Rajasthan: गहलोत पुत्र के सामने 'बाप' का उम्मीदवार, ओटाराम रोहिन बिगाड़ सकते हैं गणित

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क्योंकि यदि यह वोट जो कि कांग्रेस का वोटबैंक माना जाता है यदि कांग्रेस से छिटक जाता है तो सीधे तौर पर परिणाम प्रभावित होंगे। इससे पहले लाल सिंह राठौड़ बसपा से टिकट लाकर कांग्रेस को चुनौती दे ही रहे हैं।

भारत आदिवासी पार्टी ने अशोक गहलोत की मुश्किल को और भी गहरा कर दिया है। जिस पार्टी का आबू पिण्डवाड़ा में एक बेस है और लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारा है ओटाराम मेघवाल को।

ओटाराम रोहिन 2014 में बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़े थे और 30 हजार वोट पाए थे। अब वे भारत आदिवासी पार्टी से टिकट लाए हैं। यहां आबू पिण्डवाड़ा में मेघाराम गरासिया ने बड़ा वोट पाया था करीब पच्चीस हजार। ऐसे में वैभव गहलोत के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली है।

क्योंकि यदि यह वोट जो कि कांग्रेस का वोटबैंक माना जाता है यदि कांग्रेस से छिटक जाता है तो सीधे तौर पर परिणाम प्रभावित होंगे। इससे पहले लाल सिंह राठौड़ बसपा से टिकट लाकर कांग्रेस को चुनौती दे ही रहे हैं।

यही नहीं जालोर में शकूर खान उर्फ शकूर राणा ने भी चुनाव का नामांकन भर दिया है। एनएसयूआई के अध्यक्ष रह चुके शकूर का नामांकन भी कांग्रेस के लिए भारी पड़ने वाला है। क्या रहेगा वैभव गहलोत का चुनावी अभियान और बीजेपी के लुम्बाराम चौधरी की मुश्किलें क्या है। प्रदीप बीदावत का विश्लेषण...।

हालांकि बीजेपी की राह भी आसान नहीं है। जिस तरह से कांग्रेस के मूल वोट बैंक पर अशोक गहलोत की नजर है। चूंकि राजनीति के जादूगर कहे जाने वाल अशोक गहलोत जिस तरह से लोगों को साध रहे हैं, उसमें बीजेपी कहीं पीछे नजर आती है। ऐसे में चुनाव परिणाम तो जनता ही के हाथ में है। परन्तु नए—नए प्रत्याशियों की एंट्री ने माहौल को रोचक जरूर बना दिया है।

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