Highlights
- कराची में 5 दिसंबर को हिंदू मां रानी और उसकी डेढ़ साल की बेटी का अपहरण।
- सिंध प्रांत में 11 महीनों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ 611 अपराध, 73 धर्मांतरण के मामले।
- पीड़ित परिवार को मां-बेटी के जबरन धर्मांतरण और शादी का शक।
- पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों के अपहरण और धर्मांतरण पर गंभीर चिंता।
कराची: पाकिस्तान के कराची (Karachi) में 5 दिसंबर को हिंदू मां रानी (Rani) और उसकी डेढ़ साल की बेटी को घर के सामने से अगवा कर लिया गया। परिवार को धर्मांतरण का शक है। सिंध (Sindh) में 11 महीने में 73 धर्मांतरण के मामले सामने आए हैं।
कराची में हिंदू मां-बेटी का अपहरण: एक दर्दनाक दास्तान
5 दिसंबर को पाकिस्तान के कराची शहर में एक भयावह घटना सामने आई, जिसने पूरे हिंदू समुदाय को झकझोर दिया है। शेर शाह के सिंधी मोहल्ले में रहने वाली हिंदू महिला रानी अपनी डेढ़ साल की मासूम बेटी के साथ घर से बाहर निकली थीं।
तभी एक ऑल्टो कार उनके पास आकर रुकी, जिसमें हथियारों से लैस तीन लोग सवार थे। उन्होंने बिना किसी चेतावनी के रानी और उसकी छोटी सी बेटी को जबरन गाड़ी में खींच लिया और तेजी से फरार हो गए।
अपहरण के बाद की कानूनी प्रक्रिया और परिवार का दर्द
इस दिल दहला देने वाली घटना के तीन दिन बाद, 8 दिसंबर को स्थानीय पुलिस में एफआईआर (FIR) दर्ज कराई गई। हालांकि, एफआईआर दर्ज होने के बावजूद, अब तक अगवा हुई मां-बेटी का कोई सुराग नहीं मिल पाया है।
रानी के परिवार को गहरा सदमा लगा है और वे लगातार न्याय की गुहार लगा रहे हैं। उन्हें प्रबल आशंका है कि उनकी बेटी और बहू का अपहरण धर्म परिवर्तन कराने और फिर जबरन शादी करने के उद्देश्य से किया गया है।
यह घटना पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदू महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों की एक और कड़ी है। यह दर्शाता है कि कैसे अल्पसंख्यक समुदाय वहां असुरक्षित महसूस कर रहा है।
सिंध प्रांत: अल्पसंख्यकों पर बढ़ते जुल्म का केंद्र
पाकिस्तान का सिंध प्रांत ऐतिहासिक रूप से हिंदू बहुल आबादी वाला क्षेत्र रहा है। दुखद बात यह है कि यही प्रांत अब अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते अपराधों का मुख्य केंद्र बनता जा रहा है।
पिछले 11 महीनों में, सिंध में अल्पसंख्यकों के खिलाफ कुल 611 गंभीर अपराध दर्ज किए गए हैं। इन चौंकाने वाले आंकड़ों में 73 मामले सीधे तौर पर जबरन धर्म परिवर्तन से जुड़े हुए हैं।
यह भयावह आंकड़ा बताता है कि हर महीने औसतन 7 हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक महिलाओं को जबरन धर्म परिवर्तन का शिकार बनाया जा रहा है। इसके अलावा, अपहरण के 3, हत्या के 6 और बाल विवाह के 2 से अधिक मामले भी हर महीने सामने आ रहे हैं, जो स्थिति की गंभीरता को उजागर करते हैं।
रानी किडनैपिंग केस: पति की आपबीती और संघर्ष
रानी के पति प्रेम कुमार ने इस दुखद घटना के बारे में विस्तार से बताया, उनकी आवाज में दर्द और लाचारी साफ झलक रही थी। 5 दिसंबर की सुबह करीब 11 बजे रानी अपनी डेढ़ साल की बेटी को लेकर घर से निकली थीं।
उन्होंने घर पर ताला लगाया और कुछ ही कदम आगे बढ़ी थीं कि तभी सिल्वर रंग की ऑल्टो कार में सवार तीन नकाबपोश बदमाशों ने उन्हें अगवा कर लिया। बदमाशों के हाथों में हथियार थे, जिससे रानी और उनकी बेटी खुद का बचाव नहीं कर पाईं।
उस वक्त प्रेम कुमार दवाई लेने अस्पताल गए हुए थे। जब वे कुछ घंटों बाद घर लौटे, तो उन्हें घर पर ताला लगा मिला और पत्नी का फोन भी बंद आ रहा था, जिससे उनके मन में अनहोनी की आशंका घर कर गई।
उन्होंने तुरंत आसपास के लोगों और दोस्तों से पूछताछ की, लेकिन शुरुआती तौर पर डर के मारे किसी ने कुछ नहीं बताया। बाद में उन्हें अपहरण की भयावह सच्चाई का पता चला।
प्रेम कुमार ने तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत की, लेकिन शुरुआती तौर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। आसपास के लोगों और समाजसेवी संस्थाओं के कड़े विरोध के बाद, 3 दिन बाद जाकर एफआईआर दर्ज की गई। यह एफआईआर पाकिस्तानी पैनल कोड (PPC) की धारा-496A के तहत दर्ज हुई है, जो अपहरण और जबरन विवाह से संबंधित है।
धर्म परिवर्तन और जबरन शादी का गहरा शक
प्रेम कुमार ने बताया कि वे कराची के शेर शाह इलाके के सिंधी मोहल्ले में रहते हैं। उन्होंने भारतीय मीडिया से खुलकर बात करने में अपनी असमर्थता और डर व्यक्त किया।
उन्होंने कहा, 'हम भारतीय मीडिया से खुलकर बात नहीं कर सकते हैं, क्योंकि इससे हमारे लिए और मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। आप लोगों ने हमसे संपर्क किया, इस बात से काफी खुशी हुई। उम्मीद है कि इसी तरह अगवा हुई मेरी बेटी और पत्नी भी मिल जाएंगी।'
प्रेम कुमार ने अपनी गहरी आशंका दोहराई, 'एफआईआर में जो भी बातें लिखी हैं, वही सच है। आशंका यही है कि मां-बेटी का अपहरण कर उनका धर्म परिवर्तन कराया जाएगा और फिर जबरन शादी कर दी जाएगी, जैसा कि अक्सर यहां होता आया है।'
पाकिस्तान में हिंदुओं के अधिकारों की लड़ाई: शिवा काछी का संघर्ष
पाकिस्तान में हिंदुओं के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे शिवा काछी से भी इस संबंध में बात की गई। उनका 'पाकिस्तान दरावर इत्तेहाद' (PDI) नाम का एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) है, जो अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए काम करता है।
यह एनजीओ हिंदू लड़कियों के अपहरण और धर्म परिवर्तन के खिलाफ न्याय की मांग कर रहा है। शिवा काछी ने सिंधी मोहल्ले से अगवा हुई मां-बेटी का मुद्दा प्रमुखता से उठाया और एफआईआर दर्ज कराने में परिवार की हर संभव मदद की।
उन्होंने भी भारतीय मीडिया से खुलकर बात करने में हिचकिचाहट दिखाई, क्योंकि उन्हें पाकिस्तान में पुलिस और प्रशासन द्वारा 'देशभक्त' नहीं मानने का डर सताता है।
शिवा काछी ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, 'हम पाकिस्तान में जन्मे हैं, यहीं पले-बढ़े हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ लोग हमें देशद्रोही करार दे रहे हैं, सिर्फ इसलिए कि हम अपने समुदाय के लिए न्याय मांग रहे हैं।'
शिवा काछी का भावुक वीडियो संदेश: न्याय की गुहार
शिवा काछी ने सिंध में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ एसएसपी ऑफिस के बाहर जोरदार नारेबाजी करते हुए एक भावुक वीडियो भी साझा किया। यह वीडियो पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दयनीय स्थिति का प्रमाण है।
वीडियो में वह कहते हैं, 'क्या सिंध के हिंदुओं को पाकिस्तान अपना समझता भी है या नहीं? आईजी (IG) जैसे उच्च पुलिस अधिकारी भी हमारी शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, जिससे हमारा विश्वास टूट रहा है।'
उन्होंने अपनी पहचान पर जोर देते हुए कहा, 'हम अफ्रीका या इंडिया से नहीं आए हैं। हम यहीं पाकिस्तान के हैं। हमारी हिंदू लड़कियों का अपहरण होता है, तब पुलिस अधिकारी कहते हैं कि लव मैरिज हुई होगी, यह कहकर वे मामले को रफा-दफा कर देते हैं।'
शिवा काछी ने सवाल उठाया, 'हम यहां के हिंदू हैं। हमारा कसूर क्या है? हमें किस बात की सजा मिल रही है?' यह बयान पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की गहरी निराशा और न्याय की कमी को दर्शाता है।
अन्य प्रमुख मामले: बढ़ती चिंता का सबब और मानवीय त्रासदी
रानी और उसकी बेटी के अपहरण से ठीक एक दिन पहले, 4 दिसंबर को सिंध प्रांत के उमरकोट इलाके में एक और गंभीर घटना हुई थी। उमरकोट में सबसे ज्यादा हिंदू आबादी रहती है, और वहां भी अल्पसंख्यक असुरक्षित हैं।
उमरकोट में हिंदू दुल्हन को अगवा करने की कोशिश
हरचंद कोहली की बेटी भागवी की शादी एक दिन पहले ही हुई थी और वह अपने जीवन के नए अध्याय की शुरुआत कर रही थीं। वह दूल्हे और बारात के साथ अपने घर लौट रही थीं, तभी रास्ते में यह घटना हुई।
अचानक 7 हथियारबंद बदमाशों ने दूल्हे और कुछ बारातियों पर हमला बोल दिया। इसी दौरान बदमाशों ने दुल्हन भागवी को जबरदस्ती अगवा करने की कोशिश की, जिससे बारात में हड़कंप मच गया।
यह पूरा घटनाक्रम पास के होटल में मौजूद लोगों ने देखा। उन्होंने तुरंत इसका कड़ा विरोध किया और बदमाशों को भागवी को ले जाने से रोका, जिसके बाद अपहरण की कोशिश रोकी जा सकी। इस मामले में उमरकोट पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है और जांच कर रही है, लेकिन डर का माहौल बरकरार है।
14 साल की अनीता अगवा, धर्म परिवर्तन के बाद शादी का शक
सिंध प्रांत के मीरपुर खास में भील कॉलोनी की रहने वाली 14 वर्षीय अनीता ठाकुर पिछले 3 महीने से गायब हैं। उसे घर से ही गन पॉइंट पर अगवा किया गया था, जिससे परिवार सदमे में है।
हिंदू समुदाय के लोगों के कड़े विरोध के बाद मीरपुर खास के सैटेलाइट थाने में एफआईआर दर्ज हुई। इसमें आरोप लगाया गया है कि अनीता को अगवा करने के बाद उसका धर्म परिवर्तन करा दिया गया और जबरन शादी करा दी गई है।
लड़की के माता-पिता और आसपास के लोग पिछले 3 महीने से थाने और आईजी ऑफिस के चक्कर काट रहे हैं। वे अपनी बेटी की बरामदगी की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है और कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
अनीता के माता-पिता का कहना है कि वे डर के साए में जी रहे हैं और हर पल अपनी बेटी की चिंता में घुल रहे हैं। जब वे थाने और पुलिस अधिकारियों के पास न्याय मांगने जाते हैं, तो उन्हें यह कहकर लौटा दिया जाता है कि 'तुम्हारी बेटी किसी के साथ भाग गई होगी', जो उनकी पीड़ा को और बढ़ा देता है।
3 साल पहले अगवा हुई चंदा मेहराज, छोटी बहन अब घर से बाहर नहीं जाती
यह घटना 3 साल पहले सितंबर 2022 की है, जब 14 साल की नाबालिग लड़की चंदा मेहराज का अपहरण कर लिया गया था। चंदा सिंध में हैदराबाद की रहने वाली है और उसका परिवार आज भी उस दिन के सदमे से उबर नहीं पाया है।
वह फतेह चौक इलाके में अपनी बड़ी बहन के साथ सामान खरीदने बाजार गई थीं। आरोप है कि तभी कार में सवार होकर आए बलूच लड़कों ने उसे अगवा कर लिया, जिससे इलाके में दहशत फैल गई।
बड़ी बहन ने शोर मचाया और किसी तरह से बचकर भाग निकली, लेकिन चंदा को नहीं बचा पाई। परिवार के मुताबिक, पुलिस ने इस मामले में शुरुआती तौर पर कोई मदद नहीं की, जिससे उन्हें गहरा धक्का लगा।
बाद में हिंदू समुदाय के लोगों के कड़े विरोध के बाद पुलिस ने मामले की जांच की। कुछ हफ्तों बाद चंदा को कराची के एक कमरे से बरामद कर लिया गया और उसे कोर्ट में पेश किया गया।
इस दौरान वह अपने परिवार के साथ रहना चाहती थी, लेकिन कोर्ट के आदेश पर उसे कई दिनों तक शेल्टर होम में रखा गया। वहां भी उसे प्रताड़ित किया गया, जिससे उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई।
फिर वहीं से वह रहस्यमय तरीके से गायब हो गई, जिसके बाद परिवार को आज तक नहीं मिली। बेटी के इंतजार में उसके पिता बीमार हो गए और लंबी बीमारी के बाद उनकी मौत हो गई, जिससे परिवार टूट गया।
चंदा की एक बड़ी बहन और एक छोटी बहन हैं। परिवार एक छोटे से कमरे में रहकर गुजारा कर रहा है, जिसका किराया 10 हजार रुपए है, और वे हर दिन संघर्ष कर रहे हैं।
अभी चंदा की मां और बहन ने एक भावुक वीडियो जारी करके लोगों से मदद मांगी है। चंदा की मां कहती हैं कि बेटी के अपहरण के बाद से छोटी बहन बहुत डरी रहती है और घर से बाहर निकलने में भी घबराती है।
इसलिए अब जनवरी में उसकी शादी कर रहे हैं, ताकि वह सुरक्षित महसूस कर सके और उसे भी ऐसी भयावह घटना का सामना न करना पड़े।
सिंध में अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपराध के चौंकाने वाले आंकड़े
पाकिस्तान में हिंदू और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हो रहे जुल्म के आंकड़े जानने के लिए पाकिस्तान के नेशनल और लोकल मीडिया में छपी रिपोर्टों की गहन पड़ताल की गई।
यह दुखद है कि कुछ गिने-चुने मामलों को छोड़कर, वहां की मीडिया ने इन गंभीर मुद्दों पर कोई खास रिपोर्ट नहीं की है, जिससे सच्चाई अक्सर दब जाती है। हमें माइनॉरिटी राइट ऑर्गनाइजेशन 'दरावर इत्तेहाद पाकिस्तान' की एक हालिया रिपोर्ट मिली, जो अल्पसंख्यकों की स्थिति पर प्रकाश डालती है।
यह रिपोर्ट अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुए अपराधों पर विस्तृत जानकारी देती है। इसमें तीन खास बातें सामने आई हैं, जो सिंध प्रांत में अल्पसंख्यकों की भयावह और चिंताजनक स्थिति को दर्शाती हैं।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु और उनका विश्लेषण
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जनवरी से लेकर नवंबर तक 11 महीनों में सिंध प्रांत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ कुल 611 गंभीर अपराध हुए। इन अपराधों में मानसिक प्रताड़ना की वजह से सबसे ज्यादा 185 आत्महत्या के मामले रहे, जो समुदाय में व्याप्त गहरे अवसाद और निराशा को दर्शाते हैं।
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सिंध में इन्हीं 11 महीनों में धर्म परिवर्तन के केस दूसरे नंबर पर रहे, जिनकी कुल संख्या 73 थी। यह आंकड़ा जबरन धर्मांतरण की बढ़ती प्रवृत्ति को स्पष्ट करता है। इसके बाद तीसरे नंबर पर हत्या के 62 केस रहे, जो हिंसा के बढ़ते स्तर को दिखाते हैं।
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हत्या के अलावा, अपहरण के 32 और बाल विवाह के 26 मामले सामने आए, जो लड़कियों और महिलाओं की असुरक्षा को उजागर करते हैं। इसके साथ ही बलात्कार के 19 केस भी दर्ज हुए, जो यौन हिंसा की गंभीर समस्या को दर्शाते हैं।
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पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय में करीब-करीब हर महीने धर्म परिवर्तन की 7 घटनाएं हुईं। इसके अलावा, हत्या के 6, अपहरण के 3 और बाल विवाह के 2 से ज्यादा केस दर्ज किए गए, जो अल्पसंख्यकों के लिए रोजमर्रा के खतरों को बताते हैं।
निष्कर्ष: न्याय की आस में अल्पसंख्यक और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका
ये आंकड़े और मामले पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं की असुरक्षा और उनके खिलाफ हो रहे अत्याचारों की एक गंभीर और भयावह तस्वीर पेश करते हैं। यह दर्शाता है कि कैसे एक समुदाय अपने ही देश में हाशिए पर धकेला जा रहा है।
कानून प्रवर्तन एजेंसियों की निष्क्रियता, राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और समाज में व्याप्त डर के कारण, पीड़ितों को न्याय मिलना बेहद मुश्किल हो जाता है। यह स्थिति न्याय प्रणाली पर सवाल खड़े करती है।
रानी और उसकी बेटी, अनीता ठाकुर, चंदा मेहराज जैसे अनगिनत मामले इस बात की गवाही देते हैं कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को अपने धार्मिक और मानवीय अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ रहा है। उनकी आवाज अक्सर अनसुनी रह जाती है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और मानवाधिकार संगठनों को इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्हें पाकिस्तान सरकार पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए दबाव बनाना चाहिए, ताकि न्याय मिल सके और ऐसे अत्याचारों पर रोक लग सके।
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