NGT मेंबर का बाड़मेर दौरा: बाड़मेर में बोले NGT मेंबर अफरोज अहमद: डिस्ट्रिक्ट एनवायरमेंट प्लान पर काम की जरूरत, विकास और पर्यावरण साथ चलें

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Highlights

  • एनजीटी सदस्य अफरोज अहमद ने बाड़मेर जिला प्रशासन के साथ पर्यावरण योजनाओं की समीक्षा की।
  • खेजड़ी को पर्यावरण के लिए अनिवार्य बताते हुए इसके संरक्षण पर विशेष जोर दिया गया।
  • सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने खनन से होने वाले प्रदूषण और अपशिष्ट प्रबंधन का मुद्दा उठाया।
  • विकास और पर्यावरण को साथ लेकर चलने के लिए प्रभावी कार्ययोजना लागू करने के निर्देश दिए।

बाड़मेर | बाड़मेर जिले में पर्यावरण संतुलन और औद्योगिक विकास के बीच सामंजस्य बिठाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय हरित अधिकरण यानी एनजीटी के सदस्य अफरोज अहमद ने एक महत्वपूर्ण दौरा किया। इस दौरान उन्होंने जिला कलेक्ट्रेट के कॉन्फ्रेंस हॉल में प्रशासन और विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की। बैठक का मुख्य केंद्र बिंदु जिले का डिस्ट्रिक्ट एनवायरमेंट प्लान और खनन गतिविधियों से उत्पन्न होने वाली पर्यावरणीय चुनौतियां रहीं। एनजीटी सदस्य ने स्पष्ट किया कि बाड़मेर जैसे संवेदनशील भौगोलिक क्षेत्र में विकास की गति को बढ़ाते समय प्रकृति के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता है।

एनजीटी मेंबर की समीक्षा और प्रशासनिक निर्देश

अफरोज अहमद ने अधिकारियों से बातचीत के दौरान बाड़मेर की वर्तमान पर्यावरणीय स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि प्रशासन को डिस्ट्रिक्ट एनवायरमेंट प्लान पर अभी बहुत अधिक काम करने की आवश्यकता है क्योंकि वर्तमान में अधिकांश योजनाएं केवल पाइपलाइन में ही नजर आ रही हैं। उन्होंने प्रशासन और पुलिस विभाग को निर्देश दिए कि वे आम जनता के बीच पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए सक्रिय कदम उठाएं। एनजीटी सदस्य के अनुसार केवल कानून बना देने से पर्यावरण सुरक्षित नहीं होगा बल्कि इसके लिए सामूहिक जन भागीदारी और प्रशासनिक इच्छाशक्ति की सख्त जरूरत है।

डिस्ट्रिक्ट एनवायरमेंट प्लान की जमीनी हकीकत

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने देश के हर जिले के लिए डिस्ट्रिक्ट एनवायरमेंट प्लान बनाना अनिवार्य किया है। अफरोज अहमद ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट, सीवरेज सिस्टम और माइनिंग से जुड़ी गतिविधियों का प्रबंधन शामिल है। इसके अलावा नदियों और झीलों के संरक्षण के लिए भी ठोस कार्ययोजना बनाना आवश्यक है। बाड़मेर में हालांकि योजना कागजों पर बनी हुई है लेकिन इसे धरातल पर लाने के लिए बजट की उपलब्धता और प्रशासनिक अप्रूवल की प्रक्रिया को तेज करना होगा। उन्होंने जोर दिया कि जब तक ये योजनाएं लागू नहीं होंगी तब तक शहर के वातावरण में सुधार संभव नहीं है।

खेजड़ी वृक्ष का संरक्षण और विकास की राह

बाड़मेर में खेजड़ी के पेड़ों की कटाई को लेकर पूछे गए सवाल पर अफरोज अहमद ने बेहद संजीदगी दिखाई। उन्होंने कहा कि खेजड़ी राजस्थान का राज्य वृक्ष है और इसका पर्यावरणीय महत्व अतुलनीय है। उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया कि विकास के नाम पर खेजड़ी के पूरे जंगल या पेड़ों को काटना स्वीकार्य नहीं है। यदि किसी अनिवार्य विकास कार्य में बाधा आ रही है तो भी कम से कम पेड़ काटे जाएं और एक पेड़ के बदले दस नए पौधे लगाए जाएं। उन्होंने चीन के गोबी मरुस्थल का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां थार जैसी परिस्थितियों में भी हरियाली विकसित की गई है तो बाड़मेर में यह क्यों संभव नहीं है।

सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने उठाए गंभीर मुद्दे

बैठक के दौरान बाड़मेर सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने एनजीटी सदस्य से अलग से मुलाकात की और क्षेत्र की गंभीर समस्याओं से अवगत करवाया। सांसद ने वेदांता कंपनी द्वारा क्रूड ऑयल खनन और जेएसडब्ल्यू द्वारा कोयला खनन के दौरान निकलने वाले खतरनाक अपशिष्ट पदार्थों का मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि इन कंपनियों द्वारा अपशिष्ट को भूमि में दबाने से भूजल प्रदूषित हो रहा है और यह सीधे तौर पर आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है। सांसद ने शिकायत की कि खनन प्रक्रिया के दौरान निकलने वाला गंदा पानी किसानों के खेतों में छोड़ा जा रहा है जिससे उपजाऊ जमीन बंजर होती जा रही है।

खनन और औद्योगिक प्रदूषण पर सख्त रुख

एनजीटी सदस्य ने खनन कंपनियों के लिए कड़े दिशा-निर्देशों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि किसी भी माइनिंग प्रोजेक्ट के लिए 33 प्रतिशत हरियाली विकसित करने की शर्त अनिवार्य है और इसमें कोई रियायत नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और डीएफओ को निर्देश दिए कि वे ग्रीन बेल्ट की निगरानी करें और यह सुनिश्चित करें कि कंपनियां अपने सीएसआर फंड का उपयोग उसी क्षेत्र के पर्यावरण प्रबंधन और सामाजिक उत्थान के लिए करें। उन्होंने माइनिंग क्लोजर प्लान की महत्ता पर भी प्रकाश डाला और कहा कि खनन पूरा होने के बाद भूमि का सुधार यानी लैंड रिक्लेमेशन करना कंपनियों की कानूनी जिम्मेदारी है।

शहरी प्रदूषण और यातायात प्रबंधन

पर्यावरण केवल पेड़ों और पानी तक सीमित नहीं है बल्कि ध्वनि और वायु प्रदूषण भी इसका बड़ा हिस्सा है। अफरोज अहमद ने बाड़मेर शहर के ट्रैफिक और बढ़ते शोर पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने पुलिस विभाग को सुझाव दिया कि अनावश्यक हॉर्न बजाने और वाहनों को चालू छोड़ने जैसी प्रवृत्तियों पर लगाम लगाने के लिए लोगों को ट्रेनिंग और जागरूकता की जरूरत है। शहर के वातावरण को शांत और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए यातायात प्रबंधन को आधुनिक और पर्यावरण अनुकूल बनाना होगा।

लूणी नदी और औद्योगिक कचरे का संकट

सांसद बेनीवाल ने जोधपुर, पाली और बालोतरा क्षेत्र की औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले रासायनिक अपशिष्ट का मुद्दा भी प्रमुखता से रखा। उन्होंने बताया कि फैक्ट्रियों का दूषित पानी सीधे लूणी नदी में जा रहा है जिससे पूरी नदी प्रदूषित हो चुकी है। यह पानी न केवल खेती को बर्बाद कर रहा है बल्कि मवेशियों और इंसानों के लिए भी जानलेवा साबित हो रहा है। एनजीटी सदस्य ने इन सभी शिकायतों को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि वे इन मुद्दों को राज्य सरकार के समक्ष उठाएंगे और दोषी इकाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

भविष्य की कार्ययोजना और निगरानी तंत्र

अंत में एनजीटी सदस्य ने अधिकारियों को चेताया कि पर्यावरण नियमों की अनदेखी भारी पड़ सकती है। उन्होंने मॉनिटरिंग के विभिन्न चरणों जैसे 25 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक के प्रोजेक्ट पूरा होने पर नियमित जांच की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि मॉनिटरिंग करने वाले अधिकारियों से जो भी भूल हो रही है उसे तुरंत सुधारने की जरूरत है। बाड़मेर में विकास और पर्यावरण दोनों साथ-साथ चल सकते हैं बशर्ते कि प्रशासन अपनी जिम्मेदारी समझे और कंपनियां अपने मुनाफे के साथ-साथ प्रकृति के प्रति अपनी जवाबदेही भी तय करें।

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