपनी मजबूत उड़ान, बड़े आकार और गले में मौजूद बड़ी थैली के लिए प्रसिद्ध हैं। इनका वजन आमतौर पर 9 से 15 किलोग्राम तक होता है। ये पक्षी मांसाहारी होते हैं और एक दिन में 5 से 7 किलोग्राम तक मछली खा सकते हैं। पानी में शिकार करने की इनकी क्षमता अद्भुत होती है, और ये अक्सर बड़े झुंडों में मिलकर मछली पकड़ते हुए देखे जा सकते हैं। इनकी सामूहिक शिकार शैली देखने लायक होती है।

फ्लेमिंगो का आकर्षण और भोजन

वहीं, फ्लेमिंगो अपनी गुलाबी चमक, लंबी पतली टांगों और सामूहिक रूप से चलने की शैली के लिए प्रसिद्ध हैं। इनकी विशेष रूप से मुड़ी हुई चोंच इन्हें पानी में मौजूद सूक्ष्म जीव, शैवाल और प्लवक (प्लांकटन) को छानकर खाने में मदद करती है। पानी में इनकी धीमी और शानदार चाल, सामूहिक उड़ान और शांत वातावरण क्षेत्र में एक विशेष दृश्य प्रस्तुत करता है, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। इनकी गुलाबी रंगत इनके आहार में मौजूद कैरोटीनॉयड पिगमेंट के कारण होती है।

स्थानीय लोगों और पक्षी प्रेमियों में उत्साह

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से रणखार में पेलिकन के साथ-साथ गुलाबी पंखों वाले फ्लेमिंगो भी बड़े झुंडों में देखे जा रहे हैं। इन पक्षियों को देखने के लिए आसपास के गांवों और दूरदराज के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। पक्षी प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों में इन विदेशी मेहमानों को देखने के लिए विशेष उत्साह देखा जा रहा है। नेहड़ क्षेत्र के रणखार में इन प्रवासी पक्षियों के आगमन से न केवल प्राकृतिक वातावरण जीवंत हो उठा है, बल्कि यह क्षेत्र अब एक महत्वपूर्ण इको-टूरिज्म और पक्षी अवलोकन स्थल के रूप में भी उभर रहा है। यह स्थानीय जैव विविधता और पर्यावरण के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

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